चंडीगढ़ में रावण दहन का असर, पॉल्यूशन ने तोड़ा बीते दाे साल का रिकॉर्ड, जहरीली हुई शहर की हवा
शहर में शुक्रवार को दशहरा पर्व पर कई जगह रावण दहन किया गया। पटाखों पर प्रशासन की पाबंदी के बावजूद कई जगह खूब आतिशबाजी हुई। इसका परिणाम यह निकला की शहर का पॉल्यूशन लेवल इतना बढ़ गया कि बीते दो साल का रिकॉर्ड टूट गया।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। शहर में शुक्रवार को दशहरा पर्व पर कई जगह रावण दहन किया गया। पटाखों पर प्रशासन की पाबंदी के बावजूद कई जगह खूब आतिशबाजी हुई। इसका परिणाम यह निकला की शहर का पॉल्यूशन लेवल इतना बढ़ गया कि बीते दो साल का रिकॉर्ड टूट गया।
वहीं, पंचकूला और मोहाली में जमकर पटाखे जलाए गए। हैरानी की बात यह रही कि चंडीगढ़ के मुकाबले मोहाली और पंचकूला में प्रदूषण का स्तर कम रहा। शहर में बीते दो साल के प्रदूषण स्तर का रिकॉर्ड टूटा। शुक्रवार को रावण दहन पर शहर का प्रदूषण स्तर बीते 24 घंटे में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) 195 तक पहुंच गया। शाम सात बजे चंडीगढ़ का एक्यूआइ 144 दर्ज, पंचकूला का 120 और मोहाली का 135 दर्ज किया गया। बीते साल 25 अक्टूबर को दशहरा पर कोरोना महामारी की वजह से रावण दहन न होने पर शहर का एक्यूआइ 121 दर्ज किया गया था। वहीं, वर्ष 2019 में दशहरे पर 33 जगह रावण के पुतलों का दहन हुआ था। उस समय शहर का एक्यूआइ 147 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया था।
पहले एक्यूआइ ने तोड़े रिकॉर्ड
नवंबर 2017 में एक्यूआइ 400 को पार कर गया था। जिसने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। नवंबर के आस-पास पैडी सीजन में पराली जलना ही एक्यूआइ बढ़ने की सबसे बड़ी वजह माना जाती है। बचाव के लिए एडवाइजरी जारी करनी पड़ी थी। सांस संबंधी रोगियों को सबसे अधिक परेशानी हुई थी। इससे पहले राजस्थान की धूल भरी हवाओं से यह 800 तक भी पहुंच चुका है।
प्रमुख शहरों का शुक्रवार बीते 24 घंटे का एयर क्वालिटी इंडेक्स
चंडीगढ़ 195
लुधियाना 112
अमृतसर 116
अंबाला 149
कुरुक्षेत्र 180
करनाल 220
जानें पॉल्यूशन का एक्यूआई मानक
0-50 अच्छा
51-100, संतोषजनक
101-200 मॉडरेट
201-300 खराब
301-400 बेहद खराब
401-500 बेहद ज्यादा खराब
पराली जलना कितना खतरनाक
एक टन पराली से 1724 किलो जहर
कार्बन डाईऑक्साइड - 1460 किलो
राख - 199 किलो
कार्बन मोनोऑक्साइड - 60 किलो
सल्फर डाईऑक्साइड - 2 किलो
अन्य जहरीले कण - 3 किलो