Move to Jagran APP

यौन शोषण मामले में तीन घंटे हंगामा, वोटिंग से भी नहीं निकला हल

पंजाब यूनिवर्सिटी की सीनेट में यौन शोषण मामले में पीयू कमेटी अगेंस्ट सेक्सुअल हैरासमेंट द्वारा दोषी पाए गए टीचर के खिलाफ कार्रवाई को लेकर जमकर बवाल हुआ।

By JagranEdited By: Published: Mon, 02 Apr 2018 12:40 PM (IST)Updated: Mon, 02 Apr 2018 12:40 PM (IST)
यौन शोषण मामले में तीन घंटे हंगामा, वोटिंग से भी नहीं निकला हल
यौन शोषण मामले में तीन घंटे हंगामा, वोटिंग से भी नहीं निकला हल

दो वोट ने टीचर को कार्रवाई से बचाया

loksabha election banner

-अगली सीनेट में फिर उठेगा मामला, अधिकतर सीनेटर टीचर को हटाने के पक्ष में - टीचर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जरूरत है, नहीं तो हम समाज को क्या संदेश देंगे।

प्रो. अरुण ग्रोवर, वाइस चांसलर। - गंभीर मामलों में हम गांधारी और धृतराष्ट्र नहीं बनना चाहिए।

प्रो. मीनाक्षी मल्होत्रा, डीयूआई। -इंसाफ होना चाहिए। डॉ. कोमल का परिवार और बच्चे भी हैं।

सीनेटर अजय रंगा जागरण संवाददाता, चंडीगढ़

पंजाब यूनिवर्सिटी की सीनेट में यौन शोषण मामले में पीयू कमेटी अगेंस्ट सेक्सुअल हैरासमेंट द्वारा दोषी पाए गए टीचर के खिलाफ कार्रवाई को लेकर जमकर बवाल हुआ। कुछ सीनेटर्स ने कड़ी सजा नहीं देने की वकालत की तो सीनियर सीनेटर प्रो. पाम राजपूत के सब्र का बांध टूट गया। उन्होंने कहा, 'दोषी को माफी देकर क्या हम भविष्य में किसी लड़की से दुष्कर्म होने के बाद कैंडल मार्च निकाले जाने का इंतजार करें।' सीनेटर नीरू मलिक ने भी उनका समर्थन किया। रविवार को यहां बैठक में दोषी करार दिए गए कोमल सिंह द्वारा शोकॉज नोटिस पर फाइल किए जवाब पर चर्चा हो रही थी। प्रो. पाम के बाद सीनेटर अजय रंगा ने दोषी टीचर को कम सजा देने की वकालत की, ताकि उसके परिजनों और बच्चों का भविष्य प्रभावित न हो। सीनेटर डॉ. सुभाष शर्मा ने उनका कड़ा विरोध जताया और दोषी को नौकरी से बर्खास्त करने की वकालत की। इसके बाद तो दोनों पक्षों से जमकर बयानबाजी और शोर शुरू हो गया। डीयूआइ प्रो. मीनाक्षी मल्होत्रा ने कहा कि ऐसे टीचर पर कार्रवाई की जरूरत है, नहीं तो इनकी हिम्मत बढ़ जाएगी। बता दें कि सितंबर 2015 में पीयू के डेंटल कॉलेज में टीचर पर कई ग‌र्ल्स स्टूडेंट ने यौन शोषण के आरोप लगाए थे। जांच के बाद पीयू कैश ने उनको दोषी पाया था। बैठक के अंत में वीसी ने कहाकि जुलाई में एक बैठक बुलाई जाएगी।

--------------------------- तीन विकल्प रखें

घंटों की बहस के बाद भी हल नहीं निकला तो वोटिंग करवाने का फैसला लिया गया। उसके लिए तीन विकल्प रखे गए।

-टीचर को डिमोट किया जाए

-नौकरी से निकाल दिया जाए।

-भविष्य में पीयू में नौकरी अप्लाई करने पर रोक न हो।

(कहीं भी नौकरी नहीं करने देने के तीसरे विकल्प को बाद में वोटिंग से हटा दिया गया था।) दो तिहाई बहुमत नहीं मिला

किसी भी प्रस्ताव पर मुहर लगाने के लिए दो तिहाई वोट चाहिए थे। डिमोशन के विकल्प पर 51 में से 18 वोट पड़े तो नौकरी से निकालने के पक्ष में 32 आए। एक वोट रद कर दिया गया। दो वोट की कमी रहने से फैसला नहीं हो सका। अगली बैठक में फिर से मामला उठेगा। वीसी ने मामले में हाईकोर्ट चीफ जस्टिस से सलाह लेने की बात भी कहीं है। बता दें कि सीनेट में कुल 91 वोट हैं। चांसलर और वीसी के दो अलग वोट जोड़ने पर 93 बनते हैं।

-------------------------- दोनों पक्षों में जमकर खींचतान

मामले को लेकर दो पक्ष थे। एक पक्ष कम कड़ी सजा देने के पक्ष में था और टीचर द्वारा दिए शोकॉज नोटिस के जवाब को रिव्यू करने का पक्षधर था। इस पक्ष में डॉ. अजय रंगा, डॉ. डीपीएस रंधावा, प्रो. जेके गोस्वामी रहे। दूसरे पक्ष में डॉ. सुभाष, एंबेसेडर आइएस चड्ढा, प्रो. आरपी बांबा और वीके सिब्बल ने इसका विरोध किया। उन्होंने ही दोषी पर कार्रवाई के लिए दोनों विकल्पों पर वोटिंग का प्रपोजल रखा था। इन मामलों पर भी हुई चर्चा

-पार्टटाइम फैकल्टी को नियुक्ति लैटर देने पर वीसी ने हां की। मामले पर डॉ. आरडी बंसल और डॉ. आइएस संधू में जमकर बहस हुई और दोनों टेबल पीटने लगे।

-पीएचडी इंक्रीमेंट के देने के मामले पर सहमति नहीं बन पाई और आरओ की कार्यशैली पर सवाल उठे।

-डॉ. डीपीएस रंधावा ने वीसी पर जल्दबाजी में राष्ट्रगान बजाकर बैठक बंद करवाने पर आपत्ति जताई।

-टीचर्स की परमोशंस के मामले पास हुए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.