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62 दिन में 20 करोड़ रुपये की कमाई, VIP नंबरों की आनलाइन नीलामी से पंजाब में भर रहा खजाना

पंजाब में वाहन नंबरों की आनलाइन नीलामी फायदेमंद साबित हो रही है। पहले एक साल में 35 करोड़ की कमाई हुई थी लेकिन आनलाइन नीलामी के बाद महज 62 दिन में ही विभाग ने 20 करोड़ रुपये की कमाई कर ली।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 14 Feb 2021 02:27 PM (IST)Updated: Sun, 14 Feb 2021 02:51 PM (IST)
62 दिन में 20 करोड़ रुपये की कमाई, VIP नंबरों की आनलाइन नीलामी से पंजाब में भर रहा खजाना
वीआइपी नंबरों की आनलाइन नीलामी से भर रहा खजाना। सांकेतिक फोटो

चंडीगढ़ [इन्द्रप्रीत सिंह]। वाहनों के वीआइपी नंबर लेने का पंजाबियों में बहुत क्रेज है। दस लाख की गाड़ी के लिए कभी-कभी सिर्फ नंबर लेने को 15-15 लाख रुपये खर्च करने से भी ये गुरेज नहीं करते। पंजाब का परिवहन विभाग वीआइपी नंबरों की नीलामी करता है। पहले नंबरों की नीलामी में हेराफेरी से विभाग को काफी चपत लगती थी। विभाग अब वीआइपी नंबरों की आनलाइन नीलामी कर रहा है। इससे हेराफेरी पर लगाम लग गई गई है।

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आनलाइन नीलामी का ही कमाल है कि विभाग ने वर्तमान वित्त वर्ष 2020-21 में अब तक दिसंबर और जनवरी में यानी 62 दिनों में वीआइपी नंबरों की नीलामी से 20 करोड़ रुपये कमा लिए हैं। इससे पहले लाकडाउन के कारण नीलामी का काम बाधित था। विभाग को वित्तीय वर्ष 2019-20 में सिर्फ 35 करोड़ रुपये की कमाई इससे हुई थी।

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पहले होता था ऐसा

परिवहन विभाग वीआइपी नंबरों की आरक्षित कीमत तय करता था। नीलामी में भाग लेने के लिए बोलीदाताओं को एक निश्चित राशि जमा करनी पड़ती थी। खेल यहीं से शुरू होता था। बोलीदाता अपने किसी नजदीकी के जरिये उस नंबर की बोली तब तक बढ़ाता रहता था, जब तक अन्य लोग बोली से बाहर नहीं हो जाते थे। नंबर उसे मिल जाता था। इसकी कीमत अदा करने के लिए बोलीदाता को परिवहन विभाग कुछ समय दे देता था, ताकि वह राशि जमा करवा सके। कुछ समय बाद ही बोलीदाता उस नंबर को लेने से मना कर देता था। ऐसे में प्राविधान के मुताबिक संबंधित नंबर जिला परिवहन अधिकारी के पास चला जाता था। मिलीभगत करके वह उस नंबर को आरक्षित कीमत पर पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर उक्त बोलीदाता को आवंटित कर देता था। इससे विभाग को हजारों और कभी-कभी लाखों रुपयों की चपत लग जाती थी।

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आनलाइन नीलामी से आया यह बदलाव

विभाग अपने पोर्टल पर वीआइपी नंबरों की सूची जारी करता है, जिसमें उसकी आरक्षित कीमत लिखी होती है। रविवार से लेकर मंगलवार तक कोई भी बोलीदाता नंबर लेने के लिए एक हजार रुपये देकर खुद को रजिस्टर्ड करवा सकता है। यह राशि नान रिफंडेबल है। नंबर की नीलामी बुधवार और वीरवार को होती है। जिस व्यक्ति को नंबर आवंटित हो जाता है, उसे दो दिन के अंदर निर्धारित राशि जमा करवानी होती है। यानी उसके पास शुक्रवार और शनिवार तक का समय होता है। उसका नाम वाहन पोर्टल पर भी आ जाता है। इसके अलावा उसे ईमेल और एसएमएस से भी सूचित किया जाता है। इस दौरान उसने संबंधित राशि जमा नहीं करवाई तो वह नंबर अगले सप्ताह की सूची में फिर से नीलामी के लिए शामिल कर लिया जाता है। आवंटित नंबर हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट पर ही लगाया जाता है, जिसकी एक प्रक्रिया है। इसकी प्रति प्लेट सौ रुपये फीस अलग से लगती है।

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एक साल में हो सकती है 80 करोड़ की कमाई

स्टेट ट्रांसपोर्ट कमिश्नर डा. अमरपाल सिंह ने बताया कि अब किसी भी अधिकारी के पास वीआइपी नंबरों को आरक्षित कीमत पर देने की पावर नहीं है। अगर किसी वीआइपी नंबर की नीलामी नहीं होती है तो उसे अगली नीलामी के लिए रख लिया जाता है। इसका सकारात्मक परिणाम सामने आया है। विभाग ने 62 दिन में 20 करोड़ कमा लिए हैं। पिछले वित्तीय वर्ष में वीआइपी नंबरों की नीलामी से 35 करोड़ की कमाई हुई थी। उम्मीद है कि नई व्यवस्था से एक साल में यह कमाई करीब 80 करोड़ रुपये हो जाएगी। अब पोर्टल पर ही पता चल जाता है कि जो नंबर लेना है, वह विभाग के पास किस जिले में है। नई सीरिज कब शुरू होगी, इसकी भी जानकारी पहले ही दे दी जाती है।

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