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आरबीआइ के नए निर्देशों के खिलाफ कैश वैन्स मालिकों में रोष

जागरण संवाददाता, मोहाली : कैश वैन ओनर्स एसोसिएशन पंजाब ने शनिवार को भारतीय रिजर्व बैंक (

By JagranEdited By: Published: Sat, 28 Jul 2018 06:56 PM (IST)Updated: Sat, 28 Jul 2018 06:56 PM (IST)
आरबीआइ के नए निर्देशों के खिलाफ कैश वैन्स मालिकों में रोष
आरबीआइ के नए निर्देशों के खिलाफ कैश वैन्स मालिकों में रोष

जागरण संवाददाता, मोहाली : कैश वैन ओनर्स एसोसिएशन पंजाब ने शनिवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के कड़े दिशा निर्देशों के खिलाफ लांडरा बनूड़ रोड पर विरोध रैली निकाली। पंजाब भर के कैश वैन मालिकों ने एक साथ काले झडे दिखाए और उन्होंने दिशा निर्देशों के खिलाफ नारे लिखे प्लेकार्ड उठाए हुए थे।

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अभियान का नेतृत्व नाइट डिटेक्टिव और सिक्योरिटी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर कर्नल जीपीएस विर्क ने किया। विर्क ने कहा कि कैश वैन्स को लेकर आरबीआइ के नए दिशा निर्देश भेदभावपूर्ण हैं। बैंकों ने इन दिशा निर्देशों की गलत व्याख्या की है। वक्ताओं ने कहा कि आरबीआइ ने कुछ महीने पहले नकदी के परिवहन के लिए बैंकों द्वारा किराए पर नियुक्त किए गए सेवा प्रदाताओं के लिए दिशानिर्देशों के अनुसार सेवा प्रदाता की नेटवर्थ 100 करोड़ रुपये हो व उसके पास विशेष तौर पर तैयार की गई 300 कैश वैन्स का न्यूनतम बेड़ा होना चाहिए। एसोसिएशन ने दावा किया है कि भारतीय रिजर्व बैंक के दिशा निर्देश वास्तव में कैश मैनेजमेंट लॉजिस्टिक कंपनियों के लिए हैं जो एटीएम में नकदी की लोडिंग करती हैं व नकदी कलेक्शन करते हैं लेकिन बैंकों ने इस काम में लगी कैश वैन्स की गलत व्याख्या कर ली जो कि बिना सुरक्षा के होती हैं, जिनमें नकदी पूरी तरह से बैंकर्स के नियंत्रण में होती है। वक्ताओं ने कहा कि ये कदम छोटे और मध्यम उद्यमों (एसएमई) के खिलाफ एक अभियान है क्योंकि वे प्राथमिक शर्त को पूरा नहीं कर सकते। जीपीएस विर्क ने कहा कि यह कदम सीधे तौर पर छोटे वैन मालिकों के अस्तित्व को समाप्त करने के उद्देश्य से उठाया गया है। उन्होंने कहा कि कई अन्य लोगों की तरह उनकी फर्म कई बैंकों को सेवाएं प्रदान कर रही है और उनकी फर्म की नेटवर्थ 4.5 करोड़ रुपये है और टर्नओवर 28.85 करोड़ रुपये है। कर्नल विर्क ने कहा कि मौजूदा नकदी वैन उप-ठेकेदारों के बिना हैं और आरबीआइ दिशानिर्देशों और मानव संसाधन और पीएसएआर अधिनियम 2005 के अनुसार काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के दौरान भी अतिरिक्त वैन प्रदान किए गए थे लेकिन अब बैंक आरबीआइ दिशानिर्देशों की गलत व्याख्या कर रहे हैं।


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