किसान आंदोलन के बहाने पंजाब में बिछ गई चौसर, पीएम मोदी के इर्द-गिर्द घूमने लगी पंजाब की राजनीति
हकीकत में दो मुख्यमंत्री (कैप्टन अमरिंदर सिंह और अरविंद केजरीवाल) और एक पूर्व उप मुख्यमंत्री (सुखबीर बादल) के बीच चल रहे इस वाक युद्ध के जरिये सभी राजनीतिक दल 2022 में होने वाले विधान सभा चुनाव की नींव रख रहे है।
कैलाश नाथ, चंडीगढ़। किसान आंदोलन के बहाने पंजाब में चौसर बिछ गई है। पारखी नजर रखने वाले यह भांप सकते हैं कि अगले चुनाव में किसानों का वोट पाने की आस में दो मुख्यमंत्री और एक पूर्व मुख्यमंत्री एक-दूसरे के खिलाफ मुखर हो गए हैं। वे भले ही एक दूसरे के खिलाफ जहर उगल रहे हों लेकिन अपना गढ़ बचाने या जमाने के लिए यह जाहिर करने की भरसक कोशिश कर रहे हैं कि वो और उनकी पार्टी किसानों के साथ है और बाकी सब केंद्र से मिल गए हैं..
पंजाब में राजनीति की धुरी : पंजाब की राजनीति में एक नया मोड़ आ गया है। एक तरफ राजनीतिक पार्टियों में किसानों की सबसे बड़ी हितैषी पार्टी होने की दौड़ लगी हुई है तो दूसरी तरफ राजनीतिक पार्टियां एक-दूसरे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या केंद्र सरकार की करीबी साबित करने में जुटी हुई है। कृषि सुधार कानून बनने के बाद प्रधानमंत्री पंजाब में राजनीति की धुरी बनते जा रहे है। पंजाब में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी हो या विपक्षी दल आम आदमी पार्टी या शिरोमणि अकाली दल। सभी पार्टियां एक-दूसरे पर जब भी आरोप लगा रहे है तो उनका केंद्र बिंदु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या केंद्र सरकार ही बन रही है।
मैं किसानों का सेवादार हूं-केजरीवाल : अहम पहलू यह है कि सभी राजनीतिक दल एक-दूसरे से केंद्र सरकार के साथ मिलीभगत करने का आरोप लगा रहे है। जिसकी वजह से भले ही किसान भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ नारे लगा रहे हो, लेकिन चाहते न चाहते हुए भी मोदी के इर्द-गिर्द पंजाब की पूरी राजनीति घूमने लगी है। दिल्ली में जब केजरीवाल सरकार ने नए कृषि कानून को नोटिफाई किया तो मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर केंद्र सरकार से मिलीभगत करने का आरोप जड़ दिया। जिस पर केजरीवाल ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा कि कैप्टन जी, मैं शुरू से ही किसानों के साथ खड़ा हूं। दिल्ली के स्टेडियम जेल नहीं बनने दी, केंद्र से लड़ा। मैं किसानों का सेवादार हूं। आप तो अपने बेटे के ईडी केस माफ करवाने के लिए केंद्र से सेटिंग कर ली।
पंजाब की राजनीति का यह सबसे रोमांचक पहलू है कि सभी राजनीतिक पार्टियां एक-दूसरे पर मोदी या केंद्र सरकार के साथ सांठगांठ करने के आरोप लगा रही है। कैप्टन अमरिंदर सिंह अकाली दल को हमेशा ही आड़े हाथों लेते हुए कहते आ रहे है कि भले ही दोनों पार्टियों का गठबंधन टूटा है, लेकिन दिल जुड़े हुए है। वहीं, अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल यही आरोप कैप्टन पर लगा रहे है कि वह ईडी के केसों के लिए केंद्र के साथ मिल गए। हालांकि, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी दोनों ही राजनीतिक पार्टियों पर पलटवार किया कि वह किसी ईडी या जांच एजेंसी से नहीं डरते है।
भले ही लोग यह न समझ पा रहे हो कि कौन किसके साथ मिला है, लेकिन राजनीतिक पार्टियों की आपसी नूराकुश्ती चर्चा का केंद्र बनी हुई है। किसानों की हितैषी होने की दौड़ भले ही अभी भी चल रही हो, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पंजाब की राजनीतिक धुरी बनते जा रहे हैं। अब चुनाव इसी आधार पर होगा।