पीयू सीनेट चुनाव में छात्र राजनीति के पुराने धुरंधर भी ठोक रहे ताल
पंजाब यूनिवर्सिटी सीनेट चुनाव को लेकर उम्मीदवारों ने तैयारी शुरु कर दी है। सीनेट चुनाव में इस बार पंजाब यूनिवर्सिटी छात्र राजनीति के कई धुरंधर किस्मत आजमा रहे हैं।
डा. सुमित सिंह श्योराण, चंडीगढ़
पंजाब यूनिवर्सिटी सीनेट चुनाव को लेकर उम्मीदवारों ने तैयारी शुरु कर दी है। सीनेट चुनाव में इस बार पंजाब यूनिवर्सिटी छात्र राजनीति के कई धुरंधर किस्मत आजमा रहे हैं। छात्र हितों के मुद्दों को लेकर यह नेता वोट मांग रहे हैं। सीनेट में जाने के लिए दस से अधिक छात्र राजनीति में सक्रिय छात्र नेता इस बार ग्रेजुएट चुनाव क्षेत्र से चुनावी मैदान में हैं। सीनेट चुनाव लड़ने वाले कुछ पूर्व छात्र नेता पीयू स्टूडेंट काउंसिल में प्रेसिडेंट पद पर भी रह चुके हैं। इस बार मैदान में पूर्व छात्र नेताओं में ही कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है। ग्रेजुएट चुनाव क्षेत्र से ही अधिकतर सीनेट में जाने की तैयारी में हैं। तीन लाख साठ हजार से अधिक मतदाता ग्रेजुएट चुनाव क्षेत्र की 15 सीटों का फैसला करेंगे। सभी पूर्व छात्र नेताओं की युवाओं पर काफी पकड़ होने के कारण हार जीत का अंतर इस बार काफी करीब होगा। दैनिक जागरण की ओर से पेश चुनाव मैदान में उतरे पूर्व छात्र नेताओं का राजनैतिक सफर .. 1-डा. अमित भाटिया,
सीनेट चुनाव में ताल ठोक रहे पंजाब यूनिवर्सिटी छात्र काउंसिल के प्रेसिडेंट रहे डा.अमित भाटिया इस समय सेक्टर-10 स्थित डीएवी कालेज में मैनेजमेंट संकाय में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्त हैं। अमित भाटिया ने एमबीए की डिग्री पंजाब यूनिवर्सिटी के यूनिवर्सिटी इंस्टूीट्यूट एप्लाइड मैनेजमेंट साइंसेस(यूआइएएमएस) से की है। 2009-10 सत्र में स्टूडेंट आर्गेनाइजेशन आफ पंजाब यूनिवर्सिटी(सोपू) छात्र संगठन की ओर से चुनाव लड़ा और पीयू स्टूडेंट काउंसिल में प्रेसिडेंट पद के लिए चुने गए। छात्र राजनीति की शुरुआत भाटिया ने 2006-07 में सेक्टर-32 स्थित एसडी कालेज में काउंसिल प्रेसिडेंट पद पर जीत के साथ की थी। पीयू सीनेट में बैठने वाले डा.अमित भाटिया पहले काउंसिल प्रधान रहे हैं। 2-डीपीएस रंधावा,एडवोकेट
डीपीएस रंधावा का पंजाब यूनिवर्सिटी छात्र राजनीति में काफी दबदबा रहा है। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट बार काउंसिल प्रेसिडेंट रहे रंधावा लगातार दो बार पीयू स्टूडेंट काउंसिल में प्रेसिडेंट के पद पर रहे हैं। पीयू में सोपू छात्र संगठन के फाउंडर मेंबर रहे रंधावा ने 1998 और फिर 1999 में पंजाब यूनिवर्सिटी स्टूडेंट काउंसिल में प्रेसिडेंट के पद पर जीत हासिल की थी। पीयू ला विभाग से डिग्री हासिल करने के साथ ही वह 1996 में इनडायरेक्ट पीयू काउंसिल चुनाव में डीआर भी चुने जा चुके हैं। रंधावा का सीनेट में भी काफी दबदबा रहा है। 2008 के बाद से तीन बार सीनेट चुनाव जीता है। 3-सिमरनजीत सिंह ढिल्लो- एडवोकेट
सिमरनजीत सिंह ढिल्लो का पंजाब यूनिवर्सिटी छात्र राजनीति में अहम योगदान रहा है। ढिल्लो पंजाब यूनिवर्सिटी में 2009-10 सत्र में पंजाब यूनिवर्सिटी स्टूडेंट आर्गेनाइजेशन(पुसू) के प्रेसिडेंट रह चुके हैं। ढिल्लो की देखरेख में ही पीयू स्टूडेंट आर्गेनाइजेशन आफ इंडिया (सोई) छात्र संगठन के कैंडिडेट ने पहली बार 1500 वोटों से काउंसिल में जीत हासिल की थी। ढिल्लो इस समय पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में बतौर एडवोकेट प्रैक्टिस करते हैं। हाल ही में मोहाली नगर निगम चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर वार्ड नंबर 15 से भी जीत हासिल की है। सिमरनजीत सिंह यूनिवर्सिटी समय में तेजतर्रार छात्र नेता रहे हैं। सिमरनजीत ढिल्लो पंजाब यूथ डेवलेपमेंट बोर्ड के डायरेक्टर के पद पर भी रह चुके हैं। 4-भूपिदर सिंह बाठ,एडवोकेट
सीनेट चुनाव लड़ रहे पंजाब यूनिवर्सिटी छात्र राजनीति में भूपिदर सिंह बाठ भी काफी सक्रिय रहे हैं। 2006-07 सत्र में भूपिदर सिंह इवनिग विभाग में सोपू की ओर से छात्र काउंसिल का चुनाव लड़े और प्रेसिडेंट पद पर विजयी हुए। इन्होंने पीयू के ला विभाग से ही 2008-11 सत्र में ला की डिग्री हासिल की है। 2013 में पंजाब यूनिवर्सिटी कैंपस में कांग्रेस प्रेसिडेंट राहुल गांधी की मौजूदगी में इन्हें पंजाब यूनिवर्सिटी एनएसयूआइ का चेयरमैन नियुक्ति किया गया था। इस समय भूपिदर सिंह पीयू के वुमेन स्टडीज विभाग में पीएचडी रिसर्च स्कालर भी हैं। 5-वरिंदर सिंह गिल
वरिदर सिंह गिल का पंजाब यूनिवर्सिटी में पुसू छात्र संगठन की जीत में काफी अहम योगदान रहा है। वरिदर गिल 2003-07 सत्र में पंजाब यूनिवर्सिटी स्टूडेंट आर्गेनाइजेशन(पुसू) के चेयरमैन रहे हैं। इनकी अगुवाई में पुसू ने लगातार चार बार पीयू छात्र काउंसिल में परचम लहराया। पीयू से एमबीए और एमए एजुकेशन के स्टूडेंट भी रहे वरिदर सिंह गिल 2012 और 2016 लगातार दो बार सीनेट में ग्रेजुएट चुनाव क्षेत्र से जीत कर पहुंचे हैं। ग्रेजुएट चुनाव क्षेत्र से सबसे कम उम्र में जीतने का रिकार्ड भी वरिदर सिंह के नाम हैं। मूल रूप से अबोहर निवासी गिल छात्र हितों के लिए आवाज उठाते रहे हैं।