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राम कृपाल आत्महत्या मामले में हाई कोर्ट के पुलिस को सख्त निर्देश

पति राम कृपाल को आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाले आरोपितों को सजा दिलाने के लिए पीड़ित महिला को जहा पुलिस द्वारा कोई इंसाफ नहीं मिला, तो उस द्वारा पंजाब अगेंस्ट क्रप्शन के मेंबर सतनाम सिंह दाऊ के साथ मिलकर हाई कोर्ट में गुहार लगाई पर आरोपितों के ऊंचे रसूख के कारण आज करीब 2 साल गुजर जाने के उपरात भी पीड़ित महिला की आखे आज भी इंसाफ की राह ताक रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Oct 2018 11:18 PM (IST)Updated: Thu, 25 Oct 2018 11:18 PM (IST)
राम कृपाल आत्महत्या मामले में हाई कोर्ट के पुलिस को सख्त निर्देश
राम कृपाल आत्महत्या मामले में हाई कोर्ट के पुलिस को सख्त निर्देश

जागरण संवाददाता, मोहाली : पति राम कृपाल को आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाले आरोपितों को सजा दिलाने के लिए पीड़ित महिला को जहा पुलिस द्वारा कोई इंसाफ नहीं मिला, तो उस द्वारा पंजाब अगेंस्ट क्रप्शन के मेंबर सतनाम सिंह दाऊ के साथ मिलकर हाई कोर्ट में गुहार लगाई पर आरोपितों के ऊंचे रसूख के कारण आज करीब 2 साल गुजर जाने के उपरात भी पीड़ित महिला की आखे आज भी इंसाफ की राह ताक रही हैं। हालाकि एक बार इस मामले में महिला को गलत ढंग के साथ डीजीपी लैवल के एक अधिकारी की मिलीभुगत के साथ उन पर लगी 306 की धारा को खारिज करवा कर मामले में नामजद एक व्यक्ति की हाई कोर्ट को गुमराह करके जमानत तक करवा ली गई थी और दूसरी तरफ इंसाफ के लिए लड़ रही महिला व समाज सेवी सतनाम सिंह दाऊ पर उल्टा 420 का झूठा मामला दर्ज करवा दिया गया था। परंतु अब जब पीड़ित द्वारा दोबारा हाई कोर्ट को मामले की सच्चाई के बारे में बताया गया तो हाई कोर्ट ने खरड़ पुलिस को करारी फटकार लगाते हुए सारा रिकॉर्ड मागा। 2 साल से दोषियों को बचाती आ रही खरड़ पुलिस ने 22 अक्टूबर को दोषियों के खिलाफ अदालत में चालान पेश किया। पीड़ित महिला ने हाई कोर्ट में गुहार लगाई है कि दोषियों के खिलाफ 306 की धारा को दोबारा दर्ज की जाए और सतनाम सिंह दाऊ व उस पर दर्ज किए झूठे मामले को खारिज किया जाए और मामले की मुख्य आरोपी जसविंदर कौर की जल्द गिरफ्तारी की जाए। दोषियों को सजा दिलाने तक संघर्ष जारी रखा जाएगा और जरुरत पड़ने पर मुख्यमंत्री दफ्तर का घेराव भी किया जाएगा। राम कृपाल आत्महत्या मामले में उसकी पत्नी खरड़ निवासी निर्मला देवी द्वारा हाई कोर्ट में अपील की गई थी। हाई कोर्ट के निर्देशों पर पुलिस को आरोपितों के खिलाफ मामला दर्ज करना पड़ा। इस एफआइआर में आरोपितों की निचली अदालत से लेकर हाई कोर्ट तक जमानत की याचिका मानयोग हाई कोर्ट द्वारा यह कहते हुए रद कर दी थी कि आरोपित व उसके साथियों के खिलाफ कत्ल केस, ठगी मारने व बलात्कार के केसों में फंसाने के कई मामले चलते है और इन केसों की गंभीरता को देखते हुए इस आत्महत्या केस में इनकी जमानतें नहीं हो सकती। परंतु दोषियों जिनमें जसविंदर कौर निवासी फतेहउल्लापुर, हरजीत सिंह सैणी माजरा व रघुबीर सिंह निवासी सैणी माजरा के डीजीपी पंजाब पुलिस के ऑफिस में खास रसूख होने के कारण मानयोग हाई कोर्ट के निर्देशों के बावजूद डायरेक्टर ब्यूरो ऑफ इनवेस्टीगेशन ने दोषियों को गिरफ्तारी से बचाने के लिए दर्ज एफआइआर ही कैंसिल करके एक आरोपी की हाई कोर्ट में जमानत लेने में सीधी मदद कर दी। फिर खटखटाया गया हाई कोर्ट का दरवाजा

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जिसका पता लगने पर पीड़ित द्वारा फिर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया। जिसपर हाई कोर्ट ने तुरंत प्रभाव के साथ स्टे जारी कर दी और सरकारी वकील को कैंसलेशन रिपोर्ट बनाने वाले पुलिस अधिकारियों के बारे में पूछा तो वह कोई स्पष्ट जानकारी कोर्ट को ना दे सके तो केस के जाच अधिकारी ने अदालत को जानकारी दी कि यह केस एक सिट बनाकर डीएसपी खरड़ की निगरानी में दर्ज हुआ था। जिस कारण अदालत ने डीएसपी खरड़ दीप कमल को पेश होने के निर्देश दिए थे। हाई कोर्ट के सख्त निर्देशों के बाद डीएसपी खरड़ को दोबारा हिदायतें दी गई कि इस केस की सही जाच करके अगली तारीख पर केस के साथ संबंधित हर तरह का रिकॉर्ड लेकर अदालत में पेश हों।


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