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परीक्षा से कम नहीं था सुखबीर के लिए एसजीपीसी प्रधान का चयन, बागी गुट को झटका

एसजीपीसी के प्रधान का चयन शिरोमणि अकाली दल और सुखबीर बादल के लिए परीक्षा की घड़ी से कम नहीं थी। गा‍ेबिंद सिंह लोंगोवाल की ताजपाेशी से बागी गुट को कड़ा झटका लगा है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 02:15 PM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 02:41 PM (IST)
परीक्षा से कम नहीं था सुखबीर के लिए एसजीपीसी प्रधान का चयन, बागी गुट को झटका
परीक्षा से कम नहीं था सुखबीर के लिए एसजीपीसी प्रधान का चयन, बागी गुट को झटका

चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के प्रधान का चयन शिरोमणि अकाली दल के दोनों गुटों के लिए परीक्षा की घड़ी से कम नहीं था। शिअद की कोर कमेटी ने नया प्रधान चुनने के लिए सभी अधिकार सुखबीर बादल को सौंप दिए थे। उनके द्वारा भेजे गए लिफाफे से गोबिंद सिंह लोंगोवाल का नाम निकला ताे शिअद के बागी गुट के समक्ष कोई रास्‍ता नहीं बच गया। इसके साथ ही इस कदम से शिरोमणि अकाली दल की आगे की सियासत कैसी होगी, यह देखना भी काफी दिलचस्‍प होगा। लोंगोवाल की ताजपाेशी को शिअद के बागी गुट के लिए झटका माना जा रहा है।

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एसजीपीसी अध्यक्ष कौन बनता है, इससे पार्टी की आगे की सियासत तय होगी

2019 के संसदीय चुनाव को देखते हुए एसजीपीसी के प्रधान का चयन काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अकाली दल की कोर कमेटी ने शनिवार को सांसद रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा समेत पूर्व सांसद रतन सिंह अजनाला और इन दोनों नेताओं के बेटों को पार्टी से निकालकर जहां कड़ा फैसला लेने के संकेत दिए हैं वहीं, सुखदेव सिंह ढींडसा के बारे में कोई बात नहीं की गई है। सुखबीर बादल ने संभवत: इससे यह संकेत दिए हैं कि ढींडसा को साथ रखने के अभी रास्ते खुले हैं।

ढींडसा के बारे में बेशक अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है लेकिन उनके बारे में सुखबीर क्या सोचते हैं एसजीपीसी के प्रधान पद के चयन के बाद देखना रोचक होगा। मौजूदा प्रधान गोबिंद सिंह लोंगोवाल को ही फिर से प्रधानगी देने के बाद लगभग साफ हो गया है कि ढींडसा के पार्टी में फिर से लौटने के आसार कम ही हैं। इसके बाद यह कयासबाजी जाेरों पर है कि अन्य सीनियर नेताओं की तरह सुखबीर उनसे भी किनारा करना चाहते हैं।

सभी जानते हैं कि लोंगोवाल के साथ ढींडसा के रिश्ते मधुर नहीं हैं लेकिन पिछली बार मजबूरी में उन्होंने उनके नाम पर सहमति दे दी थी। अब इस पर भी लोगों की नजर है कि लोंगोवाल फिर से प्रधान बनाए जाने के बाद  सीनियर नेता तोता सिंह और अरविंदर पाल सिंह पखोके क्या रुख अख्तियार करेंगे? तोता सिंह ने अभी खामोशी ही साधी हुई है। उन्हें लगता है कि इस पूरी लड़ाई में उनका दांव लग सकता है।

ब्रह्मपुरा, अजनाला, सेखवां समर्थक सदस्यों का स्टैैंड क्या होगा?

एक अहम सवाल यह भी था कि सुखदेव सिंह ढींडसा, रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा, सेवा सिंह सेखवां व रतन सिंह अजनाला के समर्थक एसजीपीसी सदस्य क्या सुखबीर बादल के उम्मीदवार का विरोध करेंगे? लेकिन, सुखबीर ने लोंगोवाल की दोबारा ताजपोशी से इनको कुछ करने का मौका नहीं दिया। वैसे, जानकारों का कहना है कि इन नेताओं के समर्थक सदस्यों के पास और कोई विकल्प भी नहीं था।

बगावत करने वाले नेताओं ने किया था टोहरा का विरोध

उधर, ब्रह्मपुरा, सेखवां व अजनाला को पार्टी से निकालने पर जत्थेदार गुरचरन सिंह टोहरा के साथ लंबे समय तक रहे मालविंदर सिंह माली का कहना है कि अब ये लोग पंथक मर्यादाओं के हनन का आरोप लगा रहे हैं। जब यही बात जत्थेदार टोहरा ने कही थी तो इन नेताओं ने उनका विरोध किया था। जब टोहरा ने अकाली दल को सिद्धांतों से भटकने और श्री अकाल तख्त साहिब की मर्यादा को नुकसान पहुंचाने की बात कही थी तो  इन्हीं नेताओं ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। आज यही लोग जत्थेदार टोहरा की भाषा बोल रहे हैं।


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