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पीयू सीनेट चुनाव की राह में कोरोना फिर बना अड़चन, बढ़ी उम्मीदवारों की मुश्किलें

पंजाब यूनिवर्सिटी की नई सीनेट के लिए चुनावी बिगुल बज चुका है। 26 अप्रैल से पहले चरण के लिए मतदान प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। लेकिन अभी तक कैंपस में चुनावी माहौल बिल्कुल ठंडा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Apr 2021 07:02 AM (IST)Updated: Wed, 14 Apr 2021 07:02 AM (IST)
पीयू सीनेट चुनाव की राह में कोरोना फिर बना अड़चन, बढ़ी उम्मीदवारों की मुश्किलें
पीयू सीनेट चुनाव की राह में कोरोना फिर बना अड़चन, बढ़ी उम्मीदवारों की मुश्किलें

डॉ. सुमित सिंह श्योराण, चंडीगढ़

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पंजाब यूनिवर्सिटी की नई सीनेट के लिए चुनावी बिगुल बज चुका है। 26 अप्रैल से पहले चरण के लिए मतदान प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। लेकिन अभी तक कैंपस में चुनावी माहौल बिल्कुल ठंडा है। सीनेट में पहुंचने के लिए उम्मीदवार तो फाइनल हो चुके हैं, लेकिन वोटर को लुभाने में उम्मीदवारों के खूब पसीने छूट रहे हैं। कोविड-19 ने सीनेट चुनाव में उम्मीदवारों और वोटर के जोश को मानों ठंडा कर दिया है। बीते कुछ दिनों से कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बाद से उम्मीदवार और वोटर की दूरी और भी बढ़ गई है। एक-एक वोट के लिए चुनाव में उतरे प्रत्याशियों के लिए सिर्फ सोशल मीडिया और मोबाइल ही प्रचार का सहारा है। इस बार पीयू कैंपस में न तो किसी तरह की कोई पार्टी हो रही और न ही उम्मीदवार वोटर के घर जाकर वोट मांगने की हिम्मत जुटा पा रहे हैं। कैंपस में कोविड-19 के कई मामले सामने आने के बाद फिजिकल कैंपेनिग पर पूरी तरह से रोक लगी हुई है। कुछ दिन पहले ही सीनेट चुनाव के लिए लंबा संघर्ष करने वाले प्रोफेसर कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। सीनेट चुनाव का बजट लाखों में

पीयू सीनेट चुनाव के लिए पीयू प्रशासन को काफी भारी भरकम बजट खर्च करना पड़ता है। सीनेट चुनाव के लिए 50 लाख के करीब बजट तय होता है। उधर अलग-अलग चुनाव क्षेत्र से जीत के लिए उम्मीदवारों को भी जमकर खर्च करना पड़ता है। कैंपेनिग से लेकर पार्टियों के आयोजन पर मोटा खर्च करना पड़ता है। सीनेट की 15 ग्रेजुएट चुनाव क्षेत्र की सीटों के लिए प्रत्येक उम्मीदवार का औसतन बजट 8 से 10 लाख रहता है। कोविड-19 के कारण इस बार चुनाव प्रचार पर बंदिशों के कारण उम्मीदवारों को जीत के लिए पहले के मुकाबले अधिक खर्च करना पड़ सकता है। पीयू सीनेटर विधायक से कम नहीं

पंजाब यूनिवर्सिटी सीनेट चुनाव किसी एमएलए चुनाव से कम नहीं माना जाता है। विभिन्न चुनाव क्षेत्र से सीनेट में चुनकर आने वाला उम्मीदवार चार साल तक पंजाब यूनिवर्सिटी से जुड़े सभी मामलों में अहम भूमिका निभाता है। पीयू ही नहीं शहर के सभी कालेज और पंजाब स्थिति एफिलिएटेड 195 कालेजों से जुड़े हर छोटे बड़े मामलों के लिए गठित होने वाली कमेटियों में सीनेट सदस्यों की अहम भूमिका रहती है। सीनेट में पहुंचने के लिए पूर्व छात्र नेताओं से लेकर रिटायर्ड प्रिसिपल भी पूरा जोर लगा रहे हैं। पीयू सीनेट में आने के लिए विधायक से लेकर बड़े बड़े नेता खूब जोर लगा रहे हैं। चुनाव नहीं लड़ने वाले बहुत से लोग पीयू चांसलर की नॉमिनेशन लिस्ट में जगह पाने के लिए जोर लगाते हैं।


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