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पंजाब सीएम अमरिंदर ने कृषि अध्यादेश पर केंद्रीय मंत्री के बयान को बताया भ्रामक, कहा- माफी मांगें

पंजाब के सीएम कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने कृषि अध्‍यदेश पर केंद्रीय मंत्री राव साहिब पाटिल दानवे के बयान को भ्रामक बताया है। उन्होंने इसके लिए दानवे से माफी मांगने की मांग की है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 16 Sep 2020 08:35 AM (IST)Updated: Wed, 16 Sep 2020 08:35 AM (IST)
पंजाब सीएम अमरिंदर ने कृषि अध्यादेश पर केंद्रीय मंत्री के बयान को बताया भ्रामक, कहा- माफी मांगें
पंजाब सीएम अमरिंदर ने कृषि अध्यादेश पर केंद्रीय मंत्री के बयान को बताया भ्रामक, कहा- माफी मांगें

चंडीगढ़, जेएनएन। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्रीय राज्य मंत्री राव साहिब पाटिल दानवे पर संसद में कृषि अध्यादेश को लेकर देश को भ्रामक जानकारी देने का आरोप लगाया है। कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने इसके लिए उनसे बिना शर्त माफी की मांगने को कहा है। कैप्टन ने कहा कि यह संसदीय मर्यादा और उसूलों का पूर्ण उल्लंघन है।

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कैप्‍टन अमरिंदर ने कहा कि दानवे ने सोमवार को लोकसभा में कहा था अध्यादेश लागू करने से पहले राज्यों को विश्वास में लिया गया था। उनकी यह टिप्पणी कांग्रेस और पंजाब सरकार को सुनियोजित तरीके से बदनाम करने की भद्दी कोशिश है। पंजाब ने ऐसी कोई सहमति नहीं दी थी। उधर, राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा ने अपनी पार्टी के सभी सांसदों से कहा है कि मंत्री के खिलाफ मर्यादा हनन का नोटिस लाया जाए।

राज्यसभा सदस्य प्रताप बाजवा ने कहा, मंत्री के खिलाफ मर्यादा हनन का नोटिस लाया जाए

कैप्टन ने कहा कि केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी की आड़ में कृषि अध्यादेशों को अब संसद में कानून बनाने के लिए पेश कर दिया है। संसद लोकतंत्र के सिद्धांतों को बनाए रखने वाला एक पवित्र सदन है, जहां इन उसूलों का उल्लंघन करना देश की संविधानिक जड़ों के लिए घातक सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने किसानों के हितों और अधिकारों को घटाने वाले किसी भी कदम का हमेशा विरोध किया है, चाहे यह कृषि सुधारों के लिए बनी हाई पावर कमेटी हो या फिर राज्य की विधानसभा या फिर कोई भी सार्वजनिक मंच हो।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने न केवल विधानसभा में इन अध्यादेशों को रद करने का प्रस्ताव पास किया, बल्कि उन्होंने (कैप्टन) निजी तौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दो बार पत्र लिखकर यह अध्यादेश वापस लेने की मांग की। अध्यादेश का केंद्रबिंदु बाजारी सुधार है। रिपोर्ट के मसौदे संबंधी अपने जवाब में राज्य सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि राज्य के 86 फीसद किसान छोटे काश्तकार हैं जिनके पास 2 एकड़ से कम जमीन है। इस कारण वह बाजार में अपना उत्पाद बेचने के लिए सौदेबाजी नहीं कर सकते।

कैप्टन ने कहा कि पंजाब जैसे कुछ राज्य मार्केट फीस पर निर्भर हैं। इसलिए बाजार पर लगातार निगरानी की जरूरत है, जिससे किसानों को निजी व्यापार क्षेत्र के हाथों लूट से बचाया जा सके। कैप्टन ने दोहराया कि किसानों को अपनी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) हर हाल में मिलना चाहिए। राज्य सरकार ने अपने जवाब में इस बात पर भी जोर दिया था कि जरूरी वस्तुएं एक्ट (ईसी एक्ट) उन फसलों के लिए जारी रहना चाहिए जिनकी भारत में कमी है। ऐसा करके कालाबाजारी व जमाखोरी द्वारा निजी क्षेत्र की शोषणकारी कार्रवाई को रोका जा सके।

पंजाब सरकार को नीचा दिखाने की कोशिश की गई: जाखड़

कांग्रेस के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ ने भी इस मुद्दे पर केंद्रीय राज्य मंत्री दानवे की कड़ी आलोचना की है। जाखड़ ने कहा कि ऐसा बयान देकर संसद की परंपराओं को ठेस पहुंचाई गई है। भ्रामक सूचना के सहारे पंजाब की कांग्रेस सरकार को नीचा दिखाने की साजिश की गई है।

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