थानों में खड़े लावारिस वाहनों का पुलिस निजी कंपनी की मदद से कर रही निपटान Chandigarh News
पुलिस को जो लावारिस वाहन मिलते हैं अकसर उनके इंजन नंबर और चेसी नंबर या तो समझे जाने लायक नहीं होते या फिर वारदात को अंजाम देने के लिए बदले होते हैं।
चंडीगढ़, जेएनएन। शहर के सभी थानों में कई ऐसे लावारिस वाहन खड़े हैं जिन्हें लेने के लिए कोई नहीं आता। ऐसे में कई वाहन स्नैचरों द्वारा भी इस्तेमाल किए हुए होते हैं। स्नैचिंग और अन्य वारदात को अंजाम देने के लिए स्नैचर अकसर चोरी किए हुए वाहनों का इस्तेमाल करते हैं और वारदात को अंजाम देने के बाद उन्हें कहीं लावारिस छोड़ देते हैं। इन वाहनों की पहचान करने के लिए पुलिस अब एक निजी कंपनी की सहायता ले रही है। कंपनी से जब वाहनों के मालिकों के बारे में डाटा मिल जाता है तो सभी औपचारिकता पूरी होने के बाद उन्हें वाहन दे दिया जाता है।
वहीं, जिन वाहनों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाती, उनकी ऑक्शन कर दी जाती है। कई वाहनों की जानकारी नहीं थानों में इस समय कई ऐसे वाहन हैं जिनके बारे में जब कोई जानकारी नहीं मिलती तो वह थानों में ही धूल फांकते रहते हैं। ऐसे में पुलिस विभाग ने इन वाहनों के मालिकों या इंश्योरेंस कंपनी के बारे में जानने के लिए तुषार अर्बन एंड एसोसिएट्स कंपनी की मदद ले रहा है। पुलिस को जो लावारिस वाहन मिलते हैं अकसर उनके इंजन नंबर और चेसी नंबर या तो समझे जाने लायक नहीं होते या फिर वारदात को अंजाम देने के लिए बदले होते हैं। ऐसे में अब ये कंपनी विभाग को मुफ्त में वाहन के ऑनर और इंश्योरेंस कंपनी की जानकारी दे रही है।
इस साल 827 वाहन किए गए डिस्पोज ऑफ
इस साल पुलिस ने अभी तक 30 सितंबर तक 827 वाहनों को डिस्पोज ऑफ कर दिया है। वहीं, अभी 2217 वाहन ऐसे हैं जिनको डिस्पोज ऑफ किया जाना है। 531 वाहन ऐसे भी हैं जिनकी अभी ऑक्शन की जाएगी। वहीं, पुलिस पिछले चार साल में 4527 ऐसे वाहनों का निपटान कर चुकी है जो उन्हें लावारिस मिले थे।
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