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पंजाब में पराली जलाने वालों पर शिकंजा कसने के लिए ये हैं प्रावधान, पर नियम पालन में फिर भी रोड़ा

पंजाब में पराली जलाने वालों पर शिकंजा कसने के लिए नियम बनाए गए हैं। किसान के खिलाफ धारा 144 के उल्लंघन के अलावा एयर एक्ट के तहत भी केस दर्ज किया जा सकता है। कुछ और नियम भी हैं लेकिन ये नियम पूरी तरह से लागूं नहीं हो पाते।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 09:44 AM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 09:44 AM (IST)
पंजाब में पराली जलाने वालों पर शिकंजा कसने के लिए ये हैं प्रावधान, पर नियम पालन में फिर भी रोड़ा
पंजाब में पराली जलाता किसान। फाइल फोटो

जेएनएन, चंडीगढ़/अमृतसर। पंजाब में पराली जलाने वाले किसानों पर सख्ती करने के लिए राज्य सरकार ने जुर्माना लगाने के साथ ही उनके खिलाफ केस दर्ज करती है। पराली जलाकर पर्यावरण को प्रदूषित करने पर संबंधित किसान के खिलाफ धारा 144 के उल्लंघन के अलावा एयर एक्ट के तहत भी केस दर्ज किया जा सकता है। वहीं, पराली जलाने वाले किसान के रेवेन्यू रिकार्ड में रेड एंट्री दर्ज की जाती है।

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पंजाब सरकार के एक फैसले के अनुसार पंचायती जमीन को ठेके पर देने के लिए भी शर्त रखी गई है। यह जमीन ठेके पर तभी दी जा सकती है जब उस पर धान की पैदावार न की जाए, क्योंकि न इस जमीन पर धान की पैदावार होगी और न ही पराली की समस्या पैदा होगी। सरकार का यह प्रयोग सफल नहीं हो पाया।

पंजाब सरकार ने यह भी विचार किया था कि पराली जलाने वाले किसान को सब्सिडी पर बिजली न दी जाए, परंतु यह योजना इसलिए लागू नहीं हो पाई क्योंकि इसमें तकनीकि खामी थी। एक फीडर से किसी एक किसान को नहीं बल्कि सैकड़ों किसानों को बिजली दी जाती है। इसलिए व्यक्ति विशेष की बिजली सप्लाई बंद करना इसलिए संभव नहीं हो पाया क्योंकि फीडर लाइन से किसानों को बिना बिजली मीटर सीधे बिजली दी जाती है।

पराली नहीं जलाने में पठानकोट अव्वल

पराली नहीं जलाने के मामले में सीमांत जिला पठानकोट अव्वल है। तीन वर्षों के रिकार्ड में इस जिले में तीन दिनों 23, 24 और 25 अक्टूबर को पराली जलाने का एक भी मामला सामने नहीं आया। इसके विपरीत अन्य सीमांत जिलों अमृतसर, तरनतारन और फिरोजपुर में इन तीन दिनों में काफी मामले सामने आए हैं।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 23 अक्टूबर 2018 को अमृतसर जिले में पराली को आग लगाने के 55, 2019 में 11 और 2020 में 38 मामले सामने आए। 24 अक्टूबर को 2018 में 34, 2019 में 54 और 2020 में 32 मामलों की पुष्टि हुई। इसी तरह 25 अक्टूबर 2018 को पराली जलाने के 25, 2019 में 51 और 2020 में 24 मामले सामने आए।

तरनतारन जिले में 23 अक्टूबर 2018 को 191, 2019 में 50 और 2020 में 196 मामलों की पुष्टि हुई। 24 अक्टूबर को 2018 को 120, 2019 में 169 और 2020 में 98 तथा 25 अक्टूबर 2018 को 104, 2019 में 254 और 2020 में 150 मामले सामने आए।

फिरोजपुर जिले में 23 अक्टूबर 2018 को 105, 2019 में 31 और 2020 में 139, 24 अक्टूबर 2018 को 73, 2019 में 150 और 2020 में 141 केस सामने आए। इसी तरह 25 अक्टूबर 2018 को 133, 2019 में 204 और 2020 में 217 मामलों में पराली को खेत में आग लगाने की पुष्टि हुई। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक्सईएन हरपाल सिंह ने बताया कि पराली नहीं जलाने के मामले में पठानकोट जिला पहले नंबर पर है।


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