श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार की EVM पर टिप्पणी से गरमाई पंजाब में सियासत
पंजाब में श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार द्वारा ईवीएम पर टिप्पणी के बाद राज्य की सियासत गरमा गई है। अकाली दल लोक इंसाफ पार्टी और आप ईवीएम पर अविश्वास जता चुकी हैं। वहीं भाजपा का कहना है कि जब पंजाब में कांग्रेस जीती तब सवाल नहीं उठा।
चंडीगढ़ [इन्द्रप्रीत सिंह]। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह की ईवीएम पर टिप्पणी ने पंजाब में नया विवाद छेड़ दिया है। एक साल बाद जब पंजाब में विधानसभा के चुनाव हैं ऐसे में उनके बयान से ईवीएम को लेकर राजनीतिक पार्टियों में एक नई बहस छिड़ गई है।
बिहार चुनाव परिणामों पर टिप्पणी करते हुए अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल ने पिछले दिनों एक कार्यक्रम में कहा कि बिहार में आंधी विपक्षी पार्टियों की चल रही थी, लेकिन नतीजा सरकार के पक्ष में आ गया। लगभग इसी तरह का सवाल लोक इंसाफ पार्टी और आम आदमी पार्टी के नेताओं ने भी उठाया। हालांकि भारतीय जनता पार्टी के पंजाब प्रधान अश्वनी शर्मा ने इन्हें कड़ा जवाब देते हुए कहा कि जब पिछले चुनाव में राजस्थान और पंजाब में चुनावी परिणाम इनके पक्ष में आए थे तब तो इन्होंने इस तरह के सवाल नहीं उठाए, जब भाजपा के पक्ष में आ गए तो ईवीएम पर सवाल उठाने लगे हैं।
अकाली दल से अलग होकर अपनी पार्टी शिरोमणि अकाली दल डेमाेक्रेटिक बनाने वाले सुखदेव सिंह ढींडसा ने सीधे तौर पर भाजपा का पक्ष नहीं लिया, लेकिन उन्होंने कहा कि अभी तक ईवीएम को हैक करने जैसे कोई सुबूत नहीं मिले हैं, ऐसे में यह कहना कि ईवीएम गलत है यह सही नहीं होगा।
बता दें, श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह की ओर से ईवीएम पर सवाल उठाने के कारण वह खुद भी निशाने पर आ गए हैं। भाजपा के हरजीत ग्रेवाल ने उन्हें एक परिवार के पक्ष में उतरने को गलत बताया।हरजीत ग्रेवाल की तख्त साहिब के जत्थेदार पर की गई टिप्पणी के कारण वह भी घिर गए हैं। उन्होंने जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह के प्रति बरते गए शब्दों के लिए तो माफी मांग ली है, लेकिन साथ ही कहा है कि यदि वह राजनीतिक टिप्पणी करेंगे तो हम उसका जवाब जरूर देंगे।
तख्त साहिब के जत्थेदार पर टिप्पणी को लेकर यूथ अकाली नेता परबंस सिंह बंटी रोमाणा और हरजीत ग्रेवाल के बीच एक टीवी चैनल पर तीखी बहस हुई। तख्त साहिब के जत्थेदार पर टिप्पणी की जा सकती है कि नहीं, इसको लेकर एसजीपीसी के सबसे लंबे समय तक प्रधान रहे गुरचरन सिंह टोहरा के सलाहकार मालविंदर सिंह ने कहा कि अकाली दल को जत्थेदार साहिब के रुतबे का ख्याल कब से आ गया। जब 1999 तब के जत्थेदार भाई रणजीत सिंह को उन्होंने हटवा दिया था तब यह मर्यादा क्यों याद नहीं आई।
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