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कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने कहा- पंजाब ने कभी नहीं किया कृषि अध्यादेशों का समर्थन

मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि पंजाब ने कभी कृषि अध्‍यादेशों का समर्थन नहीं किया है। उन्‍होंने संसद में इनको लेकर बिल पेश करने की आलोचना की।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 15 Sep 2020 09:07 AM (IST)Updated: Tue, 15 Sep 2020 09:07 AM (IST)
कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने कहा- पंजाब ने कभी नहीं किया कृषि अध्यादेशों का समर्थन
कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने कहा- पंजाब ने कभी नहीं किया कृषि अध्यादेशों का समर्थन

चंडीगढ़, जेएनएन। मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि पंजाब ने कभी केंद्र सरकार के कृषि अध्‍यादेशों का समर्थन नहीं किया। उन्‍होंने सोमवार को संसद के मानसून सत्र में कृषि अध्यादेश को लेकर लाए गए बिल का कड़ा विरोध किया है। कैप्टन अमरिंदर ने कहा कि कृषि अध्यदेशों को तैयार करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से पंजाब सरकार से कोई राय तक नहीं ली गई। 

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उन्‍होंने कहा कि कृषि अध्यादेशों के लिए जुलाई 2019 में बनाई गई हाई पावर कमेटी से बाहर ही रखा गया था। जब राज्य सरकार ने पंजाब को बाहर रखे जाने का विरोध किया तब अगस्त 2019 में पंजाब को शामिल किया गया लेकिन तब तक कमेटी पहली बैठक कर चुकी थी ।

कहा, कृषि अध्यादेशों के लिए जुलाई 2019 में बनी हाई पावर कमेटी से पंजाब को बाहर रखा गया

कैप्टन ने कहा कि 16 अगस्त 2019 को हुई दूसरी बैठक में वित्त मंत्री मनप्रीत बादल ने पंजाब का प्रतिनिधित्व किया। इस बैठक में केवल कृषि से संबंधित वित्तीय मुद्दों पर ही विचार किया गया था। कृषि अध्यादेशों और उनके प्रावधान पर कोई चर्चा नहीं हुई। इसी तरह तीन सितंबर 2019 को कृषि सचिवों की बैठक में भी पंजाब ने एपीएमसी एक्ट को कमजोर करने का जोरदार विरोध किया।

अगस्त 2019 में कमेटी में शामिल किया तो इसके बाद हुई किसी भी बैठक में अध्यादेशों पर चर्चा नहीं हुई

मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि अध्यादेशों को लेकर हाई पावर कमेटी की ड्राफ्ट रिपोर्ट जब सभी राज्यों को भेजी गई तब भी पंजाब ने अपना स्टैंड दोहराया और इस कदम का विरोध करते हुए इसे किसान पक्षीय बनाने के लिए कहा था। इसके बावजूद केंद्र सरकार ने पंजाब के मुद्दों की ओर ध्यान नहीं दिया। इसके बाद कोई बैठक नहीं हुई और कोरोना महामारी के बीच केंद्र सरकार ने जून 2020 में अध्यादेश जारी कर दिए।

उन्‍होंने कहा कि गैर पारदर्शी ढंग से जारी किए गए अध्यादेशों से साफ है कि केंद्र सरकार किसानों के हितों की सुरक्षा करने की बजाए शांताकुमार कमेटी की रिपोर्ट को किसी भी ढंग से लागू करना चाहती है। इस कमेटी ने धीरे-धीरे एमएसपी को समाप्त करने और एफसीआई को खत्म करने की सिफारिश की हुई है। कैप्टन ने स्पष्ट किया कि यह अध्‍यादेश पंजाब को मंजूर नहीं हैं। यह फेडरल ढांचे के अनुरूप भी नहीं हैं, क्योंकि कृषि राज्यों का विषय है।

कृषि अध्यादेश के खिलाफ राज्यपाल से मिलेंगे कैप्टन

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर ने केंद्र सरकार के उस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है जिसमें कृषि अध्यादेश तैयार करने के लिए बनाई गई कमेटी में पंजाब को शामिल करने की बात कही गई है। सोमवार को लोकसभा में विधेयक पेश करते समय केंद्रीय खाद्य एवं आपूर्ति राज्यमंत्री रावसाहेब पाटील ने दावा किया था कि इन अध्यादेश को लागू करने से पहले सभी राज्यों को विश्वास में लिया गया था।

बाजवा और दूलो ने किया प्रदर्शन

कृषि अध्यादेशों के खिलाफ राज्य सभा सदस्य प्रताप ङ्क्षसह बाजवा और शमशेर सिंह दूलो ने संसद परिसर के बाहर प्रदर्शन किया। दोनों नेताओं ने कहा कि पंजाब के किसान इन अध्यादेशों को किसी भी तरह बर्दाश्त नहीं करेंगे।

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