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पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर किसान नेताओं को NIA नोटिस भेजने की निंदा की, कहा- इससे आंदोलन कमजोर नहीं होगा

पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसान नेताओं व उनके समर्थकों को एनआइए द्वारा नोटिस भेजे जाने की निंदा की है। कैप्टन ने कहा कि केंद्र सरकार ऐसे प्रयासों से आंदोलन को कमजोर नहीं कर सकती है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 18 Jan 2021 05:11 PM (IST)Updated: Mon, 18 Jan 2021 05:11 PM (IST)
पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर किसान नेताओं को NIA नोटिस भेजने की निंदा की, कहा- इससे आंदोलन कमजोर नहीं होगा
पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की फाइल फोटो।

जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कृषि कानूनों के खिला चल रहे किसान आंदोलन से जुड़े किसान नेताओं को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) द्वारा भेजे गए नोटिसों की निंदा की है। कैप्टन ने कहा कि किसानों को डराने धमकाने के लिए ऐसे हथकंडे अपनाए जा रहे हैं, लेकिन सरकार ऐसे हथकंडे अपनाकर किसानों के भविष्य की लड़ाई के आंदोलन को कमजोर नहीं कर सकती। 

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पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से शांतिपूूूूूर्ण प्रदर्शन कर रहे किसानों के आंदोलन को कमजोर करने के लिए एनआइए का सहारा ले रही है। कैप्टन ने पूछा- क्या यह किसान अलगाववादी और अतिवादी लगते हैं? सरकार के ऐसे कदमों सेे किसानों का आंदोलन और तेज हो सकता है।

केंद्र सरकार की नीयत पर सवाल उठाते पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि ऐसी डराने वाली कार्रवाई कर वह किसानों के संघर्ष को दबाने पर तुली हुई है। कैप्टन चेतावनी देते हुए कहा कि अगर स्थिति हाथ से निकल गई तो इस पर काबू पाने के लिए भाजपा के सबसे शक्तिशाली नेता भी कुछ नहीं कर सकेंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि कानूनों के कारण पैदा हुए संकट को हल करने के बजाय भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार आंदोलनकारी किसानों और उनके हिमायतियों को सताने और तंग करने की कोशिश कर रही है। कहा कि केंद्र सरकार को न किसानों की चिंता और न ही वह किसानों की मानसिकता को समझ पा रही है। पंजाबी स्वभाव से ही जुझारू होते हैं। अपने जुझारूपन के लिए ही वह दुनियाभर में जाने जाते हैं।

कैप्टन ने इस बात पर हैरानी जताई कि केंद्र सरकार ने कड़ाके की ठंड में दिल्ली बार्डर पर मारे गए किसानों की कोई चिंता नहीं है। वह किसानों की आवाज दबाने का काम कर रही है, लेकिन केंद्र सरकार ऐसे कदम उठाकर किसानों की आवाज को दबा नहीं सकती। केंद्र सरकार को किसानों के साथ सकारात्मक बातचीत करनी चाहिए और उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। 


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