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धार्मिक एकजुटता की मिसाल: इक ओंकार का संदेश देकर भवसागर पार करवाती ये इमारत

आकर्षण से ज्यादा यह भवन धार्मिक एकजुटता और सभी धर्मो के एक होने व गुरु नानक देव जी की बाणी ‘इक ओंकार’ का संदेश देता है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 01 Nov 2019 02:10 PM (IST)Updated: Sat, 02 Nov 2019 09:59 AM (IST)
धार्मिक एकजुटता की मिसाल: इक ओंकार का संदेश देकर भवसागर पार करवाती ये इमारत

पटियाला [बलविंदरपाल सिंह]। पंजाबी यूनिवर्सिटी (Punjabi University) के मुख्य गेट से प्रवेश करते ही सामने आपको भव्य गुरु गोबिंद सिंह भवन नजर आएगा। यूनिवर्सिटी के मुख्य चिन्ह के तौर पर पहचाना जाने वाला यह भवन बाहरी राज्यों व विदेश से आने वाले लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहा है, लेकिन आकर्षण से ज्यादा यह भवन धार्मिक एकजुटता और सभी धर्मो के एक होने व गुरु नानक देव जी की बाणी ‘इक ओंकार’ का संदेश देता है।

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इमारत के बाहर गुरु गोबिंद सिंह जी का संदेश मानस की जात सबै ऐकै पहचानबो लिखा गया है। यह सभी धार्मिक विश्वासों के पैरोकारों को एक ही प्लेटफार्म पर लाने का प्रतीक है। पंजाबी यूनिवर्सिटी के सिख विश्वकोष विभाग के प्रो.परमवीर सिंह ने बताया कि अगर दूर से इस भवन को देखा जाए तो यह एक किश्ती की तरह दिखता है। भवन के चारों तरफ भवसागर रूपी तालाब बनाया गया है, जो संदेश देता है कि धर्म के रास्ते पर चलकर ही इस भव सागर को पार किया जा सकता है। इमारत के पांच अंग हैं जो अलग-अलग धर्मो के प्रतीक हैंं। पांचों अंगों बाद में एकत्र होकर ऊपर एक रोशनी से मिल जाते हैं।

सभी धर्मो की लाइब्रेरी में साधाना का कमरा

गुरु गोबिंद सिंह भवन के पांच अंग है। हर अंग में अध्यापकों के बैठने वाले कमरे संबंधित धर्म की लाइब्रेरी और एक कमरा साधना के लिए रखा गया है। सिख धर्म वाले अंग में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का प्रकाश किया गया है। मर्यादा अनुसार छोटे-छोटे समागम या फिर विभिन्न धार्मिक व अकादमिक कार्य यहां किए जाते है। सिख अध्ययन के स्टूडेंट्स को यहां गुरमति मर्यादा की शिक्षा दी जाती है। बाकी के चार अंग हिंदू, मुस्लिम, ईसाई व बौद्ध धर्म का प्रतीक हैं। ये सभी विभाग इसी तरह संचालित हो रहे हैं।

हालांकि यह पांच अंग देखने में अलग-अलग नजर आते है, लेकिन इमारत के ऊपर देखा जाए तो सभी अंग आप में जुड़कर एक रोशनी से जा मिलते हैं, जो सभी के एक होने का संदेश देती है। इस रोशनी अथवा ज्योति को परमसत्य व परमज्ञान का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा भवन के बाहर एक दिल के आकार वाली कलाकृति भी मौजूद है जो एक बंदगी का प्रतीक है। इसके नीचे लिखे शब्द परमात्मा के चरणों में शांति प्राप्त होने का प्रगटावा करते है। इसके बीच में बना गोलाकार छेक मन की पारदर्शिता की तरफ संकेत करता है।

गुरु नानक देव जी के 500 साला पर हुआ था इमारत का उद्घाटन

गुरु गोबिंद सिंह भवन का उद्घाटन श्री गुरु नानक देव जी के 500वें प्रकाश पर्व के शताब्दी समारोह के दौरान 2 सिंतबर 1969 को किया गया। इस दौरान अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन भी किया गया, जिसमें देश-विदेश से 60 से ज्यादा विद्वानों ने शिरकत की थी। भवन की इमारत का नींवपत्थर तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन ने 27 दिसंबर 1967 को रखा था। 2 सिंतबर 1969 को तत्कालनी मुख्यमंत्री गुरनाम सिंह ने इसका उद्घाटन किया।

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