पंजाब की सियासत के पर्दे के पीछे: कमाल, आप के प्रदेश प्रधान भगवंत मान का पीए सुखबीर
पंजाब की सियासत में पर्दे के पीछे भी काफी कुछ चलता रहता है। पर्दे के पीछे की यह राजनीति बेहद रोचक होती है और इसमेें कई दिलचस्प वाक्ये होते हैं। ऐसे घटनाओं के बारे मेें हमारे स्तंभ पर्दे के पीछे में पढ़ें।
चंडीगढ़़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। पंजाब की राजनीति आजकल केंद्री कृषि कानूनों और इसके विरोध में किसानों के आंदोलन के कारण गर्माई हुई है। इसके साथ ही राज्य की सियासत में पर्दे के पीछे भी काफी कुछ चलता है। पर्दे के पीछे कई रोचक घटनाएं होती हैं। पढ़ें पिछले दिनों हुए ऐसे ही दिलचस्प घटनाक्रम के बारे में।
भगवंत मान और सुखबीर बादल का खास नाता
राजनेता अक्सर चुनाव के समय अपने विपक्षी के नाम वाले उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतार देते हैैं ताकि वोटर भ्रम में डमी उम्मीदवार को वोट डाल दें और विपक्षी उम्मीदवार को मिलने वाले वोट कम हो जाएं। ऐसा उन सीटों पर ज्यादा होता है जहां टक्कर कांटे की हो। इसका किसी को फायदा हुआ या नहीं, इसका तो पता नहीं लेकिन नाम को लेकर आजकल भगवंत मान के पीए चर्चा में हैैं। उन्हें बुलाना हो तो कई बार दुविधा खड़ी हो जाती है। आप के पंजाब प्रधान व सांसद भगवंत मान इस कोशिश में रहते हैैं कि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल पर उनका कोई वार खाली न जाए। भगवंत मान अक्सर सुखबीर बादल के लिए कई नाम प्रयोग करते हैैं, लेकिन जब किसी काम के लिए अपने पीए सुखबीर को बुलाने के लिए किसी से कहते हैं तो लगता है कि सुखबीर बादल को बुलाने के लिए कह रहे हैैं।
कांग्रेस ने इसलिए नहीं दिया धरना
कांग्रेस हाईकमान ने दलितों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ राज्य इकाइयों को 6 नवंबर को धरने देने के लिए कहा, परंतु पंजाब में कांग्रेस सरकार की ओर से ऐसा नहीं किया गया। यहां तक कि चंडीगढ़ की इकाई ने धरना देकर केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। अंदर की बात यह थी कि दलितों के मुद्दों पर प्रदेश की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार खुद ही घिरी हुई है। स्कॉलरशिप घोटाले में मंत्री साधू सिंह धर्मसोत विपक्ष के निशाने पर रहे हैं।
धर्मसोत के खिलाफ शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी ने अनुसूचित जाति के बच्चों का पैसा हड़प करने के आरोप लगाते हुए लगातार धरने दिए। जबकि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह लगातार अपने मंत्री को बचाते आ रहे हैं। ऐसे में अगर कांग्रेस अनुसूचित जाति के लोगों पर हो रहे अत्याचार की बात करती तो विपक्षी पाॢटयां एक बार फिर मंत्री साधू सिंह धर्मसोत को घेर लेतीं।
नेता जी की झूठी बल्ले बल्ले
आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रधान भगवंत मान इन दिनों खासे सक्रिय हो गए हैैं और वह कांग्रेस व अकाली-भाजपा पर वार करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे। फिर बात चाहे दिल्ली से आए आदेशों पर अमल करके तुरंत धरने देने की ही क्यों न हो। लेकिन, पिछले दिनों भगवंत मान ने एक प्रेस नोट जारी करके दावा किया कि कृषि सुधार कानूनों के मामले में वह पार्टी विधायकों और वरिष्ठ नेताओं के साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मिले। उसी दिन केजरीवाल ने भी यह बयान जारी कर दिया कि अगर केंद्र सरकार सभी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं देती तो राज्य सरकार को ऐसा करने के लिए कानून लाना चाहिए। मीडिया में अरविंदर केजरीवाल और भगवंत मान के बयान प्रकाशित हुए। बाद में पता चला कि भगवंत मान चंडीगढ़ में थे और केजरीवाल से नहीं मिले। केजरीवाल से तो विपक्ष के नेता हरपाल चीमा मिले थे।
भाजपा बन गई रेलवे की पीआरओ
पंजाब में रेल गाडिय़ों को चलाने के लिए राज्य सरकार और रेलवे के बीच गतिरोध बना हुआ है। पंजाब सरकार ने केंद्र सरकार और रेल मंत्रालय को रेलवे ट्रैक खाली होने के बारे में सूचित करते हुए कहा कि मालगाडिय़ों के लिए ट्रैक क्लीयर है, जबकि उसी दिन रेलवे का कहना था कि ट्रैक पर 23 जगह किसान अब भी धरना दे रहे हैं। इसे लेकर आम लोगों में दुविधा बनी हुई थी कि क्या गाडिय़ां चलेंगी या नहीं। इसी बीच स्थिति स्पष्ट करने के लिए रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके यादव ने दिल्ली में मीडिया से बात की। भले रेलवे के पास लोक संपर्क विभाग का पूरा तंत्र है लेकिन पंजाब में लोक संपर्क का यह काम भाजपा ने किया। ऐसा हो भी क्यों न, जब कृषि सुधार कानूनों को लेकर अन्य पाॢटयां किसानों के संघर्ष का समर्थन कर रही हैं तो भाजपा को बचाव तो करना ही है।
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