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इमारत के दुरुपयोग पर संपत्ति मालिकों से न वसूला जाए 500 रुपये प्रति वर्ग फुट जुर्मानाः बंसल

बंसल ने कहा कि डेवलेपमेंट एंड रेगुलेशन एक्ट में केवल पांच सौ रुपये के जुर्माने तथा जिस दिन से उल्लंघना हुई उस दिन से 20 रुपये प्रतिदिन जुर्माने का प्रावधान था।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Fri, 07 Aug 2020 03:22 PM (IST)Updated: Fri, 07 Aug 2020 03:22 PM (IST)
इमारत के दुरुपयोग पर संपत्ति मालिकों से न वसूला जाए 500 रुपये प्रति वर्ग फुट जुर्मानाः बंसल
इमारत के दुरुपयोग पर संपत्ति मालिकों से न वसूला जाए 500 रुपये प्रति वर्ग फुट जुर्मानाः बंसल

चंडीगढ़, जेएनएन। पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन कुमार बंसल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर मांग की है कि वो चंडीगढ़ प्रशासन को हिदायत दे कि संपत्ति मालिकों से इमारत के उल्लंघन या दुरुपयोग के लिए 500 रुपये प्रति वर्ग फुट के जुर्माने को नहीं वसूला जाए। अपने पत्र के जरिए बंसल ने गृह मंत्री को कहा है कि जिस कैपिटल ऑफ पंजाब (डेवलेपमेंट एंड रेगुलेशन) एक्ट, 1952 के तहत एस्टेट नियमों को बनाया गया था, उसमें केवल पांच सौ रुपये के जुर्माने तथा जिस दिन से उल्लंघना हुई, उस दिन से 20 रुपये प्रतिदिन जुर्माने का प्रावधान था। लेकिन इस अधिनियम के विरोध में चंडीगढ़ के प्रशासक ने 2007 में चंडीगढ़ एस्टेट नियमों की घोषणा की और 2009 में संसोधन कर 500 रुपये प्रति वर्ग फुट के मासिक शुल्क का प्रावधान किया गया।

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बंसल ने कहा कि प्रशासक के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं है, जिससे वो अधिनियम के संशोधन में कोई कदम उठा सके, यह सिर्फ संसद का अधिकार क्षेत्र है। जुर्माने की यह अनुचित वृद्धि बिना सोचे समझे लागू कर दिया गया, जिसकी वजह से चंडीगढ़ में वाणिज्यिक, औद्योगिक और आवासीय संपत्तियों के मालिकों को संकट और कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। अधिनियम का उल्लंघन करने की जुर्माना राशि करोड़ों रुपये में तब्दील हो चुकी है, यही नहीं कई जुर्माने तो संपत्ति की मूल लागत से हजार गुना हैं।

बंसल ने यह भी कहा कि पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने एस्टेट नियमों को अल्ट्रा वायर्स घोषित किया था और निर्देश दिया था कि प्रशासन चाहे तो एक्ट में संशोधन के लिए अदालत का दरवाज़ा खटखटा सकता है। तब से यह मामला गृह मंत्रलय में लंबित है। पत्र में बंसल ने गृह मंत्री से कहा कि उचित यह होगा कि आप चंडीगढ़ प्रशासन को निर्देश दें कि जब तक संसद द्वारा अधिनियम में संशोधन नहीं हो जाता, तब तक किसी भी जुर्माने की वसूली प्रक्रिया को निलंबित किया जाए। इसके अलावा बंसल ने गृह मंत्री को यह भी लिखा कि संपत्ति के उपयोग, जरूरतों और आवश्यकताएं दिनोंदिन बढ़ रही हैं। इसलिए समय के साथ-साथ संबंधित नियमों में संशोधन किया जाना चाहिए, जैसे कि मकानों के पीछे खुले आंगन को ढकने का प्रावधान हो।

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