चंडीगढ़ में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी, स्टूडेंट्स के ट्रांसफर सर्टिफिकेट रोके, शिकायत के बाद डीईओ ने मांगा जवाब
चंडीगढ़ में प्राइवेट स्कूल उन बच्चों के ट्रांसफर सर्टिफिकेट नहीं दे रहे हैं जो स्कूल छोड़कर सरकारी स्कूलोंं में दाखिला ले रहे हैं। अभिभावकों ने मामले में जिला शिक्षा अधिकारी को शिकायत की है और डीईओ ने भी तुरंत संज्ञान लेते हुए स्कूलों से जवाब मांगा है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। कोरोना महामारी के दौर में ज्यादा फीस के चलते अब तक 15 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स शहर के विभिन्न प्राइवेट स्कूलों को छोड़कर सरकारी का रूख कर चुके हैं। ऐसे में प्राइवेट स्कूल अब खुद की साख बचाए रखने के लिए बच्चों का ट्रांसफर सर्टिफिकेट रोकने से लेकर विभिन्न प्रकार के बहाने बना रहे हैं। वहीं, स्टूडेंट्स के ट्रांसफर सर्टिफिकेट देने में आनाकानी कर रहे हैं।
ऐसे में प्राइवेट स्कूलों से परेशान होकर अभिभावक चंडीगढ़ शिक्षा विभाग के जिला शिक्षा अधिकारी को शिकायत कर रहे हैं। इसके बाद डीईओ ने भी स्कूलों पर कमांड कसने का मन बना लिया है। अगस्त 2021 के अंतिम सप्ताह में अभिभावक सपना सूद ने ब्रिटिश स्कूल सेक्टर-44 के खिलाफ जिला शिक्षा अधिकारी को शिकायत दी। उन्होंने बताया कि उनका बच्चा ब्रिटिश स्कूल में पढ़ रहा था, अब वह अपने बच्चे को सरकारी स्कूल में दाखिला करवा रही हैं, लेकिन स्कूल की तरफ से बच्चे का ट्रांसफर सर्टिफिकेट देने में आनाकानी की जा रही है। जिला शिक्षा अधिकारी प्रभजोत कौर ने तुरंत स्कूल से जल्द बच्चे का ट्रांसफर सर्टिफिकेट जारी करने के साथ स्कूल प्रबंधन से जवाब भी मांगा है। विभागीय सूत्रों की माने तो शिक्षा विभाग के पास विभिन्न स्कूलों के खिलाफ सौ से ज्यादा शिकायतें पहुंची चुकी हैं, जिनमें ज्यादातर स्कूल द्वारा ट्रांसफर सर्टिफिकेट न देने की शिकायतें हैं।
प्रशासन के नियमों को तोड़कर मांग रहे पूरी फीस
कोरोना महामारी की परेशानी को देखते हुए तत्कालीन सलाहकार मनोज कुमार परीदा ने सभी प्राइवेट स्कूलों को निर्देश जारी किए थे कि ट्यूशन फीस को छोड़कर अन्य किसी प्रकार की फीस को प्राइवेट स्कूल नहीं लेंगे। प्रशासन के निर्देशों के बाद प्राइवेट स्कूलों ने ट्यूशन फीस लेकर आनलाइन पढ़ाई जारी रखी। मार्च 2021 में सत्र पूरा होने के बाद ज्यादातर अभिभावकों ने आर्थिक स्थिति का हवाला देकर प्राइवेट स्कूलों को छोड़कर सरकारी में में अपने बच्चों का दाखिला करवा रहे हैं। ऐसे में विभिन्न प्रवाइवेट स्कूल कई तरह के बिल बनाकर फीस में कंप्यूटर, लैब फीस की डिमांड कर रहे हैं और स्टूडेंट्स के ट्रांसफर सर्टिफिकेट भी नहीं दिए जा रहे हैं।