कम स्टूडेंट्स वाले विभागों को मर्ज करने की तैयारी में पीयू प्रशासन, कैंपस खुलने का इंतजार
पीयू प्रशासन ने छोटे विभागों को जिनमें स्टूडेंट्स की संख्या कम है को मर्ज करने का मन बना चुका है। अनुमान लगाया जा रहा है कि इस कार्य के शुरू होने से एक बार फिर से पीयू में हंगामा हो सकता है।
चंडीगढ़, वैभव शर्मा। पंजाब यूनिवर्सिटी में इस समय कई विभाग है, जिनमें स्टूडेंट्स काफी कम है। इस बात को लेकर फरवरी में पीयू प्रशासन ने इनको मर्ज करने के लिए कदम उठाया था। लेकिन उस समय विरोध होने के बाद इस फैसले को वापस ले लिया गया था। उसके बाद एक बार फिर इसी वर्ष मई और जुलाई में छोटे विभागों को मर्ज करने के लिए पीयू प्रशासन ने फिर से प्लानिंग करनी शुरू कर दी थी। लेकिन वो प्लानिंग सिरे न चढ़ सकी। सूत्रों के अनुसार पीयू प्रशासन एक बार फिर से छोटे विभागों को, जिनमें स्टूडेंट्स की संख्या कम है, को मर्ज करने का मन बना चुका है। अनुमान लगाया जा रहा है कि इस कार्य के शुरू होने से एक बार फिर से पीयू में हंगामा हो सकता है।
सीनेट और सिंडिकेट के न होने से रास्ता साफ
सूत्राें के अनुसार विभागों को पहले मर्ज करने पर सीनेट और सिंडिकेट सदस्यों ने काफी हंगामा किया गया। लेकिन अब कैंपस में न तो सीनेट है और न ही सिंडिकेट। ऐसे में विभागों को मर्ज करने में कोई खास परेशानी नहीं होगी। लेकिन इसके लिए अभी वाइस चासंलर प्रो. राजकुमार से हरी झंडी मिलने की देरी है। इन विभागों में उर्दू, संस्कृति विभाग सहित करीब आठ विभाग शामिल है।
चार वर्ष पहले नैक ने दिया था आदेश
वर्ष 2015 में नैक की टीम ने पीयू का दौरा किया था। उसी दौरान पीयू में छोटे-छोटे विभाग पाए गए थे। पीयू के कागजों में यह विभाग नहीं थे बल्कि यह सेंटर हैं, जिनका संचालन समन्वयक कर रहे हैं, लेकिन यहां विभाग अध्यक्ष बना दिए गए। नैक का सुझाव था कि छोटे-छोटे विभागों को संबंधित विभागों के साथ जोड़कर एक छत के नीचे लाने का काम करें। पांच वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया।
कैंपस खुलने का इंतजार
सूत्रों के अनुसार पीयू प्रशासन कैंपस खुलने का इंतजार कर रहा है क्योंकि पीयू के पास कामों की लिस्ट बनी हुई है। अगर पीयू को नैक की रैंकिंग में आगे आना है तो उसके लिए इस काम को समय रहता पूरा करना महत्वपूर्ण है। यदि फिर से विभागों के मर्ज का काम टला तो नैक की ग्रेडिंग पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
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