पंजाब को नहीं मिली धान खरीद के लिए 40 हजार करोड़ सीसीएल
पंजाब सरकार को इस बार धान खरीद करने के लिए 40 हजार करोड़ रुपये कैश क्रेडिट लिमिट नहीं मिल सकी है। इससे राज्य में धान की खरीद में दिक्कत आ सकती है।
जेएनएन, चंडीगढ़। गेहूं और धान की खरीद को लेकर केंद्र सरकार से मिलने वाली कैश क्रेडिट लिमिट (सीसीएल) का पंजाब और केंद्र के बीच का खाता फिर से बिगड़ गया है। इस वजह से धान खरीद करने के लिए इस साल 40 हजार करोड़ रुपये कैश क्रेडिट लिमिट नहीं मिल सकी है। इससे पंजाब सरकार के लिए मुश्किल खड़ी हो गई है। इस संबंध में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्रीय खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री राम विलास पासवान से भी मुलाकात की, लेकिन इसका भी कोई फायदा नहीं हुआ।
पंजाब सरकार का कहना है कि उसे केंद्र सरकार से 2300 करोड़ रुपये लेने हैैं। दूसरी आेर, केंद्र सरकार के खाद्य एवं अापूर्ति मंत्रालय का कहना है कि पिछले धान की कैश क्रेडिट लिमिट का 1637 करोड़ रुपये का गैप जब तक राज्य सरकार नहीं देगी उसे कैश क्रेडिट लिमिट जारी नहीं की जाएगी।
पंजाब में धान की खरीद शुरू हो चुकी है। बेशक अभी मात्र 28 हजार टन की खरीद की गई है, लेकिन सीसीएल न मिलने के कारण सरकार के लिए चिंता की स्थिति पैदा हो गई है। सीसीएल न मिलने का असर धान की खरीद पर पड़ने की आशंका है। यदि सीसीएल का मसला नहीं सुलझा तो धान की खरीद में बाधा अा सकती है।
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह इस मामले को लेकर केंद्रीय खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री राम विलास पासवान से भी मिले थे। बताया जाता है के रामविलास पासवान ने कैप्टन अमरिंदर सिंह कोे इस मामले को सुलझाने का आश्वासन भी दिया था। लेकिन, अभी यह मामला नहीं सुलझा है।
पता चला है कि पंजाब सरकार ने केंद्र सरकार के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग से 2017 में जीएसटी लागू होने से पहले खरीदे गए गेहूं पर लगे आइडी सैस और परचेज टैक्स का 984 करोड़ रुपये लेना है। इसमें से केंद्र सरकार ने 500 करोड़ दे दिया है और अभी 484 करोड़ रुपये बकाया है।
बताया जाता है कि इसी तरह पंजाब सरकार का केंद्र सरकार पर नेशनल फूड सिक्योरिटी मिशन के तहत चार लाख टन गेहूं का 400 करोड़ रुपये अभी तक बकाया है। धान और गेहूं के रख रखाव के 1035 करोड़ रुपये भी बकाया हैं। ये राशि अभी तक नहीं मिल सकी है। पंजाब सरकार ने इन मामलों को केंद्र सरकार के समक्ष फिर उठाया है।