पंजाब के पूर्व सीएम बादल ने कहा- किसानों के हित में हरसिमरत का इस्तीफा सही फैसला
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि हरसिमरत कौर बादल ने कृषि विधेयकों के किसानों के हित में केंद्रीय कैबिनेट से इस्तीफा देकर सही कदम उठाया है।
चंडीगढ़, जेएनएन। शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल ने कृषि विधेयक को लेकर अपनी पुत्रवधु हरसिमरत कौर बादल द्वारा केंद्रीय कैबिनेट से दिए गए इस्तीफे को सही ठहराया है। बादल ने कहा मुझे खुशी भी है और गर्व भी है कि मेरी पार्टी किसानों व समाज के अन्य शोषित वर्गों के लिए डटकर खड़ी हुई है।
कहा- पार्टी की कोर कमेटी का रुख भी निर्भीक, ऐतिहासिक और सैद्धांतिक रहा
बादल ने कहा, मुझे पूरा विश्वास है कि दलितों, जरूरतमंदों और शोषित वर्गों के लिए लडऩे वाली पार्टी का गौरवमयी इतिहास सुरक्षित हाथों में है। उन्होंने इस्तीफा देने पर पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल की प्रशंसा करते हुए कहा कि लोग अकाली लीडरशीप से यही उम्मीद करते हैं। उन्होंने कहा 'मैं इस बात से बेहद संतुष्ट और गौरवान्वित महसूस करता हूं कि इस समय पार्टी की मौजूदा लीडरशीप पूरी तरह से लोगों, खासकर किसानों की उम्मीदों पर खरा उतरी है।'
बादल ने कहा कि इस मुद्दे पर पार्टी की कोर कमेटी का रुख भी निर्भीक, ऐतिहासिक और सैद्धांतिक रहा। उन्होंने पार्टी लीडरशिप शिरोमणि अकाली दल की उत्कृष्ट और गौरवशाली विरासत को आगे बढ़ाएगी। देश के सबसे वयोवृद्ध अकाली नेता ने कहा कि किसानों की हालत पहले से ही दयनीय है। पंजाब के किसान हमेशा देश के बचाव में आए। आज पार्टी देश के किसानों के साथ खड़ी है।
उन्होंने कहा कि अकालियों ने हमेशा पद के लालच को खारिज करते हुए सिद्धांतों पर पहरा दिया और आपातकाल के दौरान भी पद त्याग कर अन्याय के खिलाफ लड़े। देश व सिद्धांतों के साथ खड़े रहकर जेलें भर दीं। यह परंपरा हमेशा जीवित रहेगी।
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हरसिमरत की मौजूदगी में विधेयक पास होने पर बादल को क्यों चुप रहे: रंधावा
पंजाब के कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल द्वारा हरसिमरत कौर बादल पर गर्व करने पर सवाल उठाया है। रंधावा ने पूछा है कि जब हरसिमरत की मौजूदगी में केंद्रीय कैबिनेट ने कृषि विधेयक पास किए थे तो उस समय बादल क्यों चुप थे। बादल यह भी बता दें कि अब नाखून (अकाली दल) और मांस (भाजपा) कब अलग-अलग होंगे, क्योंकि अकाली दल अब भी किसान विरोधी बिल लाने वाली भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार का अटूट अंग बना हुआ है।
रंधावा ने कहा कि अकाली दल के सरपरस्त अपनी ही पार्टी की पीठ थपथपाने से पहले यह भी स्पष्ट कर देते कि 15 दिन के अंदर पूर्व मुख्यमंत्री के आए दोनों बयानों में से राज्य के लोग किस पर यकीन करें। उन्होंने कहा कि 15 दिन पहले कृषि अध्यादेश का गुणगान करने वाले बड़े बादल ने आज अपने पुत्र और बहु की तरह यू टर्न लेते हुए विधेयकों का विरोध शुरू कर दिया है।
उन्होंने कहा कि बादल के राज्य में मुख्यमंत्री रहते हुए श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पवित्र स्वरूपों की बेअदबी हुई और फिर निहत्थी सिख संगत पर गोलियां चलाई गईं। अब केंद्रीय सरकार में अकाली दल की हिस्सेदारी के दौरान किसान विरोधी कृषि कानून बनाए गए। पंजाब के लोग बादलों के इस विश्वासघात के लिए उनको कभी भी माफ नहीं करेंगे।
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