बाजवा ने लिखा कैप्टन को पत्र, कहा- निजी थर्मल प्लांटों ने तोड़ा करार, पावर खरीद समझौता रद करे सरकार
कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य ने पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह को पत्र लिखकर राज्य के निजी थर्मल प्लांटों से समझौता रद करने की मांग की है। उन्होंने लिखा कि इन प्लांटों ने समझौते की शर्तों का पालन नहीं किया है।
जेएनएन, चंडीगढ़। राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को पत्र लिखकर निजी थर्मल प्लांटों के साथ हुए पावर खरीद समझौते को रद करने की मांग की है। बाजवा ने इस संबंध में मुख्यमंत्री को एक पत्र भी लिखा है। जिसमें उन्होंने कहा है कि पंजाब के तीनों निजी थर्मल प्लाटों ने समझौते की शर्त के अनुसार एक माह के कोयले का स्टाक नहीं रखा। इसकी वजह से यह थर्मल प्लांट बंद हो चुके हैंं, इसलिए निजी थर्मल प्लांटों के साथ समझौता तोड़ लेना चाहिए।
बाजवा ने ऐसे समय में मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है जब पंजाब में बिजली उत्पादन कोयले की कमी के कारण बंद हो गया है। किसानों द्वारा रेलवे ट्रैक पर धऱना देने के कारण ट्रेनें चल नहीं रही हैंं। ट्रेनेंं न चलने के कारण लोगों में खासा गुस्सा है। वहीं, निजी थर्मल प्लांट के साथ समझौता तोड़ने को लेकर अक्सर ही सरकार पर खासा दबाव रहता है। पिछले कुछ माह से यह मुद्दा शांत था।
बाजवा द्वारा इस मामले में पत्र लिखे जाने के बाद इस मुद्दे केे फिर गर्म होने की संभावना है, क्योंकि कांग्रेस ने अपने चुनाव के दौरान निजी थर्मल प्लांटों के साथ किए पूर्व अकाली-भाजपा सरकार के दौरान किए गए समझौते को तोड़ने का वादा किया था। हालांकि तकरीबन आठ माह पहले मुख्यमंत्री ने इस संबंध में विधानसभा में श्वेत पत्र लाने का बयान दिया था, लेकिन उसके बाद आए दोनों सत्रों के दौरान मुख्यमंत्री श्वेत पत्र को नहीं लाए।
वहीं, बाजवा ने अपने पत्र में लिखा है कि जैसा की सर्वविदित है कि इन थर्मल प्लांटों के साथ हुए समझौते के अनुसार पंजाब को 25 वर्षों में 65,000 करोड़ का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ रहा है। बाजवा ने कहा कि चुनावी घोषणा और लोगों से किए गए वादे के अनुसार इस समझौते को रद कर देना चाहिए, क्योंकि तीनों ही थर्मल प्लांट अपने समझौते के तहत कोयले का 30 दिन का स्टाक मेनटेन नहीं कर पाई।
बता दें, जनवरी माह में निजी कंपनियों से पंजाब सरकार कोयले की धुलाई का केस हार गई थी। जिसके कारण निजी कंपनियां 2800 करोड़ रुपये का कोयला धुलाई का खर्चा भी 96 लाख उपभोक्ताओं पर डाल दिया था। जिसके बाद पंजाब का राजनीतिक पारा खासा गर्म हो गया था। पंजाब में सबसे महंगी बिजली होने का मुद्दा दिल्ली तक पहुंचा था। सोनिया गांधी ने भी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से पूछा था कि पंजाब में आखिर इतनी महंगी बिजली क्यों है। हालांकि बाद में मुख्यमंत्री ने इस संबंध में श्वेत पत्र विधानसभा में लाने का भरोसा दिया था, लेकिन दो बार विधानसभा की कार्यवाही पूरी होने के बावजूद अभी तक श्वेत पत्र नहीं लाया गया है।