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पेट्रोल की आग पर सियासी रोटियां, एक ओर हाय तौबा दूसरी ओर करोड़ों की कमाई

पेट्रो पदार्थों की बढ़ती कीमतों पर पार्टियां सियासी रोटियां सेंक रही हैं। कांग्रेस भी इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रही है, लेकिन दूसरी ओर पंजाब की उसकी सरकार इससे करोड़ाें कमा रही है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 06 Sep 2018 03:25 PM (IST)Updated: Thu, 06 Sep 2018 09:07 PM (IST)
पेट्रोल की आग पर सियासी रोटियां, एक ओर हाय तौबा दूसरी ओर करोड़ों की कमाई
पेट्रोल की आग पर सियासी रोटियां, एक ओर हाय तौबा दूसरी ओर करोड़ों की कमाई

जेएनएन, चंडीगढ़। पेट्रोल और डीजल की कीमतें आसमान छू रही हैं। इसकी दरों में लगातार वृद्धि ने लोगों के होश उड़ा रखे हैं। राजनीतिक दल भी इस पर खूब सियासत कर रहे हैं और अपनी सियासी रोटियां सेंक रहे हैं। बढ़ती कीमतों के कारण यह मांग भी तेज होती जा रही है कि पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाया जाए। कांग्रेस भी पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि के खिलाफ प्रदर्शन कर रही है अौर केंद्र सरकार को घेरने की कोश्‍ािश कर रही है। लेकिन, तस्वीर का दूसरा पहलू यह भी है कि पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में जैसे-जैसे आग लग रही है, पंजाब सरकार का राजस्व भी बढ़ रहा है। इससे पंजाब की कांग्रेस सरकार को काफी राहत मिल रही है

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कीमत एक पैसा बढ़ने पर पंजाब सरकार को एक दिन में हो रही 2.50 से 3 लाख रुपये की अतिरिक्त कमाई

पेट्रोलियम पदार्थों व शराब को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है। यह दोनों ही उत्पाद ऐसे हैं, जो किसी भी राज्य के लिए सबसे सुरक्षित राजस्व का जरिया माने जाते हैं। यही कारण है कि कोई भी राज्य पेट्रोलियम व शराब को जीएसटी के दायरे में लाने को तैयार नहीं है। चूंकि पेट्रोलियम पदार्थों पर अलग-अलग राज्य अपने अनुसार एक्साइज ड्यूटी लगाते हैं। पंजाब की बात करें तो महाराष्ट्र और कर्नाटक के बाद पंजाब देश में पेट्रोल पर सबसे ज्यादा टैक्स वसूलने वाला राज्य है। महाराष्ट्र में 38, कर्नाटक में 36, जबकि पंजाब में 35.35 फीसद टैक्स वसूला जाता है।

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सर्वाधिक वैट वसूली के लिहाज से पंजाब देश में तीसरे स्थान पर

पंजाब में एक दिन की पेट्रोल की औसत मांग करीब 2500 किलोलीटर की है। इस अनुपात में पेट्रोल की कीमत में एक पैसे की वृद्धि होने पर पंजाब सरकार को 2.5 लाख रुपये का औसत अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होता है। वित्त विभाग राज्य की वित्तीय स्थिति को देखते हुए पेट्रोल और डीजल की बढ़ी कीमतों से खुश था। क्योंकि कच्चे तेल की तेजी के कारण पंजाब सरकार के खजाने में तकरीबन तीन से लेकर 3.50 लाख रुपये का भी अतिरिक्त राजस्व प्राप्त हो रहा था।

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राज्यों में लगने वाला वैट (फीसद में)

राज्य              पेट्रोल       डीजल

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पंजाब            35.35     16.88

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हरियाणा        26.85     17.22

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दिल्ली           27.00     17.27

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हिमाचल        24.36     14.34

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चंडीगढ़         19.76      11.42

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जीएसटी के दायरे में आएं पेट्रोलियम पदार्थ: बाजवा

पंजाब के ग्रामीण विकास मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा ने पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग की है। उनका कहना है कि पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ी कीमतों से लोग परेशान हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मामले में लोगों को राहत देनी चाहिए। उनका कहना है कि मई  2014 और सितंबर 2017 के समय के दौरान पेट्रोल और डीजल पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी में 12 बार वृद्धि की गई। उन्होंने कहा कि इस समय के दौरान पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी में 54 फीसद और वैट में 46 फीसद वृद्धि की गई, जबकि डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में 154 फीसद और वैट में 48 फीसद वृद्धि हुई।

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जीएसटी क्यों मंजूरी नहीं

पेट्रोलियम इंडस्ट्री से जुड़े जेपी खन्ना कहते हैं, 'राज्य सरकारें जीएसटी के दायरे में आना ही नहीं चाहतीं। क्योंकि जीएसटी के दायरे में आने से एक रेट फिक्स हो जाएगा। कुछ राज्यों की पूरी अर्थव्यवस्था ही पेट्रोलियम पदार्थों पर है। ऐसे में उन्हें दिक्कत आएगी। यही कारण है कि शोर चाहे कुछ भी मचे, लेकिन कोई भी सरकार अपना सबसे सुरक्षित व उच्च राजस्व देने वाले स्रोत को छोडऩे को तैयार नहीं है।'

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