Move to Jagran APP

बॉक्सिंग ¨रग में नहीं शीतल के मुक्कों का जवाब, ओलंपिक में चाहिए मेडल

संडे स्पेशल : बेटी को मिला परिवार का सहयोग, तो बॉक्सिंग ¨रग में उतरकर किया नाम रोशन, मूल रूप

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Oct 2018 08:35 AM (IST)Updated: Mon, 22 Oct 2018 10:58 AM (IST)
बॉक्सिंग ¨रग में नहीं शीतल के मुक्कों का जवाब, ओलंपिक में चाहिए मेडल
बॉक्सिंग ¨रग में नहीं शीतल के मुक्कों का जवाब, ओलंपिक में चाहिए मेडल

डॉ. सुमित सिंह श्योराण, चंडीगढ़ : बॉक्सिंग ¨रग में जब बॉक्सर शीतल के दमदार पंच विरोधी खिलाड़ी को लगते हैं, तो सामने वाले के पसीने छूट जाते हैं। चंडीगढ़ की इस उभरती बॉक्सर में गजब की प्रतिभा है। बॉक्सिंग के छोटे से करियर में ही 18 साल की बॉक्सर शीतल के नाम 20 से अधिक मेडल हैं। सिलसिला ऐसा ही रहा तो शीतल इंटरनेशनल स्तर पर देश के लिए जल्द मेडल जीतेगी। बॉक्सिंग में मैरीकॉम को रोल मॉडल मानने वाली शीतल अगले एशियन गेम्स और ओलंपिक की तैयारी में जुटी है। दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में शीतल कहती हैं कि उनका टारगेट अब सिर्फ इंटरनेशनल लेवल पर देश के लिए मेडल जीतना है। हाल ही में शीतल ने इंटर यूनिवर्सिटी स्तर पर दो गोल्ड मेडल हासिल किए हैं। शीतल सेक्टर-32 स्थित एसडी कॉलेज में बीए दूसरे वर्ष की छात्रा हैं। जबकि वह पंजाब यूनिवर्सिटी में प्रेक्टिस करती हैं। सिर्फ जीत मंजूर, अब तक 17 गोल्ड झोली में

loksabha election banner

बॉक्सर शीतल अभी तक विभिन्न टूर्नामेंट में 20 से अधिक मेडल जीत चुकी हैं, खास बात यह है कि इन मेडल में 17 सिर्फ गोल्ड मेडल हैं। मेडल जीतने का सिलसिला अभी जारी है। इस साल दो गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं। बॉक्सिंग की शुरुआत शीतल ने स्कूल लेवल पर फिट रहने के लिए की थी। लेकिन अब वह इसी खेल में करियर बनाना चाहती है। शीतल ने 2012 में अपने पहले ही टूर्नामेंट झज्जर में आयोजित स्टेट चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल हासिल कर अपनी प्रतिभा का परिचय दे दिया। इन्होंने लगभग हर टूर्नामेंट में मेडल जीता है। शीतल ने 2016-17 में मध्यप्रदेश में आयोजित चैंपियनशिप में गोल्ड और जुलाई 2018 में ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी में सिल्वर मेडल जीता है। वह 48 लाइट फ्लाई वेट में फाइट करती हैं। कई प्रतियोगिताओं में घायल होने के बावजूद शीतल ने कभी ¨रग नहीं छोड़ा। बेटियों के प्रति बदली सोच, तो बनी चैंपियन

शीतल मूल रूप से हरियाणा के रोहतक जिले के गांव गिजी की निवासी हैं। पिता प्रेम सिंह हरियाणा राजभवन में राज्यपाल के अटेंडेंट के तौर पर कार्यरत हैं। 2012 में पिता की नौकरी लगने के बाद परिवार चंडीगढ़ आ गया और शीतल ने फिर यहीं पर बॉक्सिंग की कोचिंग शुरू कर दी। शीतल बताती हैं कि बॉक्सिंग जैसे खेल के लिए लड़कियों को कम ही परिवार वाले इजाजत देते हैं। लेकिन पिता ने उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। वह कहती हैं कि अब बेटियों के प्रति समाज की सोच बदल रही है। 2011 में स्कूल में एक ट्रेनिंग प्रोग्राम में शीतल ने रेसलर बनने का फैसला लिया। बीएसएफ में कार्यरत अंकल प्रकाश ने भी शीतल को रेसलर में जाने के लिए मोटिवेट किया। हर रोज 6 घंटे की कड़ी प्रेक्टिस

बॉक्सिंग जैसे खेल में फिजिकल और मेंटल दोनों तरह से मजबूत होना जरुरी है। शीतल बताती हैं कि वह हर रोज सुबह और शाम 3-3 घंटे तक कड़ी प्रेक्टिस करती हैं। पंजाब यूनिवर्सिटी में कोच विश्वजीत की देखरेख में बॉक्सिंग के गुर सीख रही हैं। वह बताती हैं कि परिवार में मां जसवंती उनकी डाइट का पूरा ख्याल रखती हैं। जबकि भाई राहुल और रितिक भी उनकी खेलों में काफी मदद करते हैं। शीतल के कोच विश्वजीत भी मानते हैं कि इस खिलाड़ी में काफी टैलेंट है। उन्हें उम्मीद है कि शीतल इंटरनेशनल लेवल की खिलाड़ी बनेगी। देश के लिए बेटियां ला रही मेडल

शीतल कहती हैं कि हर खेल में अब लड़कियां काफी अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। हरियाणा में कुश्ती में चाहे साक्षी मलिक हो या गीता-बबीता फौगाट बहनें। इन्होंने बेटियों के लिए खेलों में जाने के रास्ते खोल दिए हैं। शीतल कहती हैं कि अगर बेहतर कोचिंग और सुविधाएं मिले, तो बेटियां हर स्तर पर देश का नाम इंटरनेशनल स्तर पर रोशन कर सकती है। शीतल बताती हैं कि परिवार के आर्थिक हालत बहुत अच्छे नहीं होने के बावजूद पिता ने उनकी हर जरूरत को पूरा किया। शीतल का सपना इंटरनेशनल स्तर पर मेडल जीत पिता को गिफ्ट करना है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.