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Farmers Protest News: सियासी दलों और किसान आंदोलन ने बढ़ाई जनता की परेशानी

सियासी दलों और किसानों से परेशान हो रही जनता के बारे में सोचना चाहिए। हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कह चुका है कि यातायात रोकने का अधिकार किसी को नहीं है। सरकार की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह यतायात बहाल रखने पर ध्यान दे।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 27 Nov 2020 09:53 AM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2020 03:03 PM (IST)
Farmers Protest News: सियासी दलों और किसान आंदोलन ने बढ़ाई जनता की परेशानी
कोई भी सियासी दल किसानों को नाराज नहीं करना चाहता है।

चंडीगढ़, जेएनएन। जैसी आशंका जताई जा रही थी वही हुआ। केंद्र सरकार की ओर से लाए गए कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ दिल्ली में प्रदर्शन करने जा रहे पंजाब के किसानों के अड़ियल रवैये से आम जनता की परेशानी और बढ़ गई है। सीमा पर रोके जाने के बाद हरियाणा पुलिस से किसानों की कई जगह झड़प हुई। ज्यादातर जगहों पर किसानों को रोकने के लिए पुलिस की तमाम कोशिशें बेकार साबित हुईं। लंबे जाम और किसानों के आक्रामक रुख को देखते हुए पुलिस ने ज्यादा सख्ती नहीं की और उन्हें आगे बढ़ने दिया, लेकिन संगरूर के खनौरी और बठिंडा के डबवाली बैरियर पर किसान हरियाणा में प्रवेश नहीं कर सके। इन दोनों जगहों पर किसानों ने सड़क पर धरना लगा दिया है।

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किसानों ने घोषणा कर दी है कि अगले सात दिनों तक उनका धरना नहीं हटेगा। जाहिर सी बात है कि आने वाले दिनों में आम लोगों की परेशानी और बढ़ने वाली है, क्योंकि किसान पूरी तैयारी के साथ दोनों जगहों पर डटे हैं। उनकी संख्या भी तीस हजार से ज्यादा है। किसानों के आंदोलन के कारण रेल सेवाएं पहले से प्रभावित हैं। अब सड़क मार्ग भी बाधित होने के कारण समस्या और बढ़ गई है। इसके साथ ही सरकार और किसानों के बीच टकराव भी बढ़ता जा रहा है। कदाचित इस टकराव के पीछे सियासत भी जिम्मेदार है। कहीं न कहीं राजनीतिक दल समस्या को हल करने के बजाय बयानबाजी करके इसे और उलझाते जा रहे हैं। किसानों को अलग-अलग राजनीतिक दलों का समर्थन हासिल है। चूंकि पंजाब में लगभग एक साल बाद विधानसभा चुनावों का बिगुल बज जाना है, इसलिए कोई भी सियासी दल किसानों को नाराज नहीं करना चाहता है।

हकीकत यह है कि किसानों के इस आंदोलन से उद्यमी, कारोबारी एवं व्यापारी आर्थिक रूप से काफी नुकसान ङोल रहे हैं। आम जनता को जो परेशानी हो रही है, वह अलग। सियासी दलों और किसानों से परेशान हो रही जनता के बारे में सोचना चाहिए। हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कह चुका है कि रेल और सड़क यातायात रोकने का अधिकार किसी को नहीं है। सरकार की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह अदालत के आदेशों का पालन करे और आम जनता को हो रही परेशानियों को दूर करे।


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