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कोटकपूरा गोलीकांड: हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची पंजाब सरकार

कोटकपूरा फायरिंग केस के मामले में पंजाब सरकार हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। कैप्टन की मंजूरी मिलने के बाद सरकार ने स्पेशल लीव पटीशन दायर की है। पूर्व डीजीपी सैनी की गिरफ्तारी के अगले ही दिन सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 20 Aug 2021 10:37 AM (IST)Updated: Fri, 20 Aug 2021 10:37 AM (IST)
कोटकपूरा फायरिंग व सुप्रीम कोर्ट की फाइल फोटो।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। यह संयोग है या योजनाबद्ध रणनीति कि बुधवार रात को पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी को विजिलेंस ने गिरफ्तार किया और अगले ही दिन वीरवार को कोटकपूरा गोलीकांड मामले में पंजाब सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी। दिलचस्प पहलू यह भी है कि कोटकपूरा गोलीकांड मामले में हाई कोर्ट के फैसले के बाद सरकार ने नई एसआइटी का गठन भी कर दिया है और अब सरकार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गई है।

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स्पेशल लीव पटीशन (एसएलपी) को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से मंजूरी मिलने के बाद गृह विभाग ने भी मंजूरी दे दी थी। हालांकि एसएलपी में सरकार की ओर से क्या कहा गया है इसकी जानकारी सामने नहीं आ पाई है। सूत्रों का कहना है कि एसएलपी दायर कर सरकार अपने खिलाफ उठ रही आवाज को शांत करना चाहती है।

कोटकपूरा गोलीकांड मामले में घिरी कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार पर न केवल विपक्ष बल्कि सरकार के अपने मंत्री, विधायक और खासतौर पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू भी निशाना साध रहे हैं। सूत्रों के अनुसार कैप्टन सरकार का मानना है कि हाई कोर्ट ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर फैसला लिया है। इस केस में मात्र एक इंस्पेक्टर गुरदीप ने अपने लिए इंसाफ की मांग की थी लेकिन हाई कोर्ट ने पूरी जांच रिपोर्ट पर ही सवाल उठाते हुए इसे रद कर दिया था, जबकि यह मामला अभी ट्रायल कोर्ट में चल रहा है।

सूत्रों के अनुसार सरकार का मानना है कि जब तक ट्रायल कोर्ट का कोई फैसला नहीं आता तब तक हाई कोर्ट की ओर से जांच को चुनौती कैसे दी जा सकती थी। गौरतलब है कि हाई कोर्ट ने अपने 89 पन्नों के आदेश में 60 पन्नों में केवल जांच प्रमुख कुंवर विजय प्रताप सिंह के व्यवहार पर ही सवाल उठाए थे। हाई कोर्ट ने नौ अप्रैल, 2021 को फैसला सुनाया और 24 अप्रैल, 2021 को अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया था।

वहीं एसएलपी को लेकर गृह सचिव अनुराग अग्रवाल और एडवोकेट जनरल अतुल नंदा के बीच सहमति नहीं बन रही थी। अनुराग चाहते थे कि हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाए लेकिन एडवोकेट जनरल का कहना था कि हाई कोर्ट ने इस मामले में तीन विकल्प दिए थे। सरकार ने पुरानी एसआइटी रद करके नई एसआइटी बनाने का विकल्प चुन लिया है और अब यह केस सुप्रीम कोर्ट में स्टैंड कैसे करेगा।

सूत्रों के अनुसार कैप्टन सरकार के लिए एसएलपी फाइल करना राजनीतिक तौर पर बहुत जरूरी हो गया था। हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद कांग्रेस के ही कई नेताओं ने कैप्टन अमरिंदर सिंह की खिलाफत शुरू कर दी। इस मामले में पंजाब कांग्रेस का अंतर्कलह बढ़ने पर पार्टी हाईकमान ने सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया। सभी नेताओं को सुनने के बाद कमेटी की ओर से मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को जो 18 सूत्रीय कार्यक्रम दिया गया उसमें कोटकपूरा गोलीकांड मामला भी शामिल है।


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