पश्चिम बंगाल से लौटे SC आयोग के चेयरमैन बोले- 3000 से ज्यादा शिकायतें आई, 672 परिवारों ने किया पलायन
West Bengal Violence Case पश्चिमी बंगाल में चुनाव परिणाम के बाद हुई हिंसा को लेकर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति (SC) आयोग के चेयरमैन विजय सांपला ने कहा कि आजादी के बाद बंगाल ने ऐसा मंजर कभी नहीं देखा होगा।
चंडीगढ़ [कैलाश नाथ]। पश्चिम बंगाल के चुनाव परिणाम आने के बाद हुई हिंसा की राजनीतिक रूप से खासी चर्चा हुई। राजनीतिक हिंसा में दलित समुदाय को निशाना बनाया गया। गांव के गांव पलायन कर गए। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (National Commission for Scheduled Castes) के चेयरमैन विजय सांपला का कहना है कि 1947 के बाद शायद ही देश के किसी हिस्से में दलितों को निशाना बनाने की घटनाएं हुई हों।
हाल ही में पश्चिम बंगाल का दौरा करके लौटे सांपला ने कहा, आयोग के पास 3000 से ज्यादा शिकायतें आ चुकी है। गांव ही नहीं शहरी क्षेत्रों में भी दलितों को निशाना बनाया गया। सांपला ने कहा कि 672 से ज्यादा परिवार हिंसा के कारण पलायन कर गए। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के ओएसडी ने खुद माना था कि 301 परिवार पलायन कर गए थे, जिसमें से 118 परिवारों को वापस लाया गया। बाकी के प्रयास चल रहे हैं।
सांपला ने कहा, बाली विधानसभा क्षेत्र में एक महिला ने शिकायत किया कि उसने जितनी बार पुलिस से शिकायत की, गुंडा तत्व उतनी बार आकर उनके घर को तोड़ देते थे। अंत में तो उसके घर का मलवा तक गायब कर दिया गया। आयोग के चेयरमैन ने हिंसा की मूल वजह पर चर्चा करते हुए कहा, दलित समुदाय एक राजनीतिक दल के साफ्ट टारगेट पर आ गया। यह वह वर्ग था जिसने एक पार्टी को वोट दिया, जिससे दूसरी राजनीतिक दल के लोगों ने उन्हें निशाना बनाया।
सांपला ने कहा कि शुरूआत राजनीतिक द्वेष से हुई, लेकिन धीरे-धीरे इस पर जातीय रंग चढ़ गया। चूंकि गुंडा तत्वों को सरकार की शह थी इसलिए पुलिस ने भी कोई कार्रवाई नहीं की। विजय सांपला ने बताया, पश्चिम बंगाल के दौरान पर जो मंजर देखने को मिले शायद आजाद भारत में कभी भी ऐसे मंजर नहीं देखने को मिले होंगे, क्योंकि लोग डर के मारे अपने घर से दूर अलग-अलग जगहों पर छुपे हुए थे।
कार्रवाई के संबंध में पूछे जाने पर सांपला ने कहा, पश्चिम बंगाल सरकार से एक्शन टेकन रिपोर्ट मांगी गई है। रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्यवाही क्या होगी, उस पर विचार किया जाएगा। पंजाब को लेकर विजय सांपला ने कहा कि राज्य में जब से दलित मुख्यमंत्री की बात सामने आई है तब से दलित उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ती जा रही है। आज आयोग के पास रोजाना 2 से 3 केस आ रहे है। इसमें कुछेक विभागीय कामकाज को लेकर है तो बाकी दलित उत्पीड़न को लेकर है। पंजाब में भी दलितों को दबाने की पुरजोर कोशिश हो रही है। निश्चित रूप से इसके पीछे भी राजनीतिक ही कारण है।