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पंजाब कांग्रेस प्रभारी के लिए शीला का पत्ता कटा, अब शिंदे की चर्चा

पंजाब कांग्रेस के प्रभारी पद के लिए दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का पत्ता भी कट गया है। अब इस पद के लिए सुशील कुमार शिंदे की नियुक्ति की चर्चा है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 19 Jun 2016 11:24 PM (IST)Updated: Mon, 20 Jun 2016 12:53 PM (IST)
पंजाब कांग्रेस प्रभारी के लिए शीला का पत्ता कटा, अब शिंदे की चर्चा

कैलाश नाथ, चंडीगढ़। प्रदेश प्रभारी को लेकर कांग्रेस की परेशानी कम नहीं हो रही है। कमलनाथ के यह पद छोड़ने के लिए दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री श्ाीला दीक्षित को यशह जिम्मेदारी सौंपे जाने की चर्चा थी। लेकिन, पानी टैंकर घोटाले में नाम आने के बाद दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का पत्ता भी कट गया है। अब कांग्रेस पंजाब में दलित कार्ड खेलने पर विचार कर रही हैं। इसके लिए पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे का नाम अहम हैं। हालांकि उनकी उम्र को लेकर भी कांग्रस चिंतित है।

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प्रदेश प्रभारी को लेकर कांग्रेस को दो बार अपने कदम पीछे खींचने पड़े हैं। शकील अहमद को प्रभारी पद से हटाकर कांग्रेस ने कमलनाथ को प्रभारी बनाया था। 10 बार सांसद रह चुके कमलनाथ के प्रभारी बनने के साथ ही अकाली दल ने 1984 के दंगों में उनकी भूमिका को लेकर मोर्चा खोल दिया। इसे देखते हुए कमलनाथ ने खुद ही पद छोड़ दिया।

भ्रष्टाचार पर घेर रहे विरोधी दल

पार्टी शीला दीक्षित को प्रभारी बनाने पर गंभीरता से विचार कर रही थी, लेकिन तभी दिल्ली में उनके कार्यकाल में हुए पानी टैंकर मामले में उनका नाम आया गया। कांग्रेस ने अब उनके नाम पर विचार करना छोड़ दिया है। कांग्रेस पंजाब में कानून-व्यवस्था और नशे के साथ भ्रष्टाचार को भी मुद्दा बना रही है। ऐसे में अगर शीला दीक्षित को पंजाब का प्रभारी बनाने पर इससे कांग्रेस को नुकसान पहुंच सकता है।

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अब दलित कार्ड खेलने की तैयारी

कमलनाथ और शीला के बाद अब पार्टी हाईकमान एक बार फिर दलित कार्ड को खेलने के मूड में हैं। पार्टी पूर्व गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे के नाम पर विचार कर रही है। यह विचार इसलिए भी किया जा रहा है, क्योंकि पंजाब में 32 फीसदी आबादी दलितों की है। ऐसा करके कांग्रेस एक तीर से दो निशाने साध सकती है।

दलित मतदाताओं को संदेश देने के लिए ही कांग्रेस विधायक दल का नेता दलित को बनाया था। हालांकि चरणजीत सिंह चन्नी विधानसभा में सशक्त नेतृत्व करने में कामयाब नहीं रहे। वहीं, विधायक भी उनके नेतृत्व में एकजुट नहीं दिखाई दिए। ऐसे में कांग्र्रेस प्रभारी पद पर सशक्त नेता को लेकर दलित मतदाताओं को रिझाने की कोशिश कर सकती है।


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