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कृषि विधेयकों पर पंजाब सीएम अमरिंदर ने हरसिमरत कौर व सुखबीर बादल से पूछे 10 सवाल

पंजाब के सीएम कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने कृषि विधेयकों को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल और उनके पति सुखबीर बादल पर निशाना साधा है। उन्‍होंने दोनों से 10 सवाल पूछे हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 20 Sep 2020 11:00 AM (IST)Updated: Sun, 20 Sep 2020 11:53 AM (IST)
कृषि विधेयकों पर पंजाब सीएम अमरिंदर ने हरसिमरत कौर व सुखबीर बादल से पूछे 10 सवाल
कृषि विधेयकों पर पंजाब सीएम अमरिंदर ने हरसिमरत कौर व सुखबीर बादल से पूछे 10 सवाल

चंडीगढ़, जेएनएन। कृषि विधेयक को लेकर केंद्रीय मंत्रिमंडल से हरसिमरत कौर बादल के इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस ने शिरोमणि अकाली दल पर तीखे हमले शुरू कर दिए हैैं। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बादल दंपती हरसिमरत कौर बादल और सुखबीर सिंह बादल से कृषि विधेयकों को लेकर 10 सवाल पूछे हैं। उन्‍होंने कहा कि किसानों के हित में बयानबाजी करके अकाली दल अपना चेहरा बचाने का प्रयास कर रहा है। विधेयक पास होने से पहले इसका समर्थन करते रहे अकाली नेताओं को किसानी वोट बैंक छिन जाने के डर से रुख बदलना पड़ा।

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कहा- वोट बैंक खिसकता देख अकालियों ने बदला रुख, भाजपा से नाता तोड़े शिअद

शिरोमणि अकाली दल की ओर से राज्य सरकार पर विधेयक पास होने से पहले इसके समर्थन करने के आरोप लगाए जाने पर पर कैप्टन ने कहा कि पंजाब सरकार उस बात पर कैसे सहमत हो सकती है जिसे लेकर उच्च स्तरीय बैठकों में कभी चर्चा ही नहीं हुई।

कैप्टन ने कहा कि केंद्र सरकार ने महामारी के दौर में बहुमत की धौंस पर लोकसभा में विधेयक पाय करवाए। अकालियों को ऐसे मुद्दों पर झूठ का सहारा लेने की बजाए भाजपा नेतृत्व वाली सरकार से नाता तोड़कर उनसे लडऩा चाहिए। अकालियों के किसानों के साथ चलने के दावे खोखले और झूठे हैं। वह अब भी केंद्र सरकार के साथ भी रिश्ता निभा रहे हैं।

बादल दंपती से कैप्टन अमरिंदर सिंह के सवाल-

1. क्या आपने संसद में पेश किए जाने से पहले कृषि विधेयकों को किसान विरोधी घोषित किया? क्या हरसिमरत उस केंद्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं थीं जिसमें विभिन्न पक्षों से सलाह किए बिना इन्हें पारित किया?

2. क्या इस्तीफा देने से पहले हरसिमरत ने किसानों को बताया कि वह केंद्र सरकार के इन विधेयकों पर विरोध दर्ज करवा रही हैं?

3. हरसिमरत क्यों इन विधेयकों को अपनी चिंता की बजाए किसानों की चिंता बता रही हैं?

4. क्या वह इन कानूनों को किसानों का हितैषी मानती हैं, या इन्हें किसानों के सामने कुछ और पेश करने की कोशिश कर रही हैं?

5. जब हरसिमरत मान चुकी हैं कि केंद्र सरकार किसानों की ङ्क्षचताओं का निवारण करने में असफल रही, तो वह राजग में क्यों बनी हुई हैैं?

6. क्या आप एक भी ऐसा काम बता सकते हैं जो छह साल में केंद्र सरकार ने किसानों के हितों में किया?

7. क्या सुखबीर बादल ने सर्वदलीय बैठक में स्पष्ट रुप से कृषि अध्यादेशों को किसानों का हितैषी नहीं बताया था?

8. क्या बादल दंपती में से कोई उनकी सरकार की उच्च स्तरीय बैठकों में शामिल था, जिनके बारे में वह कांग्रेस सरकार के इन कृषि बिलों पर  रुख को लेकर दावे कर रहे हैं?

9. अकालियों ने कांग्रेस के 2017 व 2019 के चुनाव घोषणा पत्रों में कृषि संबंधित घोषणाओं को जानबूझकर नजरअंदाज क्यों किया?

10. क्या आपको लगता है कि बार-बार एक ही झूठ बोलने से आप किसानों को अपने फैसलों को भुलाने में सफल होंगे, जिनकी वजह से अकाली-भाजपा सरकार के 10 सालों में किसानों की जिंदगी तबाह हुई है?

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अमरिंदर ने कहा- हमारे घोषणा पत्र का केंद्र के कृषि विधेयकों से कोई संबंध नहीं


कैप्टन अमरिंदर ने कहा कि अकाली कांग्रेस के घोषणा पत्र के चुनिंदा हिस्से को लेकर राज्य के लोगों को गुमराह करने और झूठ बोलने से बाज आए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के घोषणा पत्र का केंद्र के किसान विरोधी कदमों से दूर-दूर तक भी कोई वास्ता नहीं है। कैप्टन ने कहा कि वाक्यों को चुनना और गलत ढंग से पेश करना एक कला है, जिसमें भाजपा वाले उस्ताद हैं और अब अकाली भी बराबरी कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि वाली केंद्र सरकार इन बिलों को अपने कारपोरेट मित्रों के हित के लिए गरीब किसानों पर जबरदस्ती थोपने की कोशिश कर रही है। विरोधी पार्टियों को आड़े हाथों लेते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पत्रकारों के आगे चुनाव घोषणा पत्र की कापियां लहराने की बजाय शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी नेताओं को पहले कुछ इसके ङ्क्षबदुओं को पढऩे का प्रयास करना चाहिए।

हमारे घोषणा पत्र में किसान मंडियां खोलने की बात
लोकसभा के साथ-साथ पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के घोषणा पत्र का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने मंडी सिस्टम में कहीं भी ऐसे बदलाव लाने की बात नहीं कि जैसा कि केंद्र सरकार ने अपने बिलों के द्वारा मुल्क पर थोपने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि यहां तक कि कांग्रेस ने घोषणा पत्र में तो एपीएमसी प्रणाली को और मजबूत बनाने की बात स्पष्ट रूप से कही है ताकि किसान को ज्यादा फायदा मिल सके।

उन्‍होंने कहा कि राज्य कांग्रेस के साल 2017 के चुनाव घोषणा पत्र में साफ है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की मौजूदा प्रणाली से छेड़छाड़ किए बिना इसे संशोधित किया जाएगा ताकि डिजिटल टेक्नोलॉजी द्वारा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंडी में किसानों की सीधी पहुंच को यकीनी बनाया जा सके। इससे एक कदम और आगे जाते हुए एक्ट को खत्म करके नई व्यवस्था लाने की बात की गई है जिसके तहत हजारों किसान मंडियों की स्थापना होगी और दो-तीन किलोमीटर के दायरे में मंडी होने से किसान आराम से पहुंच सकेंगे।

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