चंडीगढ़ के लिए गर्व की खबर, पीयू के दस वैज्ञानिकों ने हासिल की ये खास उपलब्धि
रिसर्च के क्षेत्र में पीयू के वैज्ञानिकों ने अपना एक अलग मुकाम हासिल किया है। पंजाब यूनिवर्सिटी के आठ वैज्ञानिकों को उनके योगदान के लिए उन्हें स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने सर्वश्रेष्ठ अवार्ड से नवाजा है। इन वैज्ञानिकों के शोध हाल ही में एक प्रतिठति पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं।
चंडीगढ़, [वैभव शर्मा]। यूएसए स्थित स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने वीरवार को वर्ल्ड रैंकिंग ऑफ 2% साइंटिस्ट जारी की। इसमें एक बार फिर पीयू के दस वैज्ञानिक अपनी जगह बनाने और अवार्ड हासिल करने में कामयाब रहे। इससे पहले भी स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा जारी इसी रैंकिंग में पीयू के 11 वैज्ञानिकों ने अवार्ड हासिल किया था। जिसके बाद एक बार फिर पीयू के वैज्ञानिकों की इस सफलता ने पीयू का रोशन किया।
रिसर्च के क्षेत्र में अपना अहम योगदान देने के लिए स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने पीयू के आठ वैज्ञानिकों को सर्वश्रेष्ठ अवार्ड से नवाजा है। इन वैज्ञानिकों के शोध हाल ही में एक प्रतिष्ठित पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं। कंपोजिट प्रशस्ति पत्र की गणना एक मान्य फॉर्मूले के साथ की गई थी और मशीन लर्निंग एप्रोच का उपयोग, स्कोपस के डेटा को निकालने के लिए किया गया था। जिनमें विशिष्ट नियमों जैसे प्रशंया पत्र, एच-इंडेक्स, ऑथरशिप स्टेटस आदि शामिल थे। इसके लिए 1,61,441 वैज्ञानिकों को चुना गया था।
इन वैज्ञानिकों को मिला अवार्ड
प्रो. सुरेंद्र कुमार मेहता (केमिस्ट्री विभाग)
उन्होंने मेटलोसर्फैक्टेंट रसायन विज्ञान, नैनो इलेक्ट्रोकेमिकल सेंसर, सिंथेसिस और सेमीकंडक्टिंग नैनोपाॢटकल्स के साथ कोलाइडल केमिस्ट्री जैसे अनुसंधान में सक्रिय हैं। उनके इंटरनेशनल जरनल्स में करीब 342 रिसर्च प्रकाशन हुई है। इसके साथ ही एच-इंडेक्स 47 के अलावा उनकी 15 पुस्तके प्रकाशित हुई है।
प्रो. ओम प्रकाश कटारे (यूआइपीएस विभाग)
उन्होंने नैनो लिपोसोम टेक्नोलॉजी और ड्रग डिलीवरी ट्रांसलेशनल रिसर्च और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर टू इंडस्ट्री पर प्रमुख फोकस किया है। उसके साथ ही सोरायसिस जैसी त्वचा की बीमारियों के लिए रिसर्च की है। वहीं उनके 200 प्रकाशित शोध पत्र, एक दर्जन पेटेंट है।
डॉ. सुमन मोर (चेयरपर्सन पर्यावरण विभाग)
डॉ. सुमन वायु प्रदूषण की निगरानी, लक्षण वर्णन, स्रोत अपवर्जन, मुख्य रूप से बायोमास जल, ताप विद्युत संयंत्र, पराग और लैंडफिल उत्सर्जन से स्वास्थ्य प्रभावों के आकलन पर सक्रिय रूप से लगे हुए हैं। उनके पास 3400 प्रशंसा पत्रों के साथ एच-इंडेक्स की संख्या 28 है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में उनके 85 शोध पत्र प्रकाशित हुए हैं। डॉ. सुमन को पर्यावरण मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत चंडीगढ़ के लिए नोडल संकाय नियुक्त किया गया है। हाल ही में उनके द्वारा बनाएगी कॉमिक्स बुक किड्स, वायु और कोरोना का विमोचन शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने किया था।
डॉ. अनुराग कुहाड़ (यूआइपीएस विभाग)
डॉ. अनुराग हरियाणा सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा युवा विज्ञान रतन पुरस्कार, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद, नई दिल्ली द्वारा युवा शिक्षकों के लिए एआइसीटीइ कैरियर पुरस्कार (सीएवाईटी) मिला है। इसके अलावा उन्हें हाल ही में यूजीसी रिसर्च अवार्ड से भी सम्मानित किया गया। उनके 100 से ज्यादा शोध पत्र प्रकाशित हुए है और 31 एच-इंडेक्स है।
प्रो. रेनु चड्ढा (यूआइपीएस विभाग)
प्रो. रेनु को 30 वर्ष का शोध अनुभव है। वो फार्मास्युटिकल रसायन शास्त्र फील्ड से जड़ी हई है। अनुसंधान का उनका क्षेत्र जैविक रूप से सक्रिय अणुओं की क्रिस्टल इंजीनियरिंग है। उन्होंने कई एंटी कैंसर दवाओं, एंटी डायबिटिक दवाओं और फ्लेवोनोइड्स के सह क्रिस्टल को संश्लेषित किया है। उनके 110 शोध पत्र प्रकाशित हुए हैं, जिसमें तीन पेटेंट भी शामिल है।
प्रो. सोनल सिंघल (केमिस्ट्री विभाग)
टीचिंग और रिसर्च में 20 वर्ष के अनुभव के साथ, उनके इंटरनेशनल जर्नल में 120 से ज्यादा रिसर्च पेपर पब्लिश हुए है। उन्हें वर्ष 2018 में बेस्ट रिसर्चर अवार्ड से भी नवाजा गया है। वहीं 2016 में उनके पेपर को बेस्ट पब्लिकेशन अवार्ड मिला था।
प्रो. नवनीत कौर (केमिस्ट्री विभाग)
उनका शोध कार्य पर्यावरण और जैविक महत्व के नमूनों में कार्बनिक रसायन विज्ञान और विश्लेषणात्मक अध्ययन से संबंधित है। उनके 150 से अधिक प्रकाशन इंटरनेशनल जर्नल में पब्लिश हुए है। उनके शोध कार्य को केमिकल रिसर्च सोसाइटी ऑफ इंडिया द्वारा मान्यता दी गई है और उन्हें वर्ष 2015 में युवा वैज्ञानिक पुरस्कार से नवाजा गया है।
प्रो. सूर्यकांत त्रिपाठी (फिजिक्स विभाग)
डॉ. त्रिपाठी को विशेष रूप से नैनो विज्ञान और नैनो प्रौद्योगिकी पर उनके शोध के लिए विश्व स्तर पर प्रशंसित किया गया है। उनके शोध कार्य का मुख्य क्षेत्र सोलर सेल, सुपर कैपेसिटर डिवाइसेज़, थर्मोइलेक्ट्रिक डिवाइसेस, केमिकल सेंसर्स, बायोलॉजिकल सेंसर्स, एमआइएस/एमओएस, एफईटी, मेमॢसस्टोर्स, मेमोरी डिवाइसेस और टेलीकम्युनिकेशन डिवाइसेस जैसे विभिन्न सोशल एप्लीकेशन के लिए सामग्री और उपकरण विकसित करना है। उनके 350 से अधिक जर्नल प्रकाशित हुए है।
डॉ. विशाल गुप्ता (यूआइईटी)
उनके इंटरनेशनल जर्नल में 40 रिसर्च पेपर प्रकाशित हुए है। प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण और कृत्रिम बुद्धिमत्ता उनका अनुसंधान का क्षेत्र है। वर्ष 2013 में उन्हें पंजाब यंग साइंटिस्ट अवार्ड से नवाजा गया था। इसके साथ ही उनके पास एच-इंडेक्स 11 और 1105 स्कोपस प्रशंसा पत्र है।
प्रो. डेजी रानी (बॉटनी विभाग)
प्रो. डेजी के 147 रिसर्च पेपर प्रकाशित हुए है। वहीं उनके एच-इंडेक्स की संख्या 42 है। उन्होंने 25 से ज्यादा पीएचडी स्कॉलर को गाइड किया है। राजीब गोयल यंग साइंटिस्ट अवार्ड, यूजीसी रिसर्च अवार्ड के अलावा डॉ. वी पुरी अवार्ड से सम्मानित किया गया है।