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बंदरों को मारने की छूट देने से हाई कोर्ट का इंकार, कहा- जानवरों के आतंक के लिए असल में लोग जिम्मेदार

चंडीगढ़ निवासी दिव्यम ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कहा था कि बंदरों के आतंक के चलते लोगों का जीना मुहाल हो गया है। बंदरों के आतंक के चलते लोग खुद को अपने घरों में बंधक सा महसूस करते हैं और बच्चे पार्क तक नहीं जा पाते।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Fri, 25 Sep 2020 10:20 AM (IST)Updated: Fri, 25 Sep 2020 10:20 AM (IST)
बंदरों को मारने की छूट देने से हाई कोर्ट का इंकार, कहा- जानवरों के आतंक के लिए असल में लोग जिम्मेदार
चंडीगढ़ में कई बंदर पकड़ कर सुखना वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में छोड़े गए हैं। (फाइल फोटो)

चंडीगढ़, जेएनएन। अगर किसी जानवर की संख्या बढ़ती जा रही है और वो हिंसक हो रहें हैं तो ऐसे में उसको मारना कोई समाधान नहीं है, यह टिप्पणी पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने चंडीगढ़ में बंदरों की संख्या बढऩे के खिलाफ एक याचिका का निपटारा करते हुए की। चंडीगढ़ निवासी दिव्यम ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कहा था कि बंदरों के आतंक के चलते लोगों का जीना मुहाल हो गया है। बंदरों के आतंक के चलते लोग खुद को अपने घरों में बंधक सा महसूस करते हैं और बच्चे पार्क तक नहीं जा पाते। बंदर लोगों से उनका सामाना छीन लेते हैं।

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निगम ने वन विभाग के साथ बनाई है ज्वाइंट टास्क फोर्स

इस पर हाई कोर्ट ने चंडीगढ़ नगर निगम से जवाब तलब किया तो उन्होंने कोर्ट को बताया कि निगम ने वन विभाग के साथ मिलकर ज्वाइंट टास्क फोर्स बनाई है। निगम की ओर से बताया गया कि लोगों द्वारा कचरे को खुले में फेंकने और बंदरों को भोजन देने से बंदरों का आतंक बढ़ रहा है। बंदरों के आतंक से निपटने के लिए 24 घंटे सात दिन की हेल्पलाइन के लिए दो अतिरिक्त अटेंडेंट नियुक्त किए गए हैं जो 30 मिनट के भीतर शिकायत का निवारण करेंगे। विशेष पिंजरे बंदरों को पकडऩे के लिए लाए गए हैं और कई बंदर पकड़ कर सुखना वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में छोड़े गए हैं।

बंदरों के आतंक के लिए असल में लोग जिम्मेदार

याचिकाकर्ता ने कहा कि बंदर को हिमाचल प्रदेश की तरह हिंसक जानवर घोषित किया जाए। हाई कोर्ट ने इस सुझाव को क्रूर और कायरतापूर्ण बताते हुए इससे इंकार कर दिया। हाई कोर्ट ने ज्वाइंट टास्क फोर्स द्वारा लोगों को बंदरों के आतंक से राहत दिलाने के लिए बनाए गए एक्शन प्लान पर गंभीरता से काम करने के आदेश दिए हैं। साथ ही छह माह में कितने बंदर पकड़े गए और कितनों को उनके प्रकृतिक निवास में छोड़ा गया इसकी जानकारी स्टेटस रिपोर्ट के माध्यम से सौंपने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि बंदरों के आतंक के लिए असल में लोग जिम्मेदार हैं और यह बंदरों का आतंक नहीं बल्कि लोगों द्वारा खुद बुलाई गई मुसीबत है। यदि बंदरों की संख्या बढ़ती है तो उनकी गणना के बाद उनकी नसबंदी के लिए केंद्र स्थापित किया जाए।

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