SYL मुद्दे पर पंजाब-हरियाणा की वार्ता आज, केंद्रीय मंत्री की माैजूदगी में कैप्टन-मनोहर की बैठक
एसवाईएल विवाद मामले में हरियाणा और पंजाब के बीच आज वार्ता होगी। हरियाणा के सीएम और पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की मौजूदगी में बात करेंगे।
चंडीगढ़़, जेएनएन। हरियाणा और पंजाब के बीच आज सतलुज यमुना संपक (एसवाइएल) नहर के मुद्दे पर गतिरोध टूटेगा। 45 साल पुराने इस विवाद पर दोनोें राज्य आज वार्ता करेंगे। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल आज केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की मौजूदगी में बातचीत करेंगे। वीडियो कांन्फ्रेंसिंग के जरिए होने बैठक का आयोजन दोपहर तीन बजे होगा। सुप्रीम कोर्ट द्वारा पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों को बातचीत करके एसवाइएल का हल निकालने के लिए कहा था। इसके साथ ही केंद्र सरकार को इस मामले में मध्यस्थता करने की हिदायत दी थी।
45 वर्ष पुराने विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बैठक, केंद्र करेगा मध्यस्थता
सुप्रीम कोर्ट ने 28 जुलाई को अपने आदेश में केंद्र सरकार दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच वार्ता सुनिश्चित करने का आदेश दिया था। इस वार्ता के आधार पर ही केंद्र सरकार अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में देगी। बैठक के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल दिल्ली सोमवार शाम ही पहुंच गए। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बैठक में जुड़ेंगे। यह विवाद 45 साल पुराना है। 1976 में केंद्र सरकार ने पंजाब के 7.2 एमएएफ यानी (मिलियन एकड़ फीट) पानी में से 3.5 एमएएफ हिस्सा हरियाणा को देने की अधिसूचना जारी की थी।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि दोनों राज्य सरकारों से संपर्क करके बातचीत से मुद्दा सुलझाने के प्रयास किए जा रहे हैैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा बातचीत के लिए तीन सप्ताह का समय दिया गया है। मंगलवार को होने वाली बैठक की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में रखी जाएगी।
नदियों में था 17.26 एमएएफ पानी जो अब घटकर 13.39 एमएएफ रह गया
बताया जा रहा है कि पंजाब अपने राइपेरियन के स्टैंड पर भी अड़ा हुआ है। संभावना है कि आज की बैठक में भी पंजाब का यही रुख कायम रहेगा। पंजाब पिछले लंबे समय से तर्क देता आ रहा है कि उसके पास किसी भी राज्य को देने के लिए फालतू पानी नहीं है। नदियों के पानी के बंटवारे के लिए जो नियम बनाए गए थे वह बहुत पुराने हो चुके हैैं और अब नदियों में उतना पानी नहीं रहा। यह बंटवारा तब हुआ था जब इन नदियों में 17.26 एमएएफ पानी था लेकिन अब यह घटकर 13.39 एमएएफ रह गया है। अब सबकी नजरें केंद्रीय मंत्री शेखावत के साथ होने वाली दोनों मुख्यमंत्रियों की बैठक पर टिक गई हैं।
पंजाब का पानी बचाने के लिए अकाली दल कैप्टन के साथ: सुखबीर
एसवाइएल के मुद्दे पर होने वाली बैठक को लेकर अकाली दल के प्रधान सांसद सुखबीर सिंह बादल ने कहा है कि पंजाब के पानी के मुद्दे को लेकर कोई भी अनदेखी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को चेतावनी दी है कि वह बैठक के दौरान पंजाब के हितों को अनदेखा न करें। एक बयान में सुखबीर ने कहा कि पानी ही पंजाब की जीवन रेखा है और इसे बचाने के लिए अकाली दल सभी राजनीतिक हितों से ऊपर उठकर और पूरे दिल से कैप्टन का समर्थन करेगा। पंजाब का स्टैंड राइपेरियन सिद्धांत पर बना हुआ है। इस सिद्धांत के अनुरूप अकाली दल पूरी तरह से कैप्टन के साथ रहेगा।
सुखबीर ने कहा कि एसवाइएल बनाने का सवाल ही नहीं उठता। पंजाब एक मात्र ऐसा राज्य है जहां एक ऐसी नहर बनाई जा रही है जिसमें छोडऩे के लिए पानी नहीं है। पंजाब देश का एक मात्र ऐसा राज्य है जहां पर राइपेरियन सिद्धांत लागू नहीं किया जा रहा है। पूरे विश्व में कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां के लोगों को उनकी नदियों के हक से वंचित किया जा रहा हो। राज्य में 85 फीसदी ब्लॉक पहले से ही डार्क जोन में हैैं और पंजाब के पास किसी को देने के एक बूंद पानी भी नहीं है।
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योजना के तहत बनी थी नहर
पंजाब से हरियाणा के हिस्से का पानी लाने के लिए सतलुज नदी से यमुना को जोडऩे वाली एक नहर की योजना बनाई गई, जिसे एसवाइएल यानी सतलुज यमुना लिंक का नाम दिया गया। इस लिंक नहर के निर्माण के लिए पंजाब और हरियाणा के बीच विवाद ने राजनीतिक रूप भी ले लिया। 1985 में राजीव- लौंगोवाल समझौते के बाद हरियाणा में इस विवाद का इतना राजनीतीकरण हुआ कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार ही बदल गई। तब पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल ने हरियाणा में न्याय युद्ध का नेतृत्व किया था।
दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों के बीच हो चुकी हैं तीन बैठकें
एसवाइएल नहर निर्माण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों की गत वर्ष तीन बैठकें हो चुकी हैं। इन बैठकों में भी कोई ठोस निर्णय नहीं निकल सका। हरियाणा ने इन बैठकों में 10 नवंबर 2016 के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लागू कराने की मांग की मगर पंजाब ने विधानसभा में 1985 का जल समझौता रद करने का हवाला देते हुए यह मामला टाल दिया।
एसवाइएल नहर निर्माण पर राजनीति नहीं चाहते मनोहर
एसवाइएल नहर निर्माण के लिए पंजाब और हरियाणा दोनों ही राज्यों के बीच विवाद के राजनीतिकरण से दुखी हरियाणा मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कई बार सर्वदलीय बैठकों में कहा कि इस विवाद से राजनीति का दूर रखना चाहिए। मनोहर लाल का कहना है कि पंजाब को शीर्ष अदालत का आदेश मानना चाहिए।
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