चंडीगढ़ में पाबंदियों और वीकेंड कर्फ्यू का असर, वाहनों की आवाजाही कम, प्रदूषण घटा, हवा साफ
चंडीगढ़ में कोरोना को काबू करने क लिए लगाई गई पाबंदियों और वीकेंड कर्फ्यू से भले ही शहरवासी खुश न हों त्रस्त हों और इनसे जल्द छुटकारा चाह रहे हैं लेकिन प्रकृति के लिए यह किसी संजीवनी से कम नहीं हैं। शहर की हवा बिल्कुल साफ और प्रदूषण मुक्त है।
चंडीगढ़, [बलवान करिवाल]। चंडीगढ़ में कोरोना को काबू करने क लिए लगाई गई पाबंदियों और वीकेंड कर्फ्यू से भले ही शहरवासी खुश न हों त्रस्त हों और इनसे जल्द छुटकारा चाह रहे हैं, लेकिन प्रकृति के लिए यह किसी संजीवनी से कम नहीं हैं। दो साल से इन महीनों में लगातार इस तरह की पाबंदियों का असर दिखने लगा है। प्रदूषण का स्तर अब दो पहले की तरह उस स्तर पर नहीं पहुंच जहां यह पहुंचने लगा था। हवा की गुणवत्ता में लगातार सुधार हुआ है। एयर क्वालिटी इंडेक्स कई महीने से 100 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ऊपर नहीं गया। जो अच्छे संकेत हैं। एक्यूआइ में लगातार सुधार प्राकृतिक असंतुलन को ठीक कर रहा है। इससे स्वच्छ हवा में सांस लिया जा सकता है।
कोरोना के मामले बढ़ने पर शहर में विभिन्न तरह की पाबंदियां लगाई गई। मार्केट तक बंद रही। जिससे उतनी संख्या में लाेग वाहन लेकर घरों से नहीं निकले जैसे निकलते थे। सभी गवर्नमेंट ऑफिस में 50 फीसद स्टाफ आता है। प्राइवेट ऑफिस इंप्लाइज को वर्क फ्राम होम के आदेश हैं। साथ ही वीकेंड पर लगाया जाने वाला वीकेंड कर्फ्यू जो पिछले कई सप्ताह से जारी है।
इन सब की वजह से सड़कों पर वाहनों की लंबी कतार नहीं है। वाहन कम होने से इनके धुएं से निकलने वाली जहरीली गैस वातावरण में कम पहुंच रही हैं। यही वजह है कि मई माह में पिछले दस सालों के मुकाबले गर्मी कम पड़ रही है। मई के कई दिन पिछले दस सालों में सबसे ठंडे रहे हैं। अच्छी बरसात हो रही हैं। तेज ठंडी हवाएं निरंतर अंतराल के बाद आती रही हैं। यह सब वजह प्रदूषण का प्रभाव कम कर रही हैं।
लगातार मॉनीटरिंग
चंडीगढ़ पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी की टीम प्रदूषण के आंकड़ों पर लगातार नजर रख रही है। साथ ही इसका पाबंदियों और कर्फ्यू को देखते हुए विश्लेषण भी किया जा रहा है। इससे यह देखा जा रहा है कि वाहनों और इंसानी आवाजाही रुकने से वातावरण पर कैसा असर पड़ा है।