चंडीगढ़ नगर निगम के अस्थायी कर्मचारियों को झटका, हाई कोर्ट ने खारिज की भर्ती विज्ञापन रद करने की मांग
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले से नगर निगम के अस्थायी कर्मचारियों को झटका लगा है जबकि अप्रैल में हुई सदन की बैठक में अस्थायी कर्मचारियों को पक्का करने के मामले पर पार्षदों ने जमकर हंगामा किया था।
चंडीगढ़, जेएनएन। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले से नगर निगम के अस्थायी कर्मचारियों को झटका लगा है, जबकि अप्रैल में हुई सदन की बैठक में अस्थायी कर्मचारियों को पक्का करने के मामले पर पार्षदों ने जमकर हंगामा किया था।
पूर्व मेयर एवं भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद ने तो यहां तक कह दिया था कि जो 172 स्थायी कर्मचारियों की भर्ती की जा रही है। उस पर भी रोक लगा दिया जाए। हाई कोर्ट ने नगर निगम में भर्ती के लिए जारी विज्ञापन को रद करने की मांग को खारिज कर दिया है। इसी के साथ हाई कोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन को नियमितीकरण नीति बनाने का निर्देश जारी करने की मांग भी ठुकरा दिया है। इस फैसले से पार्षदों को भी झटका लगा है जो कि अस्थायी कर्मचारियों को पक्का करवाने की मांग कर रहे थे। हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि चंडीगढ़ प्रशासन ने न तो इस नीति को बनाने के लिए मंजूरी दी थी और न ही इसे अपनाया था। इसके साथ ही ऐसा कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है कि याचिकाकर्ताओं को नियुक्त करते हुए विज्ञापन जारी किया गया था और सभी को आवेदन का मौका दिया गया था।
सदन में यह गरमाया था मामला
नगर निगम के 83 अस्थायी कर्मचारियों को पक्का करने का मामला सदन में गरमाया था। इन कर्मचारियों को पक्का करने के लिए पूर्व मेयर अरुण सूद ने यहां तक भी कहा कि जो 172 स्थायी कर्मचारियों की भर्ती की जा रही है उसे रोक दिया जाए और पहले से भर्ती अस्थायी कर्मचारियों को अडस्ट किया जाए। लेकिन कमिश्नर केके यादव इसके लिए तैयार नहीं हुए। कमिश्नर केके यादव ने कहा था कि जो अस्थायी कर्मचारी पहले से भर्ती हैं उनकी बैक डोर एंट्री है और भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरती गई। लेकिन पार्षद मानने के लिए तैयार नहीं हुए। कमिश्नर केके यादव ने कहा कि यह प्रस्ताव पास कर देते हैं कि रेगुलर सरकारी भर्ती होने के बावजूद इन 83 अस्थायी कर्मचारियों को निकाला नहीं जाएगा। लेकिन पूर्व मेयर अरुण सूद ने कहा कि तकनीकी तौर पर ऐसा नहीं हो सकता। अंत में यह प्रस्ताव पास किया गया कि इन 83 कर्मचारियों को पहले से मंजूर पदों पर भरा जाएगा और जो 172 में 83 नए पद भरने के लिए प्रशासन से सेंशन मांगी जाएगी। ऐसे में अब हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद प्रशासन इस पर निर्णय नहीं लेगा।
याचिका में यह कहा गया
इस मामले में चंडीगढ़ प्रशासन में दशक से ज्यादा समय से काम कर रहें अस्थायी कर्मचारियों ने याचिका दाखिल करते हुए बताया कि वह पिछले एक दशक से भी अधिक समय से अस्थायी कर्मचारी के तौर पर कार्य कर रहे हैं। अब नगर निगम ने विज्ञापन जारी करते हुए 41 क्लर्क, 2 स्टेनो टाईपिस्ट, 2 डाटा एंट्री ऑपरेटर व दो अकाउंटेंट के पदों के लिए आवेदन मांग लिए हैं। याची ने कहा कि उनकी इतनी लंबी सेवा की एवज में उन्हें नियमित किया जाना चाहिए और इस विज्ञापन को खारिज करना चाहिए। याची ने अपील की कि चंडीगढ़ प्रशासन के अधीन आने वाले सभी विभागों, निकायों व बोर्ड के अस्थायी कर्मचारियों को पक्का करने के लिए नियमितीकरण नीति बनाने का निर्देश जारी किया जाए। याची ने बताया कि नगर निगम ने 28 जुलाई 2014 में नियमितीकरण की ड्राफ्ट नीति तैयार की थी। ऐसे में याचिकाकर्ताओं को इसका फायदा मिलना चाहिए।