सलमान खान के मसल देखकर सारिक बने बॉडी बिल्डर, अब बनना चाहते हैं वर्ल्ड चैंपियन
चंडीगढ़ बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिता में सारिक ने 65 किलोभार वेट कैटेगरी में हिस्सा लेते हुए साल 2014 2015 और साल 2016 में गोल्ड मेडल जीता है।
चंडीगढ़, [विकास शर्मा]। सलमान खान मेरे पसंदीदा हीरो हैं, उन्हीं के मसल देखकर उन जैसी बॉडी बनाने के लिए मैंने जिम ज्वाइन किया था। जिम में मेहनत की तो मसल निकले, और फिर बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लेना शुरू कर दिया, यह कहना है मनीमाजरा में अपना सैलून चलाने वाले मोहम्मद सारिक खान। रविवार को फौजी बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशन कपूरथला में सारिक ने अपने शानदार मसल की बदौलत गोल्ड मेडल जीता। सारिक ने बताया कि इससे पहले वह साल 2016 में मिस्टर उत्तराखंड रह चुके हैं। चंडीगढ़ बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिता में सारिक ने 65 किलोभार वेट कैटेगरी में हिस्सा लेते हुए साल 2014, 2015 और साल 2016 में गोल्ड मेडल जीता है। साल 2015 में वह मिस्टर पंचकूला रहे। पंचकूला बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप-2019 में भी उन्होंने 65 कैटेगरी में गोल्ड मेडल जीता है। सारिक अभी 25 साल के हैं और वह 65 किलो भारवर्ग में हिस्सा लेते हैं। वे अब तक 70 से 80 बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप में ट्राफी जीत चुके हैं। सारिक बताते हैं कि पहले उनका टारगेट सलमान खान की तरह बॉडी बनाने का था और अब उन्होंने अपना टारगेट बॉडी बल्डिंग में वर्ल्ड चैंपियन बनने का रखा है।
बिना वर्क आउट के नहीं आती है नींद
मोहम्मद सारिक ने कहा कि जिम भी एक तरह की लत है। जिसे यह लत लग जाती है, वह उसे छोड़ नहीं सकता है। उन्होंने बताया कि कई बार ऐसा हुआ है, जिम जाने की जल्दबाजी में उन्हें धंधे में नुकसान हुआ है, लेकिन जिम के प्रति उनका लगाव कम नहीं हुआ है। सारिक ने बताया कि उन्होंने अपने लिए यह नियम बना रखा है कि वह रोजाना दो घंटे अपने शरीर को देंगे, चाहे वह कितने भी बिजी क्यों न हो, लेकिन इस नियम को नहीं तोड़ते हैं।
हेल्थ सप्लीमेंट नहीं, खुद बनाते हैं अपनी डाइट
सारिक खान ने बताया कि बताया कि वह अपने डाइट खुद बनाते हैं। उन्होंने कहा कि इसी शौक की वजह से उनका हर महीने 20 से 25 हजार रुपये खर्च हो जाते हैं। उनकी डाइट में ड्राई फ्रूट्स, दूध, दही, चिकन, मटन और हरी सब्जी शामिल होती हैं। उन्होंने कहा कि वह एक बार में पेटभरकर खाना नहीं खाते हैं। वह दिन में चार से पांच बार थोड़ी -थोड़ी डाइट लेकर खाते हैं, ताकि खाई गई डाइट शरीर को ताकत दे, ना कि फैट बने।