पंजाब में किसानों के पंपोंं को सोलर पैनल से जोड़ कर फ्री बिजली का बोझ कम करेगी सरकार
पंजाब में किसानों को फ्री बिजली देने से राज्य सरकार को हरेक वर्ष 7000 करोड़ रुपये का वित्तीय बोझ उठाना पड़ता है। सरकार अब किसानों के पंपों को सोलर पैनल के साथ जोड़ने की योजना पर काम कर रही है।
चंडीगढ़ [कैलाश नाथ]। पंजाब के किसानों को मिलने वाली फ्री बिजली हमेशा ही सरकारों की नजर में खटकी रहती है। किसानों को फ्री बिजली देने से राज्य सरकार को हरेक वर्ष 7,000 करोड़ रुपये का वित्तीय बोझ उठाना पड़ता है। इसका सीधा असर शहरी लोगों पर पड़ता है। राजनीतिक दबाव होने के कारण कोई भी सरकार फ्री बिजली बंद या उसका बोझ कम करने की हिम्मत नहीं जुटा पाती है। फ्री बिजली के बोझ को किश्तवार ढंग से कम करने के लिए पंजाब सरकार अब विचार कर रही है। पंजाब सरकार अब किसानों के मोटर को सोलर पैनल से जोड़ने की योजना बना रही है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस संबंध में एक उच्च स्तरीय बैठक भी बुला ली है।
पंजाब में फ्री बिजली को लेकर लंबे समय से खींचतान चली आ रही है, क्योंकि शहरी लोगों का यह आरोप रहता है कि सरकार किसानों को तो फ्री बिजली देती है, लेकिन उसका बोझ शहरी लोगों पर डाल देती है। यही कारण है कि पंजाब में सारे खर्चे डालकर प्रति यूनिट 8 रूपये से महंगी बिजली पड़ रही है, जबकि किसानों को सरकार हरेक साल 7,000 करोड़ रुपये की फ्री बिजली दे रही है। वित्तमंत्री मनप्रीत बादल का कहना है कि अभी इस योजना पर चर्चा हो रही है।
14.50 लाख ट्यूबवेल अनसुलझी पहेली है
सरकारी आंकड़ों के अनुसार पंजाब में 17.50 लाख किसान खेती कर रहे हैंं। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह यह दावा करते रहे हैंं कि पंजाब में 65 फीसदी किसान के पास 2 एकड़ से ज्यादा की जमीन नहीं है। इन आंकड़ों को सही माना जाए तो तकरीबन 10.50 लाख किसान के पास 2 एकड़ से कम जमीन है, जबकि राज्य में 14.50 लाख ट्यूबवेल कनेक्शन है। अक्सर ही यह सवाल उठते रहते हैंं कि जब 2 एकड़ जमीन वाला किसान ट्यूबवेल का खर्च नहीं उठा सकता तो फिर यह कनेक्शन किनके पास है।
यही कारण है कि सरकार पर अक्सर ही किसानों को दी जाने वाली फ्री बिजली को बंद करने का दबाव भी पड़ता रहता है। फ्री बिजली का बोझ कम करने के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 2019 के बजट सत्र में विधायकों व आम लोगों से फ्री बिजली कनेक्शन सरेंडर करने की अपील की थी।
मुख्यमंत्री की इस अपील का कोई खास असर नहीं पड़ा। कुछेक विधायकों ने ही फ्री बिजली कनेक्शन सरेंडर किए। जिसमें मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, कांग्रेस के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़, कुलजीत नागरा सरीखे लोग शामिल थे। हकीकत यह है कि फ्री बिजली का लाभ छोटे किसानों के बजाय बड़े किसान उठा रहे हैंं। इसके बावजूद किसानों को गरीब बताते हुए सरकारें फ्री बिजली से छेड़छाड़ करने की हिम्मत नहीं उठा पाती है।
मोंटेक सिंह आहलूवालिया ने भी उठाई थी उंगली
कोविड-19 से हुए नुकसान से उबरने के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अर्थशास्त्री मोंटेक सिंह आहलूवालिया की अध्यक्षता में कमेटी बनाई थी। आहलूवालिया ने भी अपनी रिप्रोर्ट में फ्री बिजली बंद करने की सिफारिश की थी, जिसे लेकर पंजाब में राजनीतिक गर्मी आ गई थी। इसके बाद मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि किसानों को मिलने वाली फ्री बिजली बंद नहीं होगी।
सोलर पैनल से मोटरों को जोड़ने की योजना
पंजाब सरकार अब यह विचार कर रही है कि किसानों के मोटर को सोलर पैनल से जोड़ दिया जाए। सरकार यह मान रही है कि इसे चरणबद्ध ढंग से किया जाए तो 10 से 12 वर्षों में मोटर कनेक्शन को सोलर पैनल से जोड़ा जा सकता है। चूंकि राज्य सरकार हरेक साल 7000 करोड़ रुपये फ्री बिजली पर खर्च कर ही रही है। अतः अगर इस पैसे का उपयोग सोलर पैनल पर किया जाए तो न सिर्फ फ्री बिजली का बोझ आने वाले 10 से 12 वर्षों में खत्म हो जाएगा। बल्कि इतने ही वर्षों के बाद किसान बिजली बेचने की स्थिति में भी आ जाएगा। इसे लेकर मुख्यमंत्री ने प्रयास शुरू कर दिए हैंं।