राजीव ने नौकरी छोड़ की अमरूद की खेती, अब दूसरों को दे रहे रोजगार
खुद की पहचान बनाने के लिए अलग रास्ता बेहद कम चुन पाते हैं।
बलवान करिवाल, चंडीगढ़ : नौकरी के लिए तो हर कोई दौड़ता है, लेकिन नौकरी दांव पर लगाकर खुद की पहचान बनाने के लिए अलग रास्ता बेहद कम चुन पाते हैं। मोहाली निवासी राजीव भास्कर ने खेती को चुना। वह खेती, जिसकी माली हालत देखकर कोई पेरेंट्स अपने बच्चे को किसान नहीं बनाना चाहता। भले ही अच्छी जमीन हो, फिर भी वह बच्चे को किसान नहीं बनने देते। राजीव ने इन सभी पुरानी धारणाओं को तोड़कर आत्मनिर्भरता की एक नई कहानी गढ़ी है। राजीव ने बताया कि पहले वह वीएनआर कंपनी में काम करते थे। लेकिन अमरूद के कई किसानों की इकोनॉमिक्स देखी, तो सोचा क्यों न खुद ही खेती की जाए। इसके बाद नौकरी छोड़कर रायपुररानी में अमरूद की खेती शुरू की। अब नूरपुर बेदी में भी 25 एकड़ में यह अमरूद लगाया है। राजीव जो अमरूद तैयार कर रहे हैं, उसकी कीमत खुली मार्केट में 60 से 220 रुपये तक रहती है। प्रति एकड़ वह नौ से 12 लाख रुपये तक कमा भी रहे हैं। इतना ही नहीं, पहले वह खुद नौकरी करते थे, अब 20 लोगों को अपने बगीचे में काम दे रहे हैं। इनमें महिलाएं भी शामिल हैं। युवा राजीव ने खेती और किसान के प्रति आम धारणा को बदला है। कितना फल लेना है, यह भी खुद करते हैं तय
राजीव ने बताया कि अमरूद के बाग में आम फसलों से कुछ ज्यादा ध्यान दिया जाता है। प्रति पेड़ कितने फल लेने हैं, यह भी वह तय करते हैं। एक एकड़ में 460 पौधे लगाए जा सकते हैं। वह प्रति पेड़ 25 किलोग्राम फल एक सीजन में लेते हैं। साल में दो सीजन फल लिए जाते हैं। जब अमरूद बेर के साइज का होता है, तभी फलों का चयन कर उनकी बैगिग यानी बीमारियों से बचाव के लिए एंटी फाम नेट पन्नी लगा दी जाती है। इसके बाद पूरा फल इसी नेट में तैयार होता है। इसमें सबसे मुश्किल काम फल चयन का ही है। इस अमरूद का मार्केट में औसत रेट 60 रुपये प्रति किलोग्राम तक मिल जाता है। अनुमान लगाएं तो साल में एक एकड़ से 12 लाख रुपये तक की फसल हो जाती है। जिसमें से चार लाख रुपये तक खर्च का लगा सकते हैं। छत्तीसगढ़ से 170 रुपये का मंगवाया पौधा
राजीव ने बताया कि जो पौधा उनके बगीचे में लगा है, वह छत्तीसगढ़ से 170 रुपये प्रति पौधे के हिसाब से मंगवाया था। इस पौधे को ड्रिप इरीगेशन की जरूरत होती है। साथ ही कटिग प्रूनिग से इसकी हाईट भी छह फीट तक रखी जाती है। जिससे पेड़ के पास खड़े होकर बैगिग तुड़ाई जैसे सभी काम आसानी से हो सकें। दो साल बाद फल लिया जा सकता है। वह चुनकर अमरूद छोड़ते हैं, बाकी को गिरा देते हैं, इससे फल का साइज मार्केट के अनुसार लेते हैं। वह एक अमरूद का साइज 500 ग्राम तक रखते हैं। अब खेती घाटे का सौदा नहीं रही। बस इसे करने के तरीके में बदलाव करने की जरूरत है।