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उज्बेकिस्तान की ताशकंद यूनिवर्सिटी में पढ़ाएंगे पीयू चंडीगढ़ के प्रो. गुरमीत सिंह, कारगिल युद्ध में की थी रिपोर्टिंग

2007 में शिक्षण में आने से पहले डॉ. गुरमीत सिंह हिंदी पत्रकारिता में भी एक दशक से ज्यादा समय तक काम कर चुके हैं और उन्होंने कारगिल युद्ध व गुजरात भूकंप जैसी कई घटनाओं की रिपोर्टिंग की है। कई महत्वपूर्ण समितियों और सम्मेलनों में शिरकत करते रहे।

By Ankesh ThakurEdited By: Published: Sun, 19 Sep 2021 01:17 PM (IST)Updated: Sun, 19 Sep 2021 01:17 PM (IST)
उज्बेकिस्तान की ताशकंद यूनिवर्सिटी में पढ़ाएंगे पीयू चंडीगढ़ के प्रो. गुरमीत सिंह, कारगिल युद्ध में की थी रिपोर्टिंग
पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ के हिंदी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. गुरमीत सिंह।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ के हिंदी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. गुरमीत सिंह का चयन उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद स्थित ताशकंद यूनिवर्सिटी ऑफ ओरियंटल स्टडीज में हुआ है। प्रो. डॉ. गुरमीत सिंह का चयन ताशकंद यूनिवर्सिटी में बतौर विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में हुआ है। डॉ. गुरमीत सिंह इस ऐतिहासिक शहर में मौजूदा सत्र में एक सेमेस्टर स्टूडेंट्स को पढ़ाएंगे। उनकी नियुक्ति संबंधी पत्र पंजाब विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजकुमार को ताशकंद विश्वविद्यालय की ओर से भेजा गया है।

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ताशकंद विश्वविद्यालय में विभिन्न स्तरों पर हिंदी साहित्य, अनुवाद और पत्रकारिता की पढ़ाई होती है। 1918 में स्थापित प्राच्य अध्ययन (ओरियंटल स्टडीज) का यह सरकारी विश्वविद्यालय मध्य एशिया का सबसे पुराना और प्रतिष्ठित केंद्र माना जाता है जहां पूर्व की अनेक भाषाओं को पढ़ाया जाता है।

ताशंकद यूनिवर्सिटी की ओर से भेजे गए पत्र के मुताबिक उनके विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय पत्रकारिता और अनुवाद अध्धययन विभाग ने डॉ. गुरमीत सिंह के अनुभव का लाभ उठाने के लिए विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में उन्हें निमंत्रित करने का निर्णय लिया है। वे वहां बीए और एमए के विद्यार्थियों को पढ़ाएंगे।

2007 में शिक्षण में आने से पहले डॉ. गुरमीत सिंह हिंदी पत्रकारिता में भी एक दशक से ज्यादा समय तक काम कर चुके हैं और उन्होंने कारगिल युद्ध व गुजरात भूकंप जैसी कई घटनाओं की रिपोर्टिंग की है। कई महत्वपूर्ण समितियों और सम्मेलनों में शिरकत करते रहे। डॉ. गुरमीत दो बार पंजाब विश्वविद्यालय की सीनेट के मनोनीत सदस्य भी रहे हैं।

डॉ. गुरमीत सिंह 2017 से 2020 के बीच हिंदी विभाग के अध्यक्ष भी रहे हैं। इससे पहले विदेशों में स्थित विश्वविद्यालयों में भारत सरकार द्वारा स्थापित हिंदी चेयर के लिए भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आइसीसीआर) ने भी उनका चयन किया था। वर्ष 2018 में उन्हें जार्डन के अम्मान विश्वविद्यालय में आएसीसीआर चेयर पर नियुक्ति मिली थी लेकिन तब विभागाध्यक्ष के रूप में अपनी जिम्मेदारी को उन्होंने प्राथमिकता दी थी।

उन्होंने ताशकंद विश्वविद्यालय में विजटिंग प्रोफेसर के रूप में अपनी नियुक्ति पर कहा है कि हिंदी की सेवा के देश से बाहर से निमंत्रण मिलना उनके लिए गर्व का विषय है। डॉ. गुरमीत सिंह को साहित्यिक पत्रकारिता के लिए 2008 में हरियाणा साहित्य अकादमी का राज्य स्तरीय पुरस्कार और 2016 में चंडीगढ़ साहित्य अकादमी का सर्वश्रेष्ठ पुस्तक पुरस्कार भी मिल चुका है। यह पुरस्कार उनकी पुस्तक हिंदी का बदलता परिवेश के लिए दिया गया था।


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