दुनिया भर में बढ़ते प्रदूषण को लेकर चंडीगढ़ में जुटे 15 राज्यों के साइंटिस्ट
कार्यक्रम का उद्घाटन पर्यावरण एवं वन्य जीवण संरक्षण के निदेशक देबेंद्र दलाई ने किया। उन्होंने वायु प्रदूषण को कम करने का सुझाव दिया।
चंडीगढ़, जेएनएन। पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) स्थित आइसीएसएसआर में बुधवार को इंडोर एवं आउटडोर एयर पॉल्यूशन, स्टेंडर्ट और इंपेक्ट्स ऑन ह्यूमन हेल्थ विषय पर तीन दिवसीय ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन किया गया। यह ट्रेनिंग प्रोग्राम पीजीआइ के कम्युनिटी मेडिसिन डिपार्टमेंट और स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ और पीयू के एनवायर्नमेंट स्टडी विभाग के सहयोग से किया गया।
कार्यक्रम में 15 राज्यों से आए आइसीएमआर साइंटिस्ट, मेडिकल प्रोफेशनल्स, रिसर्च, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड रिप्रेजेंटेटिव करीब 50 प्रतियोगियों ने हिस्सा लिया। ट्रेनिंग कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य वायु प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य पर पड़ने वाले बुरे परिणामों की गहनता से जानकारी देना था।
कार्यक्रम का उद्घाटन पर्यावरण एवं वन्य जीवण संरक्षण के निदेशक देबेंद्र दलाई ने किया। उन्होंने वायु प्रदूषण को कम करने नॉन मोटरिस्ट ट्रांसपोर्ट को प्रमोट करने और डीजल ऑटो को बैन करने का भी सुझाव रखा।
वायु प्रदूषण की समस्या सबसे जटिल
कार्यक्रम के आयोजक और पर्यावरण के अतिरिक्त प्रोफेसर स्वास्थ्य पीजीआइ डॉ. रवींद्र खैवाल ने उल्लेख किया कि इस समय वायु प्रदूषण को सबसे जटिल समस्या माना जाने लगा है। उन्होंने कैलिफोर्निया, मेक्सिको और बीजिंग के उदाहरण से सीखने और इसे अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
तकनीकी सत्र में विशेषज्ञों ने रखा अपना पक्ष
तकनीकी सत्र के दौरान पीजीआइएमईआर से प्रो. डॉ. पीवीएम लक्ष्मी ने जोर दिया कि लघु और दीर्घकालिक स्वास्थ्य जोखिम अध्ययन करने की आवश्यकता है। वहीं डॉ. वी श्रीकांत, वरिष्ठ वैज्ञानिक, सीएसटीईपी, बेंगलुरु रेखांकित किया कि बढ़ते प्रदूषण के कारण हमें इनडोर पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। श्रीकांत ने कहा कि आउटडोर के साथ-साथ हमें इनडोर प्रदूषण को भी गंभीरता से लेने की जरूरत है।
शहर में शुरू हाेगा अभियान
डॉ. सुमन मोर, एसोसिएट प्रो. और प्रमुख, पर्यावरण विभाग अध्ययन, पीयू ने रेखांकित किया कि सामान्य रूप से संलग्न होने की आवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा कि चंडीगढ़ के साथ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड वायु प्रदूषण जागरूकता अभियान शुरू करने जा रहे हैं।