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Punjab Politics: पंजाब में सस्ती के साथ-साथ निर्बाध बिजली आपूर्ति का बड़ा लक्ष्य सरकार के सामने होगा

Punjab Politics पंजाब में मार्च में जो नई सरकार बनेगी उसके लिए यह कठिन काम होगा क्योंकि उसके एकदम बाद गर्मी का मौसम शुरू हो जाएगा। सस्ती के साथ-साथ निर्बाध बिजली आपूर्ति का बड़ा लक्ष्य उसके सामने होगा।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 02 Nov 2021 02:03 PM (IST)Updated: Tue, 02 Nov 2021 02:03 PM (IST)
Punjab Politics: पंजाब में सस्ती के साथ-साथ निर्बाध बिजली आपूर्ति का बड़ा लक्ष्य सरकार के सामने होगा
राज्य की आमदनी बढ़ाने का रोडमैप तैयार करना चाहिए।

चंडीगढ़, राज्य ब्यूरो। चुनाव से तीन माह पहले पंजाब में कांग्रेस सरकार ने कर्मचारियों व बिजली उपभोक्ताओं के लिए महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं जिनसे निश्चित तौर पर राज्य की बड़ी जनसंख्या लाभान्वित होगी। कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 11 प्रतिशत करने, घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दरों में तीन रुपये की कटौती करने और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) के लिए बिजली के फिक्स चार्जेस 50 प्रतिशत करने की घोषणाएं लोकलुभावन हैं।

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मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने सोमवार को मंत्रिमंडल की बैठक के बाद खुद यह घोषणाएं करते हुए इसे लोगों को दीवाली का उपहार कहा है लेकिन यह सभी को ज्ञात है कि इस समय में ऐसी घोषणाएं करना सरकार की मजबूरी भी है। राज्य में सत्ता परिवर्तन हुए सवा माह हो गया है और अब लगभग साढ़े तीन माह सरकार के बाकी बचे हैं। ऐसे में कुछ तो करके दिखाना ही होगा। कर्मचारियों को ज्यादा महंगाई भत्ता देने से सरकार पर 440 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। बिजली की दरें तीन रुपये प्रति यूनिट करने के लिए 3316 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी देनी पड़ेगी। सरकार पर पहले ही दो लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज है।

चुनौती यह है कि इन घोषणाओं पर अमल होता रहे। मुख्यमंत्री का कहना है कि उन्होंने सर्वे कराया है जिसमें यह बात सामने आई है कि लोग मुफ्त नहीं बल्कि निर्बाध व सस्ती बिजली चाहते हैं। मार्च में जो नई सरकार बनेगी, उसके लिए यह कठिन काम होगा क्योंकि उसके एकदम बाद गर्मी का मौसम शुरू हो जाएगा। सस्ती के साथ-साथ निर्बाध बिजली आपूर्ति दी जा सके, यह बड़ा लक्ष्य सरकार के सामने होगा।

सरकार पहले ही दो किलोवाट तक के कनेक्शन वालों को दो सौ यूनिट बिजली मुफ्त देने की घोषणा कर चुकी है। उस पर भी 1200 करोड़ रुपये वहन करने होंगे। हालांकि मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि इन सबसे राज्य के कोष पर कोई खास असर नहीं पड़ने वाला लेकिन उनकी ही पार्टी के राज्य अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की इस बात पर भी गौर किया जाना चाहिए कि राज्य की आमदनी बढ़ाने का रोडमैप तैयार करना चाहिए।


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