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किसान संगठनों के प्रमुखों से मिले पंजाब के मंत्री, यात्री गाड़ियां चलाने देने की अपील

पंजाब के 30 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से मिलकर तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा व कुलदीप नागरा ने मिलकर अपील की कि वह राज्य में यात्री गाड़ियां न चलाने की जिद छोड़े। कहा कि इससे पंजाब को नुकसान हो रहा है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Wed, 18 Nov 2020 03:24 PM (IST)Updated: Wed, 18 Nov 2020 03:24 PM (IST)
किसान संगठनों के प्रमुखों से मिले पंजाब के मंत्री, यात्री गाड़ियां चलाने देने की अपील
किसानों से यात्री ट्रेने चलने देने की अपील। सांकेतिक फोटो

जेएनएन, चंडीगढ़। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ संघर्ष कर रहे 30 किसान संगठनों से पंजाब के मंत्रियों ने आज फिर अपील की है कि वे यात्री गाड़ियों को चलने दें। 26-27 नवंबर को दिल्ली का घेराव करने, 13 नवंबर को केंद्रीय मंत्रियों से हुई बातचीत आदि पर विचार करने के लिए बुलाई गई किसान संगठनों की मीटिंग में पंजाब के मंत्रियों ने उनसे यह अपील की। 

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वहीं, किसान संगठनों ने कहा कि 13 नवंबर को हुई मीटिंग में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल का व्यवहार सही नहीं था। वह जिस तरह से धमकी भरी बातें कर रहे थे उससे किसान नाराज नजर आए। उनसे बातचीत करके लौटे ग्रामीण विकास मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा और विधायक कुलजीत नागरा ने कहा कि घर बुलाकर किसानों को अपमानित करना पीयूष गोयल को शोभा नहीं देता।

तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा ने कहा कि आज हमने एक बार फिर से किसानों से अपील की कि रेल न चलने से पंजाब का ही नुकसान हो रहा है, इसलिए उन्हें बड़ा दिल करके रेलवे ट्रैक, परिसर आदि खाली कर देनेे चाहिए। इस पर किसानों ने उनसे कहा कि देश में 58 फीसद यात्री ट्रेनें चल रही हैं बाकी बंद हैँ, क्या वह हमारे आंदोलन के कारण बंद हैँ। राजस्थान में केवल एक ही ट्रैक पर गुर्जर आंदोलन चल रहा है, क्या वहां पूरे प्रदेश की ट्रेनें रेलवे ने बंद कर रखी हैं। किसान नेताओं ने मंत्रियों से कहा कि केंद्र सरकार केवल पंजाब को खराब करने के इरादे से कोई भी ट्रेन चलाना नहीं चाहती और इसका ठीकरा हम पर फोड़ा जा रहा है।

विधायक कुलजीत नागरा ने कहा कि केंद्र सरकार, पंजाब को जानबूझकर संकट में डाल रहा है। हमारे साथ सौतेला व्‍यवहार किया जा रहा है। इनकी नीति और नीयत में फर्क है। हमने किसानों से भी कहा है कि वे यात्री गाड़ियों को चलने दें। नागरा ने कहा कि पंजाब में पिछले दो महीनों से किसान संगठन आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन एक भी कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है, पूरा आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है। किसान तो रेलवे ट्रैक से भी हट गए हैँ, लेकिन केंद्र सरकार ने एक भी कदम आगे नहीं बढ़ाया है। उद्योगपतियों का सामान बनकर तैयार है, लेकिन केंद्र सरकार जानबूझकर रेलगाड़ियां नहीं चला रही है।


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