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पंजाब विधानसभा चुनाव 2022: मोहाली से शिअद उम्मीदवार परमिंदर सोहाना के खिलाफ हुए अपने, दी पार्टी छोड़ने की धमकी

Punjab Vidhan Sabha Election 2022 शिरोमणि अकाली दल ने पहली बार मोहाली सीट से स्थानीय नेता को उम्मीदवार बनाया है। परमिंदर सिंह सोहाना को टिकट दी गई है लेकिन उनका पार्टी के नेता की विरोध करने लगे हैं।

By Ankesh ThakurEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 04:01 PM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 04:01 PM (IST)
पंजाब विधानसभा चुनाव 2022: मोहाली से शिअद उम्मीदवार परमिंदर सोहाना के खिलाफ हुए अपने, दी पार्टी छोड़ने की धमकी
Punjab Election 2022: मोहाली से शिअद उम्मीदवार परमिंदर सिंह सोहाना।

रोहित कुमार, मोहाली। Punjab Assembly Election 2022: मोहाली विधानसभा सीट पर अभी तक भाजपा को छोड़कर सभी राजनीतिक दलों ने अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं। वहीं, पहली बार शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने स्थानीय स्तर के नेता का चुनावी अखाड़े में उतारा है। शिअद ने परमिंदर सिंह सोहाना को टिकट दी है। लेकिन पार्टी में सोहाना के खिलाफ विरोध सुर उठने लगे हैं। शिअद के अपने नेता और कार्यकर्ता मोहाली सीट से उतारे परमिंदर सिंह सोहाना के खिलाफ हो गए हैं। शिअद के अपने ही घर से सोहाना के खिलाफ आवाजें उठने लगी हैं।

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परमिंदर सिंह सोहाना को टिकट देने का विरोध करने वालों का कहना है कि अगर टिकट किसी दूसरे को न दी गई तो उन्हें दूसरे विकल्प तलाशने होंगे। उधर, शिअद व बसपा के कई कार्यकत्ता सोहाना के पक्ष में हैं और चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है।

बता दें कि शिअद ने 2012 में मोहाली से बलवंत सिंह रामूवालिया को चुनाव मैदान में उतारा था। 2017 में शिअद की ओर से मोहाली में डीसी रहे पूर्व आइएएस अधिकारी टीपीएस सिद्धू पर दांव लगाया गया लेकिन वे भी चुनाव हार गए। चुनाव हराने का कारण ये बताया गया कि शिअद ने अपनों पर भरोसा न कर बाहरी लोगों को टिकट दिया, लेकिन इस बार शिअद ने स्थानीय नेता को उम्मीदवार बनाया तो अपनों का विरोध शिअद को इस सीट पर भारी पड़ सकता है।

शिअद के ब्लॉक सीमित सदस्य अवतार सिंह मौली, शिअद के सचिव जरनल कर्मजीत सिंह कमा, गुरप्रताप सिंह बड़ी आदि सोहाना को टिकट देने का विरोध कर रहे हैं। ये नेता इसलिए सोहाना के खिलाफ हैं क्योंकि इनका आरोप है कि सोहाना पहले पार्टी को छोड़ चुके हैं। अब पार्टी के चुनाव निशान पर फिर से उन्हें मौका क्यों दिया जा रहा है। जबकि पार्टी को छोड़ कर आजाद ग्रुप के साथ मिले थे। इतनी बड़ी जिम्मेदारी देने का क्या मतलब है। विरोध वालों का आरोप है कि हाईकमान को गुमराह कर ये टिकट दिलवाई गई। इसलिए ये टिकट किसी ओर को दी जानी चाहिए।


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