बाजवा ने सुखबीर बादल से पूछा सवाल, खर्च हुआ 520 करोड़, घोटाला कैसे हो गया 1000 करोड़ का
सुखबीर बादल ने कांग्रेस सरकार पर 1000 करोड़ के घोटाले का आरोप लगाया था। इस पर मंत्री बाजवा ने कहा कि मैटिरियल तो 520 करोड़ रुपये का खरीदा गया तो 1000 करोड़ का घोटाला कैसे हो गया।
जेएनएन, चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल ने कांग्रेस सरकार पर मनरेगा के तहत मैटिरियल खरीद में 1000 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया। ग्रामीण विकास मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा ने कहा कि मैटिरियल तो 520 करोड़ रुपये का खरीदा गया तो 1000 करोड़ रुपये का घोटाला कैसे हो गया। बाजवा ने सुखबीर के आरोप को बेहद हास्यास्पद करार दिया। कहा ‘इन्हीं गलत नीतियों के कारण आज अकाली दल पंजाब में हाशिये पर आ गया है।’
बता दें, बीते कल सुखबीर बादल ने कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया था कि विधायकों व अधिकारियों की मिलीभगत के कारण मनरेगा के तहत मैटिरियल खरीद में 1000 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। पार्टी प्रधान का आरोप था कि कांग्रेसी विधायकों ने अपने चहेतों को सीमेंट की टाइल्स और बैंच बनाने की फैक्ट्रियां लगवा दी। सुखबीर इस मामले में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर से सीबीआई जांच करवाने की मांग की थी।
ग्रामीण विकास मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा ने कहा कि सुखबीर बादल इसलिए बौखला गए हैं कि मनरेगा के तहत पंजाब में अच्छा काम हो रहा है। वह आरोप लगाकर विकास काम में विघ्न पैदा करके विकास काम को बंद करवाना चाहते हैं। मंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि सुखबीर बादल केंद्र सरकार में अपनी हिस्सेदारी के बलबूते यह विकास कार्य रोकना चाहता है, परंतु उसे यह नहीं पता कि इस योजना के बंद होने से पंजाब में तकरीबन ढाई लाख गरीब परिवारों के चूल्हे बुझ जाएंगे।
उन्होंने कहा कि बादल का झूठ इस तथ्य से ही सिद्ध हो जाता है? कि इस साल मनरेगा के कुल 800 करोड़ रुपये के बजट में से अब तक 390 करोड़ रुपये का कुल खर्च हुआ है। जिसमें से मैटरियल की खरीद पर सिर्फ 88 करोड़ का ही खर्च हुआ है। साल 2017 में बनी कांग्रेस सरकार द्वारा अब तक मैटीरियल पर सिर्फ 520 करोड़ रुपये का ही खर्च किया गया है। पंचायत मंत्री ने सुखबीर से पूछा कि 520 करोड़ रुपये के खर्चे में से 1000 करोड़ रुपये का घपला कैसे संभव है?
बाजवा ने कहा मनरेगा के अंतर्गत 60 प्रतिशत खर्चा लेबर और 40 प्रतिशत खर्चा मैटीरियल पर हो सकता है। और मैटीरियल पर अब तक सिर्फ 22 प्रतिशत ही हुआ है। उन्होंने स्पष्ट किया कि लेबर की अदायगी संबंधी फंड राज्य के खजाने में नहीं आता और लेबर की अदायगी सीधे तौर पर ही भारत सरकार द्वारा लाभपात्रियों के खातों में की जाती है।
राज्य में इस योजना अधीन इस समय पंजाब में तकरीबन दो लाख तीस हजार वर्कर रोजाना काम कर रहे हैं, जबकि पंजाब में लॉकडाउन लगने के समय यह संख्या सिर्फ 60,000 थी। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौर के इस साल में 114 लाख मानवीय दिहाडि़यां पैदा करके गरीब लोगों को रोजगार मुहैया करवाया गया है। उन्होंने साथ ही बताया कि इस योजना के अंतर्गत काम कर रहे कुल वर्करों में 68 प्रतिशत दलित समुदाय से संबंधित हैं और कुल वर्करों में से 58 प्रतिशत महिलाएं हैं।
बाजवा ने कहा कि मौजूदा सरकार ने मनरेगा योजना को इस साल राज्य में बढ़ाकर 1500 करोड़ रुपये पर लेकर जाने का लक्ष्य निश्चित किया गया है, जबकि अकाली दल के शासन के आखिरी साल अर्थात 2016-17 में मनरेगा का कुल बजट सिर्फ 531 करोड़ का था जिसको मौजूदा सरकार पिछले साल 767 करोड़ रुपये पर ले आई थी।