कोरोना संकट के बीच चंडीगढ़ में मंडराया मलेरिया व डेंगू का खतरा, मानसून ने बढ़ाई चुनौती
मानसून आने के बाद शहर के कई हिस्सों में पानी खड़ा है। यही हाल रहा तो बरसात के पानी में मच्छर पनपने शुरू हो जाएंगे। समय रहते कीटनाशक का छिड़काव जरूरी है।
चंडीगढ़, जेएनएन। काेरोना ने समाजिक व्यवस्था को उथल-पुथल कर दिया है, लेकिन बरसात के मौसम में मलेरिया और डेगू को रोक पाना चंडीगढ़ प्रशासन के लिए मुश्किल होगा। शहर के विभिन्न इलाकों में पानी भरना शुरू हाे गया है। मानसून को आए 15 दिन का समय हो चुका है और हर तीसरे से चौथे दिन बाद बारिश भी हो रही है। यदि विभिन्न-विभिन्न इलाकों में जमा हो रहे पानी में जल्द कीटनाशक स्प्रे नहीं हुआ तो मच्छर पैदा होना और उसके बाद मलेरिया और डेगू शुरू होगा जिस पर किसी का कंट्रोल नहीं होगा, क्योंकि शहर के ज्यादातर अस्पतालों में कोरोना का डर है।
मच्छर को रोक पाना मुश्किल
बरसात के शुरू होने के साथ ही मच्छर पैदा हो रहे है। हल्लोमाजरा के स्थानीय निवासी अमन ने कहा कि घर छठ पूजा वाले स्थान से बिल्कुल नजदीक है। मच्छर को रोकने का मेरे पास कोई पुख्ता प्रबंध नहीं है। कमरे के अंदर तो छोटे-छोटे साधन मार्केट में उपलब्ध है लेकिन गली में सब्जी-दूध के लिए जाना या फिर घरेलू काम करने के लिए निकलना पड़ता है। ऐसे में मच्छरों को कैसे रोकें।
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धोबीघाटों के लिए बनेगी नीति मेयर ने गठित की कमेटी
वित्तीय संकट होने के कारण नगर निगम ने शहर के धोबीघाटों से भी आय के साधन बढ़ाने का फैसला लिया है। धोबीघाटों से किस तरह से कमाई बढ़ाई जा सकती है, इसके लिए मेयर राजबाला मलिक ने एक नई कमेटी का गठन किया है। जिसकी पहली बैठक बुधवार को होने जा रही है। कमेटी के चेयरमैन पार्षद शक्तिदेवशाली को बनाया गया है। जबकि सचिव कार्यकारी अभियंता धमेंद्र शर्मा को बनाया गया है। नगर निगम का मानना है कि इस समय जो शहर के धोबीघाट है वह नोमिनल रेट पर दिए गए हैं। ऐसे में इससे कमाई बढ़नी चाहिए।