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पंजाब में विधानसभा कमेटी ने की पानी की संभाल के लिए विशेष विभाग की सिफारिश, स्पीकर को सौंपी रिपोर्ट

पंजाब में गिरते भूजल स्तर को ऊंचा उठाने के लिए स्पीकर ने राणा गुरजीत सिंह के नेतृत्व में विधानसभा की विशेष कमेटी का गठन किया था। विधानसभा की विशेष कमेटी ने अपनी सिफारिशेंं स्पीकर को सौंप दी है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 14 Sep 2021 03:52 PM (IST)Updated: Tue, 14 Sep 2021 05:04 PM (IST)
पंजाब में विधानसभा कमेटी ने की पानी की संभाल के लिए विशेष विभाग की सिफारिश, स्पीकर को सौंपी रिपोर्ट
विधानसभा अध्यक्ष को रिपोर्ट सौंपते विधानसभा की विशेष कमेटी के सदस्य।

इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। पंजाब विधानसभा की ओर से गठित की गई कमेटी ने सिफारिश की है कि गिरते भूजल और पानी के सभी स्रोतों को संभालने के लिए अलग वाटर रिसोर्स विभाग बनाया जाए जिसके पास स्थानीय निकाय, जन स्वास्थ्य की ओर से संभाला जा रहा पानी का काम भी हो। कमेटी ने मौजूदा वाटर रिसोर्स विभाग जिसमें माइनिंग का काम भी शामिल है, उसे वापस लेने की सिफारिश की है, ताकि वाटर रिसोर्स विभाग केवल पानी के काम पर ही फोकस कर सके।

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आज स्पीकर राणा केपी सिंह को रिपोर्ट सौंपने के बाद कमेटी के चेयरमैन राणा गुरजीत ने बताया कि हर साल 70 सेंटीमीटर पानी नीचे जा रहा है। इसके अलावा दूसरे स्रोत भी प्रदूषित हो रहे हैं। दोनों ही पंजाब के लिए चिंता का विषय है और इस पर गंभीरता से काम करना पड़ेगा। अन्यथा 25 साल बाद पंजाब रेगिस्तान में तब्दील हो जाएगा।

बता दें, बजट सेशन के दौरान गिरते भूजल पर लंबी चर्चा के बाद स्पीकर ने ही राणा गुरजीत की अगुवाई में एक कमेटी का गठन किया था, जिसमें उनके अलावा हर प्रताप सिंह अजनाला, हरदेव सिंह शेरोवाली, डाक्टर राजकुमार चब्बेवाल, आम आदमी पार्टी के विधायक मीत हेयर और अकाली दल के विधायक हरिंदर पाल सिंह चंदूमाजरा भी इस कमेटी का सदस्य बनाया गया।

राणा गुरजीत ने बताया कि पंजाब में पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए 64 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी की जरूरत है, जबकि हमारे पास केवल 50 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी ही है और 14 बिलियन क्यूबिक मीटर हम भूजल का अतिरिक्त उपयोग करते हैं जिस कारण पानी का स्तर गिरता जा रहा है।

उन्होंने सिफारिश की कि धान को उगाने के लिए सीधी बिजाई को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए जो पानी को बचाने की एक सफल तकनीक है । उन्होंने कहा कि हमारी कमेटी एग्रीकल्चर पर भी काम कर रही है और इसके बारे में हम अपनी सिफारिशें उसमें देंगे। राणा गुरजीत ने कहा कि धान को रोकने के लिए जमीन को कद्दू करने के कारण जमीन के 9 इंच पत्थर जैसी एक लेयर बन गई है जो पानी को नीचे नहीं जाने दे रही, इसलिए जब भी पंजाब में 50 सेंटीमीटर से ज्यादा एक ही समय में बरसात होती है तो बाढ़ जैसी स्थिति आ जाती है।

राणा गुरजीत ने अपनी सिफारिशों में पानी की मीटरिंग पर भी जोर दिया है। उन्होंने कहा कि घरेलू सेक्टर से इसकी शुरुआत करनी चाहिए और खेती के लिए भी दिए जाने वाली पानी की मीटरिंग होनी चाहिए, ताकि हमें यह पता चल सके कि कहां कितना पानी उपयोग हो रहा है। उन्होंने बताया कि इजराइल की कंपनी मेकराट भी इस पर काम कर रही है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 3 साल पहले उनके साथ एमओयू साइन किया था। वह अपनी चार रिपोर्ट सौंप चुके हैं जो पानी के विभिन्न स्रोतों के बारे में है। इसके अलावा दो रिपोर्ट में और देंगे और उसके बाद पानी को कैसे उपयोग में लाया जाना है। इस संबंधी एक्शन प्लान सौंपेंगे।

राणा गुरजीत ने कहा कि जो लोग पानी कम उपयोग करते हैं उन्हें वाटर क्रेडिट भी दिया जाना चाहिए। कमेटी के चेयरमैन ने 250 गज के ज्यादा वाले मकानों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य बनाने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह के कानून पहले से ही मौजूद हैं, लेकिन वह अमल में नहीं लाए जा पा रहे हैं। इन पर सख्ती किए जाने की जरूरत है। उन्होंने पीने के लिए भूजल का इस्तेमाल करने के बजाय नहरी पानी उपलब्ध करवाने पर जोर दिया है। साथ ही कहा कि सीवेज के पानी को साफ करके इसको भी उपयोग में लाया जाना चाहिए।

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