सेफ स्पीड चैलेंज चैंपियनशिप 18 से, पांच महिलाओं में होगी 3500 किलोमीटर रेस
वाघा बार्डर से कन्याकुमारी तक अपनी तरह के पहले मिशन चैलेंजर्स की सभी महिला टीमें सुरक्षित ड्राइविग पर भारत की पहली राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीतने के लिए ड्राइव करेंगी।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ :
वाघा बार्डर से कन्याकुमारी तक अपनी तरह के पहले मिशन चैलेंजर्स की सभी महिला टीमें सुरक्षित ड्राइविग पर भारत की पहली राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीतने के लिए ड्राइव करेंगी। एनजीओ ड्राइव स्मार्ट, ड्राइव सेफ की ओर से करवाई जा रही चैंपियनशिप को 18 जनवरी को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया जाएगा और यह चंडीगढ़ सहित देश के विभिन्न हिस्सों से गुजरेगी। यह महिलाएं इस दौरान लाइव रहेंगी और भारतीय सड़कों पर 3.5 लाख से अधिक गड्ढों और सड़क जोखिमों को हराएंगी। प्रेस क्लब में इस चैंपियनशिप के शेड्यूल के बारे में जानकारी दी गई। मुख्यातिथि के तौर पर पंजाब के एडीजीपी ट्रैफिक एसएस चौहान मौजूद रहे।
हेला इंडिया लाइटिग लिमिटेड के एमडी और एनजीओ ड्राइव स्मार्ट, ड्राइव सेफ के प्रेसिडेंट रमा शंकर पांडे ने बताया कि वूमेन चैलेंजर्स में चैतन्या केलोथ, सेनोबेर के डोरडी, अमृता अरविद, स्मिता प्रसाद और मोहाली की नेहा दुआ शामिल होंगी। ये सभी ड्राइवर 19 जनवरी को चंडीगढ़ पार करेंगी। उन्होंने बताया कि ड्राइव स्मार्ट ड्राइव सेफ एक एनजीओ है, जिसका उद्देश्य लोगों को सड़क सुरक्षा पर शिक्षित करना और भारतीय सड़कों पर सड़क दुर्घटनाओं और इनमें होने वाली मौतों की संख्या को कम करना है। उन्होंने बताया कि अटारी-वाघा बार्डर की आल-वूमंस टीमें वाहनों में सुरक्षित गति और सुरक्षित दूरी बनाए रखने के लिए ट्रैफिक डिस्टेंसिग प्रारूप पर कन्वाय ड्राइविग शैली का प्रदर्शन करेंगी। वहीं, सभी सड़क उपयोगकर्ताओं के लिए 'रोल-माडल' के रूप में काम करेंगी। पब्लिक वोटिग के लिए सभी महिला चैलेंजर्स के लिए आनड्राइव कैमरा से लाइव वीडियो स्ट्रीमिग के साथ लाइव स्कोर/लीडर-बोर्ड होगा। www.द्बठ्ठस्त्रद्बड्डड्डद्दड्डद्बठ्ठह्यह्लह्मश्रड्डस्त्रष्ह्मड्डह्यद्ध.श्रह्मद्द पर चुनौती के लिए भाग लेने या पंजीकरण के लिए कोई भी व्यक्ति इंडिया अगेंस्ट रोड क्रैश एप डाउनलोड कर सकता है।
लाकडाउन में भी 20 हजार लोग बने काल का ग्रास : एडीजीपी
पंजाब के एडीजीपी ट्रैफिक एसएस चौहान ने कहा कि प्रतिदिन 415 लोग घर वापस नहीं आते हैं। अप्रैल से जून तक लाकडाउन के दौरान भी देश में सड़कों पर 20,732 लोग काल का ग्रास बने हैं। कोविड-19 के कारण 20 जून तक होने वाली मौतों की तुलना में 29 प्रतिशत अधिक थी। यह मौतें कम हो सकती हैं, जब लोग इसमें भागीदार बनेंगे। उन्होंने बताया कि हम इन हादसों को कम कर सकते हैं, अगर हम शोध, अनुभव और व्यवहार पर एक साथ काम करें। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में हमने इस दिशा में काम किया है और पंजाब की कई यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर बेहतर प्लानिग की है, जिसके नतीजे भी सामने आ रहे हैं।