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बार-बार डेडलाइन मिस, चंडीगढ़ में नहीं शुरू हो पा रहा सेग्रीगेशन सिस्टम

सेग्रीगेशन सिस्टम जिन गाड़ियाें के आने से शुरू होना है। उसका टेंडर स्मार्ट सिटी ने वीरवार को जारी किया। गाड़ियों की सप्लाई देने के लिए तीन माह का समय दिया गया है। वहीं निगम ने दावा किया था कि 31 अक्तूबर तक सेग्रीगेशन सिस्टम शुरू कर देंगे।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Fri, 16 Oct 2020 11:18 AM (IST)Updated: Fri, 16 Oct 2020 11:18 AM (IST)
बार-बार डेडलाइन मिस, चंडीगढ़ में नहीं शुरू हो पा रहा सेग्रीगेशन सिस्टम
सेग्रीगेशन सिस्टम को लेकर अब तक आधा दर्जन बार डेडलाइन मिस हो चुकी है। (File Photo)

चंडीगढ़, जेएनएन। शहर में सूखा और गीला कचरे का सेग्रीगेशन सिस्टम शुरू करने का सपना नगर निगम पिछले चार साल से देख रहा है। जबकि अब नगर निगम ने एनजीटी को लिखित में दावा किया है कि 31 अक्तूबर तक सूखा और गीला कचरे का सेग्रीगेशन सिस्टम शुरू कर देंगे, लेकिन इसकी संभावना नहीं है। अब नगर निगम फिर से एनजीटी से समय लेगा। इसका कारण कारण यह है कि जिन गाड़ियाें के आने से यह सिस्टम शुरू होना है। उसका टेंडर स्मार्ट सिटी ने वीरवार को किया है।

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स्मार्ट सिटी के बोर्ड ऑफ डायरेेक्टर्स की मीटिंग में 390 गाड़ियां मंगवाने का टेंडर अलॉट कर दिया है। गाड़ियों की सप्लाई देने के लिए कंपनी को तीन माह का समय दिया गया है। ऐसे में गाड़ियां आने में तीन माह का समय लग जाएगा। इसके अलावा गाड़ियों में लगने वाले जीपीएस सिस्टम का भी टेंडर अलॉट कर दिया गया है। पिछले चार साल से कोई न काेई अड़चन सामने आ रही है। अब तक आधा दर्जन बार डेडलाइन मिस हो चुकी है जबकि चंडीगढ़ नगर निगम को एनजीटी से फटकार भी पड़ चुकी है।

गांव में शुरू हुआ है सेग्रीगेशन

नगर निगम के अनुसार इस समय गांव में सेग्रीगेशन सिस्टम शुरू हो गया है। लेकिन 390 गाड़ियां आने के बाद इसे सभी वार्ड में भी लागू कर दिया जाएगा। जिसके बाद शत प्रतिशत सेग्रीगेशन शुरू हो जाएगा। मालूम हो कि सिस्टम शुरू ना होने के कारण ही चंडीगढ़ स्वच्छ सर्वेक्षण में टॉप-10 से बाहर रहा है। एनजीटी इससे पहले भी नगर निगम को सेग्रीगेशन सिस्टम शुरू करने के लिए निर्देश दे चुकी है।

इससे पहले नगर निगम ने जून तक यह सिस्टम शुरू करने का एनजीटी को आश्वासन दिया था, लेकिन कोरोना के कारण और गाड़ियां न आने के कारण इस सिस्टम को शुरू न किया जा सका। गाड़ियां आने से पहले ही डोर-टू-डोर गार्बेज कलेक्शन सोसाइटी ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। स्मार्ट सिट के अनुसार गाड़ियों में जीपीएस लगाने का काम आर्या ओमनी टोक कंपनी को टेंडर अलॉट किया गया है जबकि 390 गाड़ियां सप्लाई करने का टेंडर कॉटिनेंटल इंजन को किया गया है। इन गाडियों को खरीदने में स्मार्ट सिटी का 33 करोड़ रुपये का खर्चा आ रहा है। यह राशि स्मार्ट सिटी की ओर से ही खर्च की जा रही है।

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