चंडीगढ़वासियों को झटका... पानी के बिलों में एडजस्ट नहीं होगी पहले से वसूली गई अतिरिक्त राशि
चंडीगढ़ प्रशासक वीपी सिंह बदनौर ने अगले साल मार्च तक पानी के बढ़े रेट पर रोक लगाई है। लेकिन शहरवासियों के लिए यह झटका है कि पिछले साल अगस्त से बढ़े हुए रेट के मुताबिक शहरवासियों से पानी का बिल वसूला गया है वह अगले बिल में अडजस्ट नहीं होगा।
चंडीगढ़, [राजेश ढल्ल]। चंडीगढ़ प्रशासक वीपी सिंह बदनौर की ओर से अगले साल मार्च तक शहर में पानी के बढ़े हुए रेट पर रोक लगाई है। इसका भाजपा द्वारा क्रेडिट लिया जा रहा है। हकिकत यह है कि जो पिछले साल अगस्त से बढ़े हुए रेट के मुताबिक शहरवासियों से पानी का बिल वसूला गया है वह अगले बिल में अडजस्ट नहीं होगा। ऐसे में यह शहरवासियों को झटका है।
31 मई को नगर निगम की सदन की बैठक है। पानी के मामले पर कांग्रेस ने हंगामा करेगी, इसलिए हंगामे से बचने के लिए भाजपा ने यह बैठक फिजिकल न बुलाकर वर्चुअल बुलाई है। हालांकि मेयर की ओर से इसके लिए कोरोना के बढ़ रहे मामलों को कारण बताया है। अधिकारी भी चाहते हैं कि जो इस समय सवाल उठ रहे हैं उसे स्पष्ट कर दिया जाए, इसलिए कांग्रेस पार्षद सतीश कैंथ द्वारा प्रशासक की ओर से लगाई गई रोक को लेकर पांच सवाल पूछे हैं। जिनका जवाब अधिकारी देंगे। अधिकारी यह भी बताएंगे कि यह रोक सिर्फ मार्च माह तक की है और इस समय के भी बढ़े हुए बिल आगे लिए जाएंगे। यह सिर्फ कुछ देर के लिए रोक है।
इन सवालों का जवाब देंगे अधिकारी
- क्या प्रशासन ने बढ़ाए गए पानी के दाम की अधिसूचना का आदेश वापस या रद किया है
- जो बढ़े हुए बिल लिए गए उनके समायोजन की बात कही है
- क्या सीवरेज सेस 30 प्रतिशत से 5 प्रतिशत किया गया है
- कोरोना महामारी में कैसे प्रशासन ने लोगों को पानी के टैरिफ रेट में सहूलियत दी
- किस दिन से लोगों को राहत दी जाएगी।
शहरवासियों को भी जोड़ा जाए वर्चुअल- कांग्रेस
कांग्रेस पार्षद सतीश कैंथ का कहना है कि पानी का मामला पूरे शहर से जुड़ा हुआ है। भाजपा मेयर ने जानबूझकर कांग्रेस के सवालों से बचने के लिए सदन की बैठक वर्चुअल बुलाई है। उनका कहना है कि शहरवासियों को भी इस वर्चुअल बैठक के साथ जोड़ा जाए ताकि उन्हें भी पता लग सके कि असलियत में उन्हें कितनी राहत मिल रही है। एक्ट में दर्शक दीर्घा में पास बनाकर बैठने की मंजूरी है, ऐसे में शहर की प्रमुख रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशनों को इस वर्चुअल बैठक में जोड़ा जाए। मेयर रविकांत शर्मा का कहना है कि कोरोना महामारी के कारण मानकों को ध्यान में रखकर यह फैसला किया गया है।