PU के डेंटल कालेज व CSIR की स्टडी में बड़ा खुलासा, 30 सेकेंड के गरारे से खत्म हो सकता है कोरोना वायरस
पंजाब यूनिवर्सिटी (PU) चंडीगढ़ के डेंटल कालेज व सीएसआइआर की स्टडी में सामने आया है कि यदि आप 30 सेकेंड क्लोरहेक्सीडिन (Chlorhexidine) से बने माउथवॉश से गरारा करते हैं तो इससे कोरोना संक्रमण खत्म हो सकता है ।
चंडीगढ़ [विशाल पाठक]। अगर आप 30 सेकेंड तक क्लोरहेक्सीडिन के साथ अच्छे ढंग से गरारा (Gargling) करते हैं तो कोरोना संक्रमण से मुक्ति पा सकते हैं। जी हां, चंडीगढ़ स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी (Punjab University) के डेंटल कॉलेज व इंस्टीट्यूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी (Dental College and Institute of Microbial Technology CSIR-IMTECH) द्वारा की गई स्टडी में यह तथ्य सामने आया है। डेंटल कॉलेज की इस स्टडी के मुताबिक माउथवॉश के जरिए 30 सेेकेंड में 99.9 प्रतिशत तक मुंह में अगर कोरोना वायरस (Coronavirus covid19) का संक्रमण है, तो उसका खात्मा किया जा सकता है।
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स्टडी में यह बात सामने आई है कि क्लोरहेक्सीडिन (Chlorhexidine) से बने माउथवॉश से मात्र 30 सेेकेंड में कोरोना संक्रमण (Corona infection) खत्म हो सकता है। क्लोरहेक्सीडिन जीवाणुओं के बाहरी आवरण को नष्ट कर मुंह में मौजूद हानिकारक जीवाणुओं का खात्मा करता है। क्लोरहेक्सीडिन ग्लूकोनेट एंटीसेप्टिक (Gluconate antiseptic) नामक दवाओं की श्रेणी से संबंध रखता है। यह किसी भी प्रकार के वायरस और बैक्टीरिया को मारने के साथ उन्हें बढ़ने से रोकता है।
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पोविडिन आयोडीन का उपयोग भी कारगर
पंजाब यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट आफ डेंटल साइंस एंड हॉस्पिटल के डॉ. आशीष जैन ने बताया कि डेंटल क्लोरहेक्सीडिन और पोविडिन आयोडिन (Dental chlorhexidine and povidin iodine) दोनों ही कोरोना संक्रमण काे खत्म करने में कारगर हैंं। पोविडोन आयोडिन उन कीटाणुओं को मारता है जो चिकित्सीय उत्पाद की सामाग्रियों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। पोविडोन आयोडीन एक एंटीसेप्टिक के तौर पर काम करता है।
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मात्र 0.2 प्रतिशत क्लोरहेक्सीडिन फ्लोराइड करेगा 99.9 कीटाणु खत्म
डॉ. आशीष ने बताया कि मात्र 0.2 प्रतिशत क्लोरहेक्सीडिन फ्लोराइड 99.9 प्रतिशत तक कीटाणु खत्म कर सकता है। ऐसे में डेंटल हॉस्पिटल और अन्य चिकित्सा संस्थानों में आने वाले लोगों को माउथवॉश का इस्तेमाल करने के लिए कहा जाता है, ताकि संक्रमण की चपेट में आने से बचा सके।
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लैब स्टडी के बाद अब क्लीनिकल टेस्ट होना बाकी
डॉ. अशीष ने बताया कि लैब स्टडी की जा चुकी है। अब क्लीनिकल टेस्ट किया जाएगा। क्लीनिकल टेस्ट में इस रिसर्च में लोगों को शामिल किया जाएगा। उसके बाद यह देखा जाएगा कि कितने प्रतिशत लोगों पर यह कारगर है। डॉ. अशीष जैन और डॉ. विशाखा ग्रोवर की टीम ने यह लैब रिसर्च की है। इसके अलावा सीएसआइआर से कृष्ण गोपाल ठाकुर ने इस रिसर्च में अपना योगदान दिया है।
अब क्लीनिकल रिसर्च
डॉक्टर आशीष जैन व डॉ. हरवंश सिंह का कहना है कि लैब रिसर्च में यह सामने आया है कि जिस प्रकार हाथों और अन्य सरफेस पर सेेनिटाइजर के जरिए कोरोना वायरस के संक्रमण को खत्म किया जाता है उसी प्रकार माउथवॉश के जरिए मुंह में कोरोना संक्रमण को खत्म किया जा सकता है। क्योंकि कोरोना वायरस संक्रमण व्यक्ति के शरीर में दो ही जगह से प्रवेश कर सकता है। एक मुंह और दूसरा नाक के जरिए। लैब रिसर्च पूरी कर ली गई है अब क्लीनिकल रिसर्च के दौरान इस स्टडी में लोगों को शामिल किया जाएगा।